किसानों का 20 करोड़ दबाए बैठा चीनी मिल प्रबंधन

प्रतापपुर चीनी मिल पर गन्ना किसानों का 20 करोड़ रुपये बकाया है। हाल यह है अभी तक मिल ने 44 करोड़ का भुगतान किया है। किसान अपनी गाढ़ी कमाई मिल को देने के बाद अब भुगतान के लिए चक्कर काट रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 10:42 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 10:42 AM (IST)
किसानों का 20 करोड़ दबाए बैठा चीनी मिल प्रबंधन
गन्‍ना किसानों के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जनपद के बनकटा क्षेत्र के बौलिया निवासी गन्ना किसान नथुनी कुशवाहा खुद बीमार हैं और अपनी बेटी की शादी तय किए हैं। प्रातापपुर चीनी मिल को दो ट्राली गन्ना दिए हैं लेकिन उनके 60 हजार रुपये में से फूटी कौड़ी भी भुगतान नहीं मिल पाया है। वह अपना इलाज साहूकार से कर्ज लेकर करा रहे हैं वहीं बेटी का हाथ कैसे पीला होगा इसकी भी उन्हें चिता सता रही है। बनकटा क्षेत्र की ही महिला गन्ना किसान विंदा देवी ने भी मिल को दो ट्राली गन्ना दिया है और मिल पर उनका 35 हजार रुपये बकाया है। मिल भुगतान नहीं कर रहा है। उन्हें भी इलाज के लिए व खेत की जोताई व बोआई में लिए कर्ज को चुकाना है। मिल भुगतान नहीं कर रहा है। ये मामले तो बानगी भर हैं, ऐसे सैकड़ों किसान समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन प्रतापपुर चीनी मिल बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं कर रहा है।

अभी तक सिर्फ 44 करोड़  भुगतान

प्रतापपुर चीनी मिल पर गन्ना किसानों का 20 करोड़ रुपये बकाया है। हाल यह है अभी तक मिल ने 44 करोड़ का भुगतान किया है। किसान अपनी गाढ़ी कमाई मिल को देने के बाद अब भुगतान के लिए चक्कर काट रहा है। इस तरफ न तो प्रशासन का ध्यान जा रहा है और न ही मिल प्रबंधन का।

चीनी बेच कर बकाया भुगतान

यह कितनी बड़ी विडंबना है कि दुकान पर हम सामान खरीदने जाते हैं तो पहले मूल्य देते हैं उसके बाद दुकानदार हमें सामान देता है। लेकिन किसानों की बारी आती है तो मामला उल्टा हो जाता है। किसान गन्ने की फसल तैयार करता है, उसे मिल को देता है। मिल गन्ने से चीनी तैयार करता है और जो चीनी बिकती है उससे गन्ना किसानों का भुगतान कर रहा है। लाक डाउन में चीनी की बिक्री नहीं हुई तो भुगतान पर भी ब्रेक लग गया था। जिला गन्‍ना अधिकारी आनंद कुमार शुक्‍ल का कहना है कि मिल पर किसानों का 20 करोड़ रुपये बकाया है। भुगतान करने के लिए मिल प्रबंधन को नोटिस दी गई है। भुगतान धीरे-धीरे हो रहा है।

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