बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों की तरह मदरसा शिक्षकों का भी होगा तबादला Gorakhpur News
प्रदेश सरकार मदरसा नियमावली में संशोधन करने जा रही है जिससे वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों के तर्ज पर तबादला हो सकेगा। सरकार के कदम से शिक्षकों में बेचैनी है। ज्यादातर शिक्षक एक ही मदरसे में वर्षों से पढ़ा रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। राज्य अनुदानित मदरसों में शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों का सत्यापन अभी पूरा भी नहीं हो पाया था कि शिक्षकों के तबादले की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दरअसल प्रदेश सरकार मदरसा नियमावली में संशोधन करने जा रही है, जिससे वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों के तर्ज पर तबादला हो सकेगा। सरकार के कदम से शिक्षकों में बेचैनी है। ज्यादातर शिक्षक एक ही मदरसे में वर्षों से पढ़ा रहे हैं।
सरकार के इस कदम से अनुदानित मदरसों के शिक्षकों में बेचैनी
अनुदानित मदरसों में शिक्षकों व कर्मचारियों के तबादले की कोई नीति नहीं है। मदरसा शिक्षक व कर्मचारी सेवानिवृत्त होने तक एक ही मदरसे में अपनी नौकरी पूरी करते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार के कदम से शिक्षकों एवं कर्मचारियों के चेहरे पर शिकन आ गया है। मदरसों में शिक्षकों को डर है कि उनका तबादला दूर के जनपदों एवं ग्रामीण क्षेत्र के मदरसों में न हो जाए।
गोरखपुर व बस्ती मंडल में 1400 शिक्षकों पर पड़ेगा असर
प्रदेश सरकार अगर मदरसा नियमावली में बदलाव करती है तो गोरखपुर-बस्ती मंडल के करीब 14 सौ शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं। गोरखपुर में 10, देवरिया में 17, कुशीनगर में 25, महराजगंज में 21 तथा बस्ती, संतकबीर नगर एवं सिद्धार्थनगर में 43 अनुदानित मदरसे हैं। नियुक्ति भी मदरसा प्रबंधन अपने हिसाब से करता था। नई शिक्षा नीति के तहत उप्र अशासकीय अरबी-फारसी मदरसा मान्यता एवं सेवा नियमावली में भी बदलाव हो सकता है।
भर्ती का भी बन रहा है नियम
सरकार मदरसा शिक्षकों की भर्ती के लिए भी नियम बना रही है। अगर ऐसा हुआ तो मदरसा प्रबंधकों के हाथों से नियुक्ति का अधिकार छिन जाएगा। मदरसा शिक्षकों ने बताया कि अगर तबादला दूर हो गया तो मुश्किलें आएंगी। कभी सोचा भी नहीं था कि जिस मदरसे में नियुक्ति हुई उसे छोड़कर कहीं पढ़ाने जाना पड़ेगा।