जानिए क्यों करनी पड़ी धर्माचार्यों को अपील, घर में रहकर करें मां की आराधना Gorakhpur News
पडरौना जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मंदिरों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिरों के महंत तथा धर्माचार्यों ने लोगों से सुरक्षित रहने की अपील की है। उनका कहना है कि घर व मंदिर दोनों ही जगह पूजा-पाठ के लिए उपयुक्त है।
गोरखपुर, जेएनएन : पडरौना जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मंदिरों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिरों के महंत तथा धर्माचार्यों ने लोगों से सुरक्षित रहने की अपील की है। उनका कहना है कि घर व मंदिर दोनों ही जगह पूजा-पाठ के लिए उपयुक्त है, लेकिन मौजूदा समय घर से बाहर निकलना ठीक नहीं। इसे हमें समझना होगा। महामारी से बचाव के लिए घर में रहकर मन व श्रद्धा से मां की उपासना करें, ऐसा करने से हर इच्छा की पूर्ति संभव है। जागरण से बातचीत में धर्माचार्यों ने कुछ यूं अपनी बात रखी।
बुद्धिमता का दें परिचय
पंडित उपेद्र द्विवेदी ने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है, इसके लिए हम बुद्धिमत्ता का परिचय दें। अपने-अपने घरों में रहकर ही पूजन-अर्चन करें। घर व मंदिर दोनों ही जगह मां की उपस्थिति है।
शारीरिक दूरी के नियमों का करें पालन
डा.नागेंद्र द्विवेदी ने बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तगण शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें। हालांकि विषम परिस्थिति में घर में रहकर भी मां की अराधना की जा सकती है। इसके लिए मंदिर आना अनिवार्य नहीं है।
घर में ही रहकर करें पूजा-पाठ
रमेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि सच्चे मन से की गई भक्त के पुकार को मां कहीं से सुन लेती हैं। विश्व कल्याण के लिए आवश्यक है कि हम मंदिर के भीड़ का हिस्सा न बनें और घर में रहकर ही पूजा-पाठ करें।
सजगता से ही रोका जा सकता है महामारी का फैलाव
वीरेंद्र पांडेय ने बताय कि कोरोना तेजी से बढ़ रहा है। सभी की सजगता से ही इस महामारी के फैलाव को रोका जा सकेगा। घर में ही रह कर शक्ति की उपासना करें। आपकी सजगता ही कोविड संक्रमण को कम कर सकती है।
घर में रहकर पूजा करना श्रेयस्कर
रामानुज चार्य ब्रह्मचारी ने कहा कि पूजा-पाठ आस्था का विषय है। यह कहीं पर भी किसी भी रूप या वेश-भूषा में रह कर किया जा सकता है। संक्रमण काल में मंदिर जाने से बेहतर घर में रह कर पूजा करना श्रेयस्कर होगा।
घर को ही मंदिर बनाकर करें पूजन
महंत रामलाल दास ने कहा कि विषम इस परिस्थिति में जीवन की रक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। मां की कृपा से ही संसार है। मां हर जगह हैं। घर को ही मंदिर बनाकर सुबह-शाम पूजा करें।
जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें
आचार्य अशोक तिवारी ने बताया कि मां दया व करुणा की मूर्ति हैं, वह भाव की देखती हैं। ऐसे में स्वयं घर में रहकर औरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें।