शिव पार्वती विवाह प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रोता

नगर पंचायत डुमरियागंज के आजादनगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पं. राकेश शास्त्री ने सनातन धर्म के प्रति लोगों को जागृत करते हुए मानवता के विस्तार के लिए श्रीराम के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भगवान शिव पार्वती विवाह की कथा का रसपान कराया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 10:10 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 10:10 PM (IST)
शिव पार्वती विवाह प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रोता
शिव पार्वती विवाह प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रोता

सिद्धार्थनगर : नगर पंचायत डुमरियागंज के आजादनगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पं. राकेश शास्त्री ने सनातन धर्म के प्रति लोगों को जागृत करते हुए मानवता के विस्तार के लिए श्रीराम के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भगवान शिव पार्वती विवाह की कथा का रसपान कराया।

कथा व्यास ने बताया कि दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपने यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। क्योंकि भगवान शिव से दक्ष प्रजापति ईष्र्या रखते थे। सती के हठ करने के बाद भगवान ने अपने गणों के साथ में सती को पिता के यहां भेज दिया। सती जब पिता के यहां जाती हैं तो वहां केवल उनकी माता उनसे प्रेम से मिलती हैं। अन्य ने ऐसा व्यवहार किया कि ऐसा लग रहा था सती को जानते ही नहीं हैं। सती ने यह सब सहन किया परंतु जब सती ने देखा कि भगवान शंकर का यज्ञ में कहीं कोई स्थान नहीं, कहीं कोई भाग नहीं तो पति के अपमान को वह सहन नहीं कर पाई। उन्होंने अग्नि में अपने को समर्पित कर दिया। वहीं सती जाकर राजा हिमवान के यहां जन्म लेती हैं। नारद जी उनकी हस्तरेखा देखकर के उन्हें बताते हैं कि आपको भगवान शंकर पति रूप में प्राप्त होंगे। पार्वती जी ने घोर तपस्या किया, तब भगवान शंकर के साथ में पार्वती जी का विवाह संपन्न हुआ। कथा के अंतर्गत शंकर जी का विवाह कराया गया। रामजन्मोत्सव का मंचन देख भाव विह्वल हुए लोग

सिद्धार्थनगर : नगर के शीतलगंज स्थित राम जानकी मंदिर में आयोजित रामलीला के दूसरे दिन रात में कलाकारों ने श्री राम जन्मोत्सव की मनोहर प्रस्तुति किया। भगवान के अवतरण के कारणों को भी मंचन के जरिये कलाकारों ने बताया। जन्मोपरांत सोहर व बधाई गीतों पर श्रोता झूमने को विवश हो गए।

भगवान श्री हरी विष्णु की मनोहारी झांकी के उपरांत प्रारंभ हुई रामलीला में रावण के अत्याचार का मंचन हुआ जिसमें पृथ्वी को गाय रूप में दिखाते हुए देवताओं से प्रार्थना करने का दृश्य बड़ा ही मार्मिक रहा। देवता पृथ्वी को लेकर विष्णु के पास गए, और भगवान से निवेदन किए कि प्रभु आप धरा धाम पर अवतार लेकर पृथ्वी पर हो रहे अत्याचार को समाप्त करें। देवताओं की विनती को स्वीकार करके भगवान नारायण अयोध्या में महाराज दशरथ के यहां कौशल्या माता के गर्भ से श्री राम के रूप में अवतार लिया, और अपने अभिन्न अंशों को अपने भाइयों के रूप में धरा धाम पर अवतरित किए। पंडाल दर्शकों से खचाखच भरा रहा। लोग परमानंद भगवान श्री राम के प्राकट्य उत्सव के आनंद में भाव विभोर हो गए। रामलीला का संचालन आचार्य पंडित हरिवेंद्र त्रिपाठी ने किया। गंगा प्रसाद मिश्र, बृज बिहारी शुक्ल, ओम प्रकाश पांडेय, राजेश सोनी, भोला नाथ पाठक ,पल्लू बाबा, सौरभ, राकेश यादव ,रिकू यादव, रामकृष्ण मिश्रा, हनुमान प्रसाद चौधरी ,बाबा विश्वनाथ दास, चीनक यादव आदि उपस्थिति रहे।

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