मालिक ने साथ छोड़ा, हमने अपना शहर; जमाने का दर्द समेटे घर लौट रहे प्रवासी Gorakhpur News

पूर्वांचल और बिहार के प्रवासी दिल्ली और महराष्ट्र छोड़ने लगे हैं। ट्रेनों में कफर्म टिकट नहीं मिलने पर लोगों में हड़कंप में है। दहशत के बीच बस फ्लाइट और अन्य साधनों से घर भागने लगे हैं। कुछ नहीं मिल रहा तो टैंपों से ही निकल पड़ रहे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 11:10 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 10:21 PM (IST)
मालिक ने साथ छोड़ा, हमने अपना शहर; जमाने का दर्द समेटे घर लौट रहे प्रवासी Gorakhpur News
मुंबई से गोरखपुर लौटे प्रवासी मजदूर। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश और मुंबई में लाकडाउन की आशंका से कामगारों में हड़कंप मच गया है। पूर्वांचल और बिहार के प्रवासी दिल्ली और महराष्ट्र छोड़ने लगे हैं। ट्रेनों में कफर्म टिकट नहीं मिलने पर लोगों में हड़कंप में है। दहशत के बीच बस, फ्लाइट और अन्य साधनों से घर भागने लगे हैं। कुछ नहीं मिल रहा तो टैंपों से ही निकल पड़ रहे। प्रवासियों को लगने लगा है कि अगर फंस गए तो सड़क पर आ जाएंगे। कंपनी मालिक ने तो साथ छोड़ ही दिया है, सरकार भी कहीं का नहीं छोड़ेगी। दरअसल, दिल्ली में लाकडाउन की घोषणा हो चुकी है। मुंबई के कई क्षेत्रों में कफर्यू की स्थिति है।

सामान गिरवी रखकर कर रहे किराए का जुगाड़

सिनेमाहाल, माल और बाजार बंद होने के बाद कल-कारखाने लगभग बंद हो गए हैं। ऐसे में किराया नहीं मिलने पर कामगार अपना सामान गिरवी रखकर कर या उधार लेकर घर के तरफ चल दिए हैं। साेमवार को अपहराह्न 12.30 बजे के आसपास रेलवे स्टेशन के मुख्य गेट से करीब आधा दर्जन किशोर कंधे पर बैग लटकाए तेज कदमों के साथ बाहर निकल रहे थे। कहां जा रहे हो। महराजगंज, यह कहते हुए वे रुक गए। 18 से 22 साल उम्र वाले मनोहर, रुपेश, मंजीत और कृष्णकांत आदि ने बताया कि वे पेंटर हैं। मुंबई स्थित कंपनी के माध्यम से काम करते हैं। पिछले दस दिन से कंपनी बंद और मालिक भी फरार है।

एक सप्ताह से टिकट के लिए परेशान थे लेकिन कंफर्म नहीं मिल रहा था। आज जो स्पेशल आई है उसमें किसी तरह मिला है। जेब में किराए का पैसा नहीं था, तो दूसरे साथियों से उधार लिया है। उनकी कपड़ा पालिश की कंपनी है। वह भी जल्द ही बंद हो जाएगी। कोरोना को लेकर माहौल कैसा है, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि अब लोग डरने लगे हैं। दहशत बढ़ गया है। सब भाग रहे हैं। ट्रेनों में टिकट नहीं मिलने से परेशानी और बढ़ रही है। 

हर कोई घर जाने को परेशान

मनोहर, रुपेश और मंजीत ही नहीं इनके जैसे हजारों युवा कामगार महाराष्ट्र में आने के लिए परेशान हैं। यह तब है जब रोजाना मुंबई के विभिन्न स्टेशनों से दर्जन भर स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। ट्रेनों से होकर प्रतिदिन औसत दस हजार लोग गोरखपुर में उतर रहे हैं। इसके बाद भी टिकट नहीं मिल रहा है। 20 अप्रैल को ही मुंबई से गोरखपुर आने वाली कुशीनगर एक्सप्रेस में स्लीपर में 177, टूएस में 73 और एसी थर्ड में 40, एलटीटी-मुंबई में स्लीपर में 132, टूएस में 66 और एसी थर्ड में 46 तथा दादर एक्सप्रेस में स्लीपर में 110, टूएस में 94 तथा एसी थर्ड में 41 बर्थ खाली है। आलम यह है कि बुकिंग शुरू होते ही स्पेशल ट्रेनें पूरी तरह फुल हो जा रही हैं।

लाकडाउन की घोषणा होते ही फुल हो गई दिल्ली से आने वाली ट्रेनें

लाकडाउन की घोषणा होते ही दिल्ली से गोरखपुर और बिहार जाने वाली सभी स्पेशल ट्रेनें फुल गईं। हमेशा खाली चलने वाली हमसफर भी भी जगह नहीं बीच थी। सोमवार को हमसफर में 135 वेटिंग रहीं। जबकि, मंगलवार को 64 और बुधवार को 34 वेटिंग हो गई। अन्य सामान्य स्पेशल एक्सप्रेस भी देखते ही देखते भर गईं। वैशाली, सप्तक्रांति और बिहार संपर्क क्रांति में नो रूम हो गया। यानी, वेटिंग टिकट मिलना भी बंद हो गया। वैशाली के स्लीपर में 360 और बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में 334 वेटिंग हो गया।

रोडवेज बसों का टोटा, तीन से चार हजार वसूल रहे प्राइवेट चालक

दिल्ली से लखनऊ और कानपुर आने वाली बसों का टोटा हो गया है। बसें नहीं मिल रही हैं। ट्रेनें में टिकट नहीं मिलने पर लोग बस की तरफ भाग रहे हैं। लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लग रही है। प्राइवेट बस वाले मनमाना किराया वसूल रहे हैं। लोग प्राइवेट स्लीपर में तीन से चार हजार रुपये देने को मजबूर हैं। जबकि, 11 से 12 रुपये ही किराया निर्धारित है।

विभिन्न स्टेशनों के लिए और पांच स्पेशल ट्रेनों को हरी झंडी

यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न स्टेशनों के लिए और पांच स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की है। जिमसमें गोरखपुर के रास्ते मुंबई से छपरा के बीच भी एक जोड़ी स्पेशल ट्रेन चलाई जाएगी। इसके अलावा मंडुआडीह और लखनऊ के लिए भी बसें घोषित हुई हैं। फिलहाल, पहले से ही सिर्फ गोरखपुर के लिए 20 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं।

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