शराब के अवैध कारोबारियों का परगापुर ताल पर कब्जा, जहरीला हुआ ताल का पानी Gorakhpur News

शरद ऋतु का मौसम आते ही परगापुर ताल में देशी विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। लेकिन अब स्थानीय शिकारियों के साथ ही ताल का जहरीला जल भी उनकी जान का दुश्मन बन रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 08:51 AM (IST)
शराब के अवैध कारोबारियों का परगापुर ताल पर कब्जा, जहरीला हुआ ताल का पानी Gorakhpur News
परगापुर ताल में शराब के अवैध कारोबारियों द्वारा रखी गई लहन।

गोरखपुर, जेएनएन। फरेंदा वन क्षेत्र के परगापुर ताल का अवैध शराब कारोबारी भरपूर फायदा उठा रहे हैं। कच्ची के कारोबारियों का ताल पर कब्जा हो गया है। शराब बनाने के लिए जो लहन तैयार की जाती है, उसे सडऩे के लिए प्लास्टिक के बोरे में भरकर पानी में दबा दिया जाता है। लहन व शराब बनाने में प्रयोग होने वाले अन्य सामान के अवशेष ताल व उसके किनारे बिखरे पड़े रहते हैं। शरद ऋतु का मौसम आते ही परगापुर ताल में देशी, विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। लेकिन अब स्थानीय शिकारियों के साथ ही ताल का  जहरीला जल भी उनकी जान का दुश्मन बन रहा है। इस कारण इन मेहमान पक्षियों का ताल से मोहभंग हो रहा है। हर साल ताल साइबेरियन पक्षियों से भरा रहता था।  इस संबंध में आबकारी निरीक्षक रवि विद्यार्थी ने कहा कि पुलिस व आबकारी विभाग की टीम अवैध शराब के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है। जल्द ही इस क्षेत्र को अवैध शराब निर्माण से मुक्त करा दिया जाएगा।

ऐसे जहरीला हो रहा पानी

कच्ची शराब बनाने के लिए कारोबारियों द्वारा हानिकारक रासायनिक पदार्थों का प्रयोग धड़ल्ले से किया जाता है। लहन तैयार करने के लिए महुआ, गुड़, ईस्ट, यूरिया, सड़े संतरे, सेब, केला व आक्सीटोसिन जैसे केमिकल पदार्थ मिलाकर सडऩे के लिए ताल के पानी में रखकर दबा दिया जाता है। जिसकी वजह से वह लहन, मिथाइल एल्कोल्हल में बदल जाता है। साथ ही यही अल्कोहल पानी में मिलकर पानी को जहरीला बना रहा है, वहीं कचरा छिपाने के लिए कारोबारी उसे ताल में फेंक देते हैं।

ताल के पानी पर निर्भर हैं जानवर

परगापुर ताल फरेंदा तहसील क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लिए लाइफ लाइन है।क्षेत्र के बैलौहा, बनदेईया, हथिगढ़वा, खरिहनिया, पुरंदरपुर, कुसहटिया, नगेसरापुर सहित अन्य गांवों के लोग खेती- बारी के लिए इसी ताल पर निर्भर हैं। यहां के किसानों के पशु व जंगली जानवर भी इसी ताल के पानी पर जीवन यापन कर रहे हैं। ङ्क्षकतु अवैध शराब कारोबारियों ने उनके हलक को ही सूखा रहने पर मजबूर कर दिया है।

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