Lockdown ने बढ़ाई घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा व अज्ञात भय Gorakhpur News
इमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों में घबराहट बेचैनी व अज्ञात भय की बात सामने आई है। किसी की छाती धड़क रही है किस के हाथ-पैर कांप रहे हैं तो किसी का मुंह सूख रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन ने जहां अनेक लोगों को रचनात्मक कार्यों के लिए प्रेरित किया, वहीं बड़ी संख्या में लोगों के भीतर घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा व अज्ञात डर भी पैदा हुआ है। ऐसे भी मरीज सामने आए जो मोबाइल या टीबी देखते-देखते अचानक भयभीत हो गए, खासकर यह बच्चों के साथ हुआ। घबराहट व बेचैनी तो आम बात हो गई है। डॉक्टरों के पास ज्यादातर फोन इसी बीमारी के लिए जा रहे हैं। कुछ लोग तो सीढ़ी से नीचे उतरने में डर रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विशेषज्ञ को फोन कर एक व्यक्ति ने कहा कि उसका 10 साल का बेटा लगातार टीबी व मोबाइल देख रहा था। अचानक एक दिन मोबाइल पर वीडियो देखते हुए बुरी तरह से डर गया। वह मुझे छोड़ ही नहीं रहा है। उसे नींद भी नहीं आ रही। हमेशा मुझे पकड़े हुए है। इसी तरह एक अन्य व्यक्ति ने फोन कर कहा कि लॉकडाउन से ही वह घर से बाहर नहीं निकला। दिन भर घर में रहा। उसके भीतर अज्ञात भय समा गया है। घर में ठीक है लेकिन घर से बाहर निकलने व सीढ़ी से उतरने में डर लग रहा है। ऐसा भी लगता है कि मुझे कोरोना तो नहीं हो जाएगा। नींद भी नहीं आ रही है।
खालीपन और आलस्य ही मुख्य कारण
जिला अस्पताल व बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में मानसिक रोग विभाग की इमरजेंसी सेवा चल रही है। इमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों में घबराहट, बेचैनी व अज्ञात भय की बात सामने आई है। किसी की छाती धड़क रही है, किस के हाथ-पैर कांप रहे हैं तो किसी का मुंह सूख रहा है और नींद नहीं आ रही है, 24 घंटे उदासी घेरे हुए है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ये ज्यादा बढ़ जाए तो मरीज डिप्रेशन में जा सकते हैं। इसका मूल कारण खालीपन व आलस्य है। इससे बचने के लिए खुद को खुश व व्यस्त रखने की कोशिश करनी चाहिए। रचनात्मक कार्यों से जुड़कर खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जा सकता है।
कुछ न कुछ करते रहने से दूर होगी समस्या
जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. अमित शाही का कहना है कि इमरजेंसी में कुछ मरीज आए और कुछ के फोन भी इस तरह के आए जिन्हें घबराहट, बेचैनी, डर आदि की समस्या थी। आमतौर पर खालीपन से तनाव उत्पन्न होता है और उसकी वजह से ये बीमारियां हो रहीं हैं। खाली न बैठें। योग करें, गार्डेन में पानी डालें। कविताएं लिखें। जरूरत से ज्यादा टीबी व मोबाइल पर समय न दें।
ज्यादातर मरीज फोबिया के शिकार
बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग के विभागाध्यक्ष तापस कुमार का कहना है कि इस समय ज्यादातर मरीज फोबिया के शिकार हैं। हाथ-पैर कांपने, मुंह सूखने, घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा व डर की समस्या ज्यादातर मरीजों में है। यदि तनाव बढ़ा तो सीधे डिप्रेशन में ले जाएगा, जिसका इलाज बहुत मुश्किल होता है। इसलिए वह काम करें जिसमें खुशी मिलती हो। खुद खुश रहें, दूसरो को भी खुश रखें।