गोरखपुर के साहित्यकारों के घर पहुंचा हिंदी संस्थान का सम्मान-पत्र, जानें-किसेे मिला पुरस्‍कार Gorakhpur News

गोरखपुर में किताबों के लिए नामित चार साहित्यकारों तक संस्थान का पुरस्कार पहुंच चुका है। इनमें अनीता अग्रवाल श्रीधर मिश्र डा. फूलचंद गुप्त और डा. नित्यानंद श्रीवास्तव शामिल हैं। इन लोगों का पुरस्‍कार और सम्‍मान पत्र घर पहुंच चुका है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 03:27 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 04:40 PM (IST)
गोरखपुर के साहित्यकारों के घर पहुंचा हिंदी संस्थान का सम्मान-पत्र, जानें-किसेे मिला पुरस्‍कार Gorakhpur News
उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। कोविड संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने इस वर्ष अपना पुरस्कार व सम्मान देने के लिए किसी तरह का समारोह आयोजित नहीं करने का फैसला लिया है। ऐसे में संस्थान नामित साहित्यकारों के घर डाक के माध्यम से पुरस्कार व सम्मान भेज रहा है।

पुरस्कार की राशि का चेक, प्रमाण-पत्र और अंगवस्त्र भी

जिन लेखकों को पुस्तक के लिए पुरस्कृत किया जाना  था, उनके घर पुरस्कार की राशि का चेक, प्रमाण-पत्र और अंगवस्त्र भेजा जा चुका है। व्यक्तिगत पुरस्कारों को प्रेषित करने की तैयारी चल रही है। गोरखपुर में किताबों के लिए नामित चार साहित्यकारों तक संस्थान का पुरस्कार पहुंच चुका है। इनमें अनीता अग्रवाल, श्रीधर मिश्र, डा. फूलचंद गुप्त और डा. नित्यानंद श्रीवास्तव शामिल हैं।

अभी इनका सम्‍मान आना बाकी

प्रो. केसी लाल का मधुलिमये साहित्य सम्मान और भोजपुरी साहित्यकार नरसिंह बहादुर चन्द का साहित्य भूषण सम्मान आना बाकी है। इस वर्ष के गोरखपुर के कुल छह साहित्यकारों को पुरस्कार व सम्मान की सूची में शामिल किया गया था। डा. फूलचंद गुप्त और श्रीधर मिश्र ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद संस्थान के इस निर्णय की सराहना की है। उनका कहना है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए संस्थान द्वारा उपयुक्त निर्णय लिया गया है। इससे साहित्यकारों तक पुरस्कार भी पहुंच जा रहा और संक्रमण के इस माहौल में घर से निकलना भी नहीं पड़ रहा। अन्य संस्थानों और संस्थाओं को भी इससे सीख लेनी चाहिए।

कोरोना के कारण स्‍थगित किया गया कार्यक्रम

उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्‍यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त का कहना है कि पुरस्कार व सम्मान समारोह के लिए 26 अप्रैल की तारीख प्रस्तावित थी लेकिन तेजी से बढ़ते कोविड संक्रमण को देखते हुए उसे स्थगित कर दिया गया था। बाद में यह निर्णय लिया गया है सभी साहित्यकारों को डाक के माध्यम से पुरस्कार और सम्मान भेजा जाए। इस निर्णय के अनुसार पुरस्कारों को भेजे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

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