गोरखपुर विश्वविद्यालय : मेस का पता नहीं, छात्रों से हर माह वसूला जा रहा शुल्क
गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों से छात्रावास आवंटन के साथ ही मेस के लिए प्रथम किस्त की धनराशि ले चुका है। पंद्रह दिन गुजरने के बाद भी अभी तक किसी भी छात्रावास में मेस शुरू नहीं हुआ जिससे छात्रों को भोजन के लिए होटलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। वजह है विवि प्रशासन द्वारा शुल्क लेने के बाद भी मेस शुरू नहीं करना। विवि प्रशासन विद्यार्थियों से छात्रावास आवंटन के साथ ही मेस के लिए प्रथम किस्त की धनराशि ले चुका है। पंद्रह दिन गुजरने के बाद भी अभी तक किसी भी छात्रावास में मेस शुरू नहीं हुआ, जिससे छात्रों को भोजन के लिए पढ़ाई छोड़कर होटलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। मेस के लिए स्नातक प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष के लिए 18300 तथा तृतीय वर्ष के लिए 16800 प्रथम किस्त निर्धारित है।
शुल्क जमा कराने के बाद विवि प्रशासन ने छात्रावासों में नहीं शुरू किया मेस
अब छात्रों को दिसंबर में दूसरी किस्त जमा करनी है। ऐसे में छात्र इसको लेकर परेशान हैं कि बिना मेस शुरू किए ही उनसे धनराशि वसूली जा रही है। कही उनका पैसा विवि प्रशासन ऐसे ही हजम न कर जाएं। इधर छात्रावास में मेस नहीं चलने से छात्रों को उनके अभिभावक भी अब आगे उन्हें पैसा देने से मना कर रहे हैं।
छात्रावास में रहने वाले छात्रों के लिए मेस का संचालन आवश्यक है। जल्द ही विवि प्रशासन छात्रहित में निर्णय लेते हुए उन्हें कमरा आवंटित करने के साथ-साथ मेस का संचालन कराएगा। - विशेश्वर प्रसाद, कुलसचिव, गोरखपुर विश्वविद्यालय।
छात्रावास में रहने के लिए दूर-दराज से आने वाले अधिकांश छात्रों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती। वह किसी तरह अभिभावक से पैसा लेकर छात्रावास का फीस जमा करता है। उसके बाद भी हम बाहर खाने के लिए मजबूर हैं। - शिवम मिश्रा, छात्र।
अभी तक न तो हम लोगों का नवीनीकरण किया गया और न हीं मेस के विषय में ही कोई जानकारी दी गई। फीस लेने के बाद भी मेस शुरू न करना छात्रों को प्रताड़ित करना है। विवि प्रशासन को जल्द छात्रहित में इस पर निर्णय लेना चाहिए। - राहुल गौड़, छात्र।
हम सभी मेस का फीस देकर बैठे हैं। अभी तक छात्रावास में मेस शुरू होना तो दूर कमरे तक का आवंटन नहीं हुआ है। जिससे हम सभी परेशान हैं। - सतेंद्र चौहान, छात्र।