UP board: मदरसा की छात्राओं ने अंग्रेजी माध्यम में लहराया परचम Gorakhpur News
यूपी बोर्ड की परीक्षा में मदरसा की छात्राओं ने अंग्रेजी माध्यम में बेहतर प्रदर्शन किया है।
गोरखपुर, जेएनएन। आमतौर पर मदरसों को धार्मिक शिक्षा तक सीमित समझा जाता था, लेकिन धारणाएं बदल रही हैं। मदरसे में शिक्षा का माध्यम सिर्फ अरबी या उर्दू नहीं बल्कि अंग्रेजी भी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के पहले अंग्रेजी माध्यम मदरसा जेएसएफ जहरा के कक्षा दस की छात्राओं ने यूपी बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम से प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की है। इनमें कई छात्राओं ने 80 फीसद से भी अधिक अंक पाकर परचम लहराया है। मदरसे में छात्राएं उर्दू, अरबी, कंप्यूटर, गणित और विज्ञान विषय की आला तालीम के साथ-साथ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना भी सीख रहीं हैं।
छात्राओं ने हाई स्कूल परीक्षा में 80 फीसद से अधिक अंक किया अर्जित
समय के साथ मदरसों की शिक्षा हाईटेक हो रही है। उद्देश्य है कि यहां से निकलने वाले विद्यार्थी दुनियावी तालीम लेकर इतने परिपक्व हो जाएं कि बदलते वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। अब तक मदरसों में छात्रों को हाफिज, कारी, आलिम का कोर्स कराया जाता था। यह बच्चे बाद में किसी मस्जिद में इमाम या मदरसे में शिक्षक बन जाते हैं। इन्हें वेतन बहुत कम मिलता है। छात्राओं को तो यह अवसर भी नहीं मिल पाता।
छात्राओं ने बदल दी लोगों की धारणा
गोरखनाथ के जामिया नगर स्थित मदरसा जेएसएफ जहरा ने मदरसों को लेकर चली आ रही धारणा को बदला है। वहां की 15 छात्राएं पहली बार यूपी बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम से हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल हुईं। सभी ने प्रथम श्रेणी से परीक्षा उत्तीर्ण की। शाहीना खातून ने 83 फीसद, सानिया परवीन एवं हादिया अहमद ने 82.5 फीसद, आफिया मिर्जा और लाइबा हबीब ने 80.5 फीसद अंक हासिल किया। बकौल शाहीन, अंग्रेजी से हमेशा ही लगाव रहा है। उम्मीद नहीं थी कि मदरसे में इतनी अच्छी अंग्रेजी पढ़ाई जाएगी। परीक्षा परिणाम ने हम सबका हौसला बढ़ाया है। अंग्रेजी की शिक्षक आसिया बताती हैं, कोशिश है कि बच्चियों को हर वो चीज बताई जाए, जो बड़े अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई जाती है। हर महीने विशेष लेक्चर के लिए बाहर से अतिथि बुलाए जाते हैं।
अच्छा नहीं है मदरसों में शिक्षा का स्तर
जिले में मदरसों की संख्या तकरीबन 225 है, लेकिन उनमें शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है। वर्षों पहले का पाठ्यक्रम आज भी पढ़ाया जा रहा है। यही वजह है कि मदरसे से निकले छात्रों को जल्द नौकरी नहीं मिल पाती है। जेएसएफ जहरा के संचालक मुफ्ती मतीउर्रहमान ने बताया कि मदरसे का बेसिक पाठ्यक्रम को छोड़कर यूपी बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम स्वरूप को अपनाया गया। जो ब'चे कमजोर होते हैं उनके लिए अलग से कक्षाएं चलाई जाती हैं। यही वजह है कि पहली बार में ही बच्चियों ने नाम रोशन किया।