गोरखपुर में गर्भस्थ शिशु की गलत रिपोर्ट की जांच करेगा मेडिकल काउंसिल, आरोपी चार डाक्टरों से मांगा जाएगा जवाब
इस मामले की जांच के लिए सीएमओ द्वारा बनाए गए मेडिकल बोर्ड ने भी डाक्टरों को दोषी पाया था जिसके आधार पर अभिषेक ने कैंट थाने में चारो डाक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
गोरखपुर, जेएनएन। गर्भस्थ शिशु की गलत रिपोर्ट के मामले की जांच अब प्रदेश का मेडिकल काउंसिल करेगा। भारत सरकार के आयुर्विज्ञान आयोग ने काउंसिल को निर्देश दिया है। काउंसिल डाक्टरों को तलब कर उनसे जवाब मांगेगा। उन्हें छह माह के अंदर पेश होना है।
पिछले साल दिसंबर में हुई थी शिकायत
शिशु के पिता अभिषेक पांडेय ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग में 29 दिसंबर 2020 को शिकायत की थी। उन्होंने शहर के चार डाक्टरों डा. अंजू मिश्रा, डा. नेहल छापिडय़ा, डा. अरुणा छापडिय़ा व डा. काजल पर गर्भस्थ शिशु के बारे में सही जानकारी न देने का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था कि इन डाक्टरों ने अल्ट्रासाउंड जांच के बाद गर्भस्थ शिशु को पूर्ण बताया था। लेकिन जब ब'चा पैदा हुआ तो उसका एक हाथ नहीं है, नाक व सिर भी असामान्य है।
डाक्टरों ने दिव्यांग बच्चे को बताया स्वस्थ्य
देइपार निवासी अभिषेक कुमार पांडेय ने 27 वर्षीय पत्नी अनुराधा के गर्भधारण के बाद गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य एवं विकास के संबंध में जांच कराई। शुरू से लेकर आठवें महीने तक डाक्टरों ने जो जांच लिखी, उन्होंने सभी कराई। रिपोर्ट देखने के बाद सभी ने बच्चे को स्वस्थ्य बताया था। लेकिन जब बच्चा पैदा हुआ तो वह स्वस्थ नहीं था। वह पूरी तरह से दिव्यांग था। एक हाथ और एक पैर गायब था। साथ ही चेहरा भी चिपटा हुआ था। उसके बाद अभिषेक कुमार पांडेय बच्चे को लेकर संबंधित डाक्टरों के पास गए। बावजूद इसके किसी ने अपनी रिपोर्ट को गलत नहीं माना। पति और पत्नी अपने बच्चे को लेकर लगातार इधर से उधर दौड़ते रहे। पर डाक्टरों के चेहरे पर किसी तरह की कोई शिकन तक नहीं मिली।
मेडिकल बोर्ड ने भी कर रखा है डाक्टर को दोषी
इस मामले की जांच के लिए सीएमओ द्वारा बनाए गए मेडिकल बोर्ड ने भी डाक्टरों को दोषी पाया था, जिसके आधार पर अभिषेक ने कैंट थाने में चारो डाक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग में शिकायत की थी। शिकायतकर्ता अभिषेक पांडेय ने बताया कि दिसंबर में आयोग से शिकायत की गई थी। लेकिन इसके बाद डाक्टरों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए ब'चे के इलाज के लिए आर्थिक सहयोग दिया है। फिर शिकायत वापस ले ली गई। उसके बाद कोई शिकायत नहीं की गई है। डा. अरुणा छापडिय़ा व डा. अंजू मिश्रा ने बताया कि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। मेडिकल काउंसिल से इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।