गरीबों का पेट भरती है कृष्णा की रसोई, सेवा करने से मिलता है सुख Gorakhpur News

जिस काम को करने से मन को सुकून और दूसरों को खुशी मिले इससे बड़ी पूजा इंसान के लिए कुछ और नहीं हो सकती। इसी को मंत्र मानकर कुशीनगर के राधाकृष्ण मोहल्ला निवासी कृष्णा शुक्ला दो वर्षों से गरीबों को भोजन करा रही हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 01:40 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 01:40 PM (IST)
गरीबों का पेट भरती है कृष्णा की रसोई, सेवा करने से मिलता है सुख Gorakhpur News
अपने घर पर महिला को भोजन करातीं कृष्णा शुक्ला।

प्रद्युम्‍न कुमार शुक्ल, गोरखपुर : जिस काम को करने से मन को सुकून और दूसरों को खुशी मिले, इससे बड़ी पूजा इंसान के लिए कुछ और नहीं हो सकती। इसी को मंत्र मानकर कुशीनगर के राधाकृष्ण मोहल्ला निवासी कृष्णा शुक्ला दो वर्षों से गरीबों को भोजन करा रही हैं। 55 वर्षीय कृष्णा गृहणी हैं। पति हरिश्चंद्र रजिस्ट्री कार्यालय हाटा में वरिष्ठ लिपिक हैं। वर्ष 2018 में पत्नी संग वे मथुरा गए थे। एक सप्ताह के धार्मिक इस यात्रा के बाद कृष्णा जब घर लौटीं तो उनके मन में गरीब, असहायों को भोजन कराने का विचार आया, तभी से वह श्रद्धा व सेवा के साथ इस काम में जुट गईं। भूखों को भोजन कराना ही अब उनकी सबसे बड़ी पूजा है। सुबह शाम प्रतिदिन आठ से 12 भूखे लोगों को वह नियमित रूप से भोजन कराती हैं।

निकल जाती हैं भूखों की तलाश में

सुबह आठ तो शाम को छह बजे वह घर से भूखों की तलाश में नगर में निकल जाती हैं। जैसे ही पता चलता है कि वहां बुजुर्ग, महिला या कोई बच्चा भूखा है, वह तत्काल वहां पहुंच कर उसका दुख, दर्द जानती हैं और फिर उसे अपने साथ घर ले आती हैं। नगर में निकलते ही लोगों को अगर किसी भूखे व्यक्ति के बारे में पता रहता है तो वे उन्हें बताने लगते हैं। उनकी रसोई में प्रतिदिन कम से कम 10 से 15 लोगों का अतिरिक्त भोजन बनता है। अगर खाने आए लोगों की संख्या इससे अधिक हो गई तो रसोई का काम फिर शुरू हो जाता है, ताकि घर आया कोई भी व्यक्ति भूखा न लौटने पाए। मोहल्ले व आस-पास के लोग अब उन्हें रसोई वाली कृष्णा के नाम से भी बुलाते हैं।

आखिरी सांस तक चलती रहेगी रसोई

कृष्णा कहतीं हैं कि परोपकार से बड़ा दूसरा कोई धर्म नहीं है। ईश्वर की प्रेरणा से मन में यह विचार आया तो इसे करने लगी। हमारे लिए यही पूजा है। जब तक सांस रहेगी, घर की रसोई में भूखों के लिए भोजन बनता रहेगा। बेटा डा.विकास व बहू शिल्पा लक्ष्मी दोनों डाक्टर हैं। दोनों बेटियां अधिवक्ता हैं। जब ये घर आते हैं तो खुद लोगों को बैठाकर आदर के साथ भोजन कराते हैं।

chat bot
आपका साथी