महराजगंज में 43 दिन बाद भी महाव तटबंध की नहीं हो सकी मरम्मत

15 जून से महाव का तटबंध झिगटी खैरहवा दुबे अमहवा विशुनपुरा गांवों के सामने टूटा हुआ है। हालांकि कटान स्थलों को भरने का कार्य माह भर बाद भी शुरू न कराए जाने से किसानों को क्षति उठानी पड़ी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:10 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:10 AM (IST)
महराजगंज में 43 दिन बाद भी महाव तटबंध की नहीं हो सकी मरम्मत
महराजगंज में 43 दिन बाद भी महाव तटबंध की नहीं हो सकी मरम्मत

महराजगंज: सिचाई खंड दो के जिम्मेदारों की लापरवाही अब नौतनवा तहसील क्षेत्र के किसानों पर भारी पड़ रही है। क्षेत्र से होकर बहने वाला महाव नाला विभाग के बाढ़ बचाव की कागजी तैयारियों की पोल खोल दिया है। यहां नाले का तटबंध बीते 15 जून से पांच स्थानों पर टूटा हुआ है। जिसमें जद्दोजहद के बाद झिगटी व खैरहवा दुबे गांव के सामने टूटे कटान स्थलों को भरने का कार्य तो मनरेगा से शुरु करा दिया गया है। यहां बोरियों में मिट्टी भरने के लिए मजदूर काम पर लगा दिए गए हैं, लेकिन विशुनपुरा व अमहवा गांव के सामने कटान स्थलों को भरने का कार्य 43 दिन बाद भी शुरू नहीं हो सका है।

बीते 15 जून से महाव का तटबंध झिगटी, खैरहवा दुबे, अमहवा, विशुनपुरा गांवों के सामने टूटा हुआ है। हालांकि कटान स्थलों को भरने का कार्य माह भर बाद भी शुरू न कराए जाने से किसानों को क्षति उठानी पड़ी। जनप्रतिनिधि भी महाव नाले की बात सुन हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में बाढ़ प्रभावित गांवों के किसान अपना दुखड़ा किसको सुनाए यह उनके सामने एक बड़ा सवाल बना हुआ है। हालांकि समय समय पर नाले के उफनाने से कटान स्थालों की चौड़ाई बढ़ती जा रही है। नाले की धारा प्रभावित गांवों की तरफ मुड़ गई है । महाव के टूटे तटबंध के मरम्मत के लिए 19 जुलाई को प्रभावित गांवों के ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार से मिलकर समस्या के समाधान की मांग की थी। वन विभाग पर आरोप मढ़ कर सिचाई विभाग ने साधी चुप्पी

सिचाई व वन विभाग की आपसी खींचतान के चक्कर में क्षेत्र के किसान पिस रहे हैं। सिचाई खंड दो के अधिकारियों ने जंगल में नाला सकरा होने की बात कर पूरे प्रकरण से किनारा कस लिया है। इस संबंध में अधिशासी अभियंता राजिव कपिल ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है।

डीएम डा. उज्ज्वल कुमार ने बताया कि महाव के टूटे तटबंध की मरम्मत के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। कुछ स्थानों पर कार्य आरंभ कर दिया गया है। शीघ्र ही सभी स्थानों पर बंधों की मरम्मत का कार्य पूर्ण करा दिया जाएगा।

यहां के खौफनाक मंजर देख सहम जाते हैं ग्रामीण

नौतनवा क्षेत्र के गांवों को बाढ़ से बचाने की प्रशासनिक तैयारियां कागजों में सिमटकर रह गई है। यहां न तो झाड़-झंखाड़ से पटे नालों के प्रवाह मार्ग को दुरुस्त कराया गया और न ही जर्जर बांधों की मरम्मत पर ही कोई ध्यान दिया गया। अब पानी के भारी दबाव के कारण उफनाए नदी नाले क्षेत्र में तबाही मचाना शुरु कर दिए हैं। जिससे बचाने का कोई उपाय प्रशासन को नहीं सूझ रहा है। आंकड़े गवाह हैं कि बारिश का मौसम शुरु होते ही झरही, चंदन, सोनिया नाला, महाव, बघेला, रोहिन, डंडा जैसे पहाड़ी नदी-नाले उफनाकर तटवर्ती गांवों के किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाते हैं। इनके मटमैले पानी से न केवल धान की सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो जाती है। वहीं दूसरी ओर बाढ़ से घिरे गांवों के लोगों को तमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। बीते कई दशकों से महाव नाले की तबाही का मंजर देख रहे विशुनपुरा गांव के किसान जय प्रकाश तिवारी, शेषमन, सुन्नर, भगवती त्रिपाठी आदि का कहना है कि बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग साल दर साल समस्या के समाधान के लिए प्रशासनिक अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों की ओर उम्मींद भरी नजरों से देखते हैं, लेकिन उन्हें मिलता है, तो सिर्फ और सिर्फ कोरा आश्वासन। क्षेत्र में बाढ़ बचाव की जमीनी पड़ताल बताती है कि 12 गांवों के लिए अभिशाप बना महाव नाला अपने रेत से बने तटबंध को कई स्थानों पर तोड़कर भारी तबाही मचा रहा है। उपजिलाधिकारी रामसजीवन मौर्य का कहना है कि बाढ़ से बचाव के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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