यूपी के इस जिले के जंगल में भगवान परशुराम ने जनकपुर से लौटते समय किया था तप Gorakhpur News

पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में सलेमपुर तहसील के निकट सोहनाग में परशुराम धाम है। भगवान परशुराम वायु मार्ग से जनकपुर पहुंचे थे। जनकपुर से लौटते समय रास्ते में यहां की प्राकृतिक छटा देखकर आकर्षित हुए और रात्रि विश्राम के लिए सोहनाग में रुके।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 10:50 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 10:50 AM (IST)
यूपी के इस जिले के जंगल में भगवान परशुराम ने जनकपुर से लौटते समय किया था तप Gorakhpur News
देवरिया के सलेमपुर तहसील के निकट सोहनाग स्थित परशुराम धाम मंदिर में स्थापित भगवान परशुराम की प्रतिमा । जागरण

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, गोरखपुर : पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में सलेमपुर तहसील के निकट सोहनाग में परशुराम धाम है। भगवान परशुराम वायु मार्ग से जनकपुर पहुंचे थे। जनकपुर से लौटते समय रास्ते में यहां की प्राकृतिक छटा देखकर आकर्षित हुए और रात्रि विश्राम के लिए सोहनाग में रुके। काफी समय तक ध्यान और तप किया। भगवान परशुराम का यह मंदिर करीब दो सौ साल पुराना माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन मंदिर में भगवान का दर्शन करने बिहार, झारखंड मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा नेपाल से भी श्रद्धालु आते हैं, लेकिन कोरोना के चलते इस बार चहल-पहल काफी कम है।

देवरिया से 34 किमी दूर है परशुराम धाम

परशुराम धाम देवरिया जिला मुख्यालय से लगभग 34 किलोमीटर दूर है। मान्यता है कि इस स्थल पर जंगल था। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने जनकपुर में धनुष तोड़ा था तो भगवान परशुराम वायु मार्ग से जनकपुर पहुंच गए। जनकपुर में लक्ष्मण-परशुराम के बीच संवाद हुआ। उसके बाद वह जनकपुर से लौटते समय सलेमपुर के निकट रास्ते में सोहनाग में जंगल को देख विश्राम के लिए भगवान परशुराम सोहनाग में रुक गए।

सरोवर के बारे में यह मान्यता

सोहनाम में भगवान परशुराम के मंदिर के बगल में 10 एकड़ में सरोवर है, जिसका पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि कई सौ वर्ष पूर्व नेपाल के राजा सोहन तीर्थाटन को निकले थे। उन्होंने इसी स्थान पर विश्राम किया था। सरोवर के पानी से शरीर स्पर्श हुआ तो उनका कुष्ठ रोग समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने पोखरे की खोदाई कराई, जिसमें भगवान परशुराम उनकी माता रेणुका, पिता जमदग्नि, भगवान विष्णु की काले पत्थर की प्रतिमा मिली। उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। मान्यता है कि उसी समय से इस स्थान का नाम राजा सोहन के चलते सोहनाग हो गया। ज्योतिषाचार्य अखिलेश शुक्ल बताते हैं कि कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए हर रविवार व मंगलवार को देश के कई प्रांतों  के लोग स्नान करने नियमित आते हैं। लोगों का मानना है कि इस सरोवर  में स्नान करने से भगवान परशुराम की कृपा से रोग से काफी हद तक राहत मिलती है।

आकर्षण का केंद्र हैं प्रतिमाएं

खुदाई में प्राप्त भगवान परशुराम, उनकी माता रेणुका, पिता जमदग्नि, भगवान विष्णु की काले पत्थर की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। उनकी मूर्तियों के बारे में कहा जाता है कि यह गुप्त कालीन है।

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