मां को तो खो दिया, अब पिता को बचाने के लिए जंग लड़ रही एक बेटी Gorakhpur News

कोरोना के संकट काल में बिना विचलित हुए और घबराए एक बेटी संतान होने का दायित्व बखूबी निभा रही है। 15 दिनों से वह कोरोना से जंग लड़ रही है। इस जंग में उसने मां को खो दिया।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 02:10 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 02:10 PM (IST)
मां को तो खो दिया, अब पिता को बचाने के लिए जंग लड़ रही एक बेटी Gorakhpur News
कूड़ाघाट की 22 वर्षीय युवती निहारिका। फोटो स्‍वत:

गोरखपुर, जेएनएन : कोरोना के संकट काल में बिना विचलित हुए और घबराए एक बेटी संतान होने का दायित्व बखूबी निभा रही है। 15 दिनों से वह कोरोना से जंग लड़ रही है। इस जंग में उसने मां को खो दिया। मां की मौत के सदमे से अभी उबर भी नहीं पाई थी कि पिता की तबीयत काफी खराब हो गई। मां की स्मृतियों को संजोए, आंखों में आंसू लिए अब पिता को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। उनका इलाज बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में चल रहा है।

मां ने सदमे में तोड़ दिया दम

कूड़ाघाट की 22 वर्षीय युवती निहारिका अपने माता-पिता के साथ रहती थी। उनकी तीन बहनों की शादी हो गई है। निहारिका व उसके पिता गुलाब अग्रहरि को हल्का बुखार हुआ तो उन्होंने कोरोना जांच कराई। 29 अप्रैल को रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। दोनों लोग अलग-अलग कमरे में आइसोलेट हो गए। उसी दिन शाम को निहारिका की मां का सदमे में निधन हो गया। अभी वह मां की मौत के सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि दूसरे दिन ही पिता की तबीयत भी काफी खराब हो गई। बेटी निहारिका ने स्वयं संक्रमित होने के बावजूद कठिन परिश्रम के बाद पिता को टीबी अस्पताल में भर्ती कराया। खुद भी उसी अस्पताल में भर्ती हुई ताकि उनकी देखभाल की जा सके। गुलाब अग्रहरि की तबीयत ज्यादा खराब होने पर किसी तरह उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। अभी उनका इलाज चल रहा है। बेटी स्वयं संक्रमण से मुक्त हो गई है लेकिन पिता को बचाने के लिए अनवरत संघर्ष कर रही है। यह जानते हुए कि मेडिकल कालेज जाने पर भी वह पिता से नहीं मिल पाएगी, वहां रोज दो से तीन बार जाती है। जो भी डाक्टर, नर्स या अन्य स्टाफ वार्ड से बाहर आता दिखता है, दौड़कर उनके पास जाती है और अपने पिता के बारे में पूछती है। कोई कुछ बता देता है और किसी को कुछ पता नहीं होता।

बेटियों ने कराया मां का अंतिम संस्कार

मां के अंतिम संस्कार में कोई शामिल नहीं हुआ। न शुभचिंतक आए और न ही पड़ोसी। पुरोहित ने भी आने से मना कर दिया। चारों बेटियों ने सभी औपचारिकताएं पूरी की और बीमार पिता के हाथों मां को मुखाग्नि दिलाई।

अब फोन पर रोज मिलती है सूचना

पिता की तबीयत के बारे में चार दिनों तक कोई सूचना नहीं मिलने पर बेटी ने प्राचार्य कार्यालय में जाकर पिता के बारे में जानने की कोशिश की। इसके बाद अब उसके पास कालेज से रोज फोन आता है और पिता की तबीयत के बारे में बताया जाता है, लेकिन निहारिका कहती है कि केवल इतना ही बताया जाता है कि तबीयत गंभीर है। आक्सीजन लेवल इतना है। मैंने तो उन्हें सुधार के लिए भर्ती कराया है और वह नहीं हो रहा है।

डीएम की मदद से आइसीयू में कराया शिफ्ट

निहारिका ने बताया कि पिता गुलाब अग्रहरि को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया गया था। उनकी तबीयत काफी खराब थी। आक्सीजन लेवल 80 फीसद से नीचे आ गया था। उन्हें आइसीयू में भर्ती नहीं किया जा रहा था। ऐसे में उसने डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन को फोन किया तब उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया।

सबसे कठिन दौर

निहारिका ने बताया कि यह मेरे लिए सबसे कठिन दौर है। मां तो चली गई लेकिन अब पिता को बचाने की पूरी कोशिश कर रही हूं। अब मेरा एक ही लक्ष्य है कि अपने पिता को बचा लूंं। भगवान से भी प्रार्थना है कि वे मेरी मदद करें।

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