भाजपा की जिला, महानगर इकाइयों की तरह अब मंडल इकाइयां भी बनेंगी 'आत्मनिर्भर'
आगामी विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अपने मंडल इकाइयों को स्वायत्तता देने का न केवल निर्णय लिया है बल्कि इसे लेकर अधिकार देना भी शुरू कर दिया है। इसके पीछे पार्टी का मकसद शक्ति केंद्रों और बूथों को और अधिक मजबूती देना है।
गोरखपुर, डा. राकेश राय। प्रदेश में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के लिए भाजपा तरह-तरह के संगठनात्मक बदलाव भी कर रही है। इसी क्रम में पार्टी ने जिले के एजेंट की तरह काम करने वाले मंडलों को स्वायत्तता देने का न केवल निर्णय लिया है बल्कि इसे लेकर अधिकार देना भी शुरू कर दिया है। इसके पीछे पार्टी का मकसद शक्ति केंद्रों और बूथों को चुनावी दृष्टि से और अधिक मजबूती देना है। बदली परिस्थिति में अब बूथ समितियाें और शक्ति केंद्रों की जिले से पहले मंडलों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है।
प्रदेश स्तर की बैठकों में बुलाए जा रहे मंडल अध्यक्ष, जिलाध्यक्षों सा मिल रहा महत्व
दरअसल अब तक बूथ समितियों, शक्ति केंद्रों और मंडलों की जवाबदेही सीधे जिला कार्यकारिणी के प्रति होती थी। ऐसे में बूथ से लेकर जिले के बीच सीधे तौर पर एक बड़ा अंतराल होता था, जिसके चलते संगठनात्मक रूप से बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को सहेजने में दिक्कत होती थी। इसके अलावा बूथ और शक्ति केंद्र पर पार्टी के प्रयास को वह फलक नहीं मिल पाता था, जो चुनावी दृष्टि से मिलना चाहिए।
इसलिए बूथ और जिले के बीच मंडल को जिले की तरह स्वायत्तता देने की जरूरत पार्टी नेतृत्व को महसूस हई। ऐन चुनाव के मौके पर यह संगठनात्मक बदलाव उसी का नतीजा है। स्वायत्तता देने के क्रम में ही मंडल अध्यक्ष अब प्रदेश स्तर की बैठकों में भी आमंत्रित किए जा रहे हैं और उन्हें जिलाध्यक्षों की तरह महत्व दिया जा रहा है।
मंडल को भी दी जा रही विभागों और प्रकोष्ठों की टीम
मंडलों को स्वायत्तता देने और उन्हें अधिक प्रभावी बनाने के क्रम में मंडल स्तर पर भी विभागों और प्रकोष्ठों की टीम बनाई जा रही है, जो अबतक नहीं होती थी। मंडलों का मीडिया, आइटी और सोशल मीडिया, सपंर्क, स्वच्छता आदि विभाग अलग से बनाया जा रहा है। सहकारिता, शिक्षक, चिकित्सा, मछुआरा, व्यापार, स्थानीय विकास, वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ आदि भी मंडल स्तर गठित किए जा रहे हैं। इन विभागों ओर प्रकोष्ठों के गठन में शक्ति केंद्रों और बूथों की भूमिका भी सुनिश्चित की जा रही है।
मीडिया विभाग को मंडल स्तर पर गठित करने के पीछे नेतृत्व का मकसद पार्टी की छोटी से छोटी गतिविधियों को जनता तक पहुंचना और निचले स्तर पर वर्गवार मतदाताओं को सहेजना है, जो अबतक नहीं हो पा रहा था। पार्टी का मानना है कि मंडल की स्वायत्तता बढ़ेगी तो चुनावी के दौरान बूथ जीतने का लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाएगा।
गोरखपुर जिले में हैं भाजपा के कुल 39 संगठनात्मक मंडल
संगठनात्मक रूप से अगर गोरखपुर जिले काे दो भागों में बांटा है। गोरखपुर जिला और महानगर। महानगर में 10 मंडल हैं जबकि जिले में मंडलों की संख्या 29 है। ऐसे में गोरखपुर प्रशासनिक जिले में भाजपा ने 39 मंडल हैं। इन मंडलों से जिले के नौ विधानसभा क्षेत्र कवर होते हैं।
चुनाव के दौरान जनता के बीच पार्टी की पैठ बढ़ाने की दृष्टि से मंडलों को पहले से ज्यादा सक्षम बनाने का निर्णय लिया गया है। उन्हें स्वायत्तता दी जा रही है। मंडलों की स्वायत्तता का सीधा असर शक्ति केंद्रों पर पड़ेगा। शक्ति केंद्र मजबूत होंगे तो बूथ अपने-आप मजबूत हो जाएंगे। बूथ से चुनाव जीतने की भाजपा की मुहिम सफल होगी। - डा. धर्मेंद्र सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष, गोरखपुर।