महराजगंज जिला अस्पताल में बेड का अभाव, धूल फांक रहीं मशीनें
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के विस्तार की प्रक्रिया चल रही है। शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट प्राप्त होते ही इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कराकर रेडिएंट वार्मर को चालू करा दिया जाएगा।
महराजगंज: जिला अस्पताल प्रशासन एक तरफ सिक एंड बार्न यूनिट केयर (एसएनसीयू) में बेड की कमी का रोना रो रहा है, जिसके कारण एक बेड पर तीन से चार नवजातों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ इसके विस्तार के लिए आया रेडिएंट वार्मर तीन माह से धूल फांक रहा है। इसे चालू कराने में जिम्मेदार सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ा रहे हैं।
महराजगंज जनपद के सबसे बड़े जिला अस्पताल में शिशु मृत्युदर के रोकथाम एवं शिशुओं की सुरक्षा के लिए लाखों रुपये खर्च कर एसएनसीयू का निर्माण कराया गया। 30 मार्च 2016 में शुरू हुए इस एसएनसीयू में 20 बेड की व्यवस्था की गई। आबादी बढ़ने के साथ ही नवजातों की संख्या भी बढ़ती गई। लेकिन वार्ड में संसाधान नहीं बढ़ सके। इसलिए नवजातों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि तीन माह पूर्व शासन द्वारा एसएनसीयू के लिए छह और रेडिएंट वार्मर उपलब्ध कराया गया था। ताकि नवजातों को सहूलियत मिल सके। बावजूद जिम्मेदारों में इच्छाशक्ति के अभाव के कारण इसके विस्तार के लिए ठोस पहल नहीं हो सका। तीन माह से रेडिएंट वार्मर कंगारू मदर केयर कक्ष (केएमयू) में धूल फांक रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के विस्तार की प्रक्रिया चल रही है। शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट प्राप्त होते ही इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कराकर रेडिएंट वार्मर को चालू करा दिया जाएगा। बेड की क्षमता से अधिक भर्ती हो रहे मरीज
इसेंफ्लाइटिस और एसएनसीयू वार्ड दो माह से फुल चल रहे हैं। 15 बेड के इंसेफ्लाइटिस वार्ड में 32 बच्चे भर्ती हैं। इसमें चार एइएस, नौ हाईपर पैरेसिया तथा शेष निमोनिया आदि से ग्रसित हैं। जबकि 20 बेड के एसएनसीयू में 59 नवजात भर्ती हैं। संक्रमण फैलने का खतरा
जिले में वायरल फीवर, निमोनिया सहित अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या थमने का नाम नहीं ले रही है। बीमारी मानो कहर बरपा रही है। मरीजों को बढ़ने के कारण इनका इलाज करने में अस्पताल बीमार हो गया है। वार्डों में एक बेड पर तीन से चार मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इससे बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। क्या है रेडिएंट वार्मर
एसएनसीयू के रेडिएंट वार्मर में प्री-मेच्योर और कम वजन वाले नवजात को रखा जाता है। इसमें जन्म लेने के साथ सांस, जांडिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, नौ माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थित में इलाज किया जाता है।