पौराणिक व धार्मिक महत्व वाली इस नदी के बहुरेंगे दिन, जीवंत होगा जलस्त्रोत Gorakhpur News

बांसी नदी की दुर्दशा को देखकर व्यथित प्रदेश के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्र लिखकर इसकी हालत सुधारने की पहल की है।

By Edited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 11:51 AM (IST)
पौराणिक व धार्मिक महत्व वाली इस नदी के बहुरेंगे दिन, जीवंत होगा जलस्त्रोत Gorakhpur News
पौराणिक व धार्मिक महत्व वाली इस नदी के बहुरेंगे दिन, जीवंत होगा जलस्त्रोत Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। पौराणिक व धाíमक महत्व वाली बांसी नदी के दिन अब बहुरने वाले हैं। सिल्ट व जलकुंभी से पट कर नाला का रूप अख्तियार कर चुकी इस नदी को बचाने के लिए कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। मौर्य ने कहा है कि कुशीनगर जनपद के बांसीधाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से इस इलाके में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

इसके पूर्व भाजपा नेता व कुशीनगर सिविल सोसाइटी अध्यक्ष गिरीश चंद्र चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह व मनरेगा सेल के जिला समन्वयक प्रेम प्रकाश तिवारी को पत्र सौंप नदी के जीर्णोद्धार की मांग की थी। जिसका संज्ञान लेकर डीएम ने बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता से स्थलीय निरीक्षण कर इस जलस्त्रोत को बचाने के लिए स्टीमेट मांगा था।

नारायणी नदी से निकली है बांसी नदी

खड्डा तहसील के भेड़िहारी के समीप कलनही जंगल बांसी नदी का उद्गम स्थल है जो बड़ी गंडक से जुड़ा था। कालांतर में बड़ी गंडक के भैंसहा गांव तक आ जाने की वजह से मौजूदा समय में उद्गम स्थल बुलहवां न्याय पंचायत के पूर्वी छोर (श्रीपत नगर, बिहार प्रांत) से दृष्टिगोचर होता है। यहां सिल्ट जमा हो जाने से नदी में जल प्रवाह समाप्त हो गया है। आगे बढ़ने पर नदी सिकुड़ती जा रही है।

कार्मिक पूíणमा को लगता है भव्य मेला

भगवान श्रीराम के जनकपुर से बरात लेकर अयोध्या वापस होते समय त्रिलोकपुर के रामघाट पर विश्राम करने की पौराणिक मान्यता है। काíतक पूíणमा के अवसर पर यहां भव्य मेला लगता है। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु बिहार व यूपी की सीमा पर सिंघापट्टी में मेला में शिरकत करते हैं और नदी में डुबकी लगाते हैं। पवित्र बांसी नदी में जल की कमी, सिल्ट व जलकुंभी के कारण श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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