भगवान झूलेलाल महोत्सव 25 अगस्त को, तैयारियों में जुट गया सिंधी समाज
भगवान झूलेलाल का महोत्सव 25 अगस्त को मनाया जाएगा। कोविड प्रोटोकाल के मानकों का पालन करते हुए शोभायात्रा निकाली जाएगी। सिंधी समाज महोत्सव की तैयारियाें में जुट गई है। चालिहो महोत्सव 16 जुलाई से ही शुरू हो चुका है जो 24 अगस्त तक चलेगा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिंधी समाज के आराध्य भगवान झूलेलाल का महोत्सव 25 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। कोविड प्रोटोकाल के अनुसार सामान्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। भगवान की मूर्तियों की झांकियां ही शोभायात्रा में शामिल होंगी। ज्वलंत मुद्दों पर झांकियां बनाने के बारे में अभी निर्णय नहीं हो पाया है। सिंधी समाज महोत्सव की तैयारियों में जुटा हुआ है। 16 जुलाई से ही चालिहो महोत्सव शुरू हो चुका है जो 24 अगस्त तक चलेगा। इन 40 दिनों में श्रद्धालु स्वयं को आत्मा, मन, वचन व शरीर से पवित्र कर रहे हैं। गोरखनाथ स्थित एक मैरिज हाल व जटाशंकर स्थित श्रीलक्ष्मी सत्संग भवन में सामूहिक आरती की गई। चालिहो महोत्सव के अंतिम नौ दिन सघन साधना के होंगे। 25 अगस्त को निर्मल मन व शरीर से भगवान की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी।
हर घर में महोत्सव की शुरू हो गईं तैयारियां
दिविषा ऐलानी ने कहा कि सिंधी समाज के हर घर में महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 16 जुलाई से ही हम लोग घरों में पूजा-अर्चना कर स्वयं को पवित्र कर रहे हैं। माहौल भक्तिमय हो गया है।
महोत्सव को भव्य बनाने में जुटे हुए हैं लोग
मंजू केशवानी ने कहा कि सभी लोग महोत्सव को भव्य बनाने में जुटे हुए हैं। तैयारियां जोरशोर से चल रही है। यह महोत्सव सिंधी समाज की पहचान है। इसी के माध्यम से हम एक जगह एकत्र होते हैं।
एकता के सूत्र में पिरोता है ये महोत्सव
ऋषिका वरयानी ने कहा कि भगवान झूलेलाल की पूजा हमारे लिए केवल अध्यात्म का विषय नहीं है बल्कि इसकी सामाजिक उपयोगिता भी है। यही वह महोत्सव है जो हमें एकता के सूत्र में पिरोता है।
घरों में है उत्सव का माहौल
कविता नेभानी ने कहा कि झूलेलाल महोत्सव हमारा सबसे बड़ा त्योहार है। इसे लेकर घरों में उत्सव का माहौल है। चालिहो महोत्सव चल रहा है। पूजा-अर्चना के साथ हम तैयारियां भी कर रहे हैं।
इसी महोत्सव की वजह से दूर हुईं परेशानियां
बकौल सुनीता वालानी, आजादी के बाद यहां आने पर जो परेशानियां सामने आईं, इसी महोत्सव की वजह से वह दूर हुईं। पूरा सिंधी समाज एक जगह इकट्ठा हो सका, उसे ताकत मिली।
महोत्सव मनाने से एक-दूसरे से मिलते गए लोग
साधना फतवानी ने कहा कि जब हमारे पूर्वज यहां आए तो जगह-जगह बिखर गए। कोई किसी को जानता तक नहीं था। जब यह महोत्सव मनना शुरू हुआ तो सभी लोग एक-दूसरे से मिले।