जानें- मैत्रेय परियोजना पर क्‍यों लगा ब्रेक, उठे थे कई गंभीर सवाल Kushinagar News

कुशीनगर की मैत्रेय परियोजना वर्ष 2003 में मैत्रेय ट्रस्ट व तत्कालीन मुलायम सरकार के बीच करार हुआ। जमीन मिलने के बाद भी परियोजना शुरू नहीं हुई थी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 02:48 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 11:43 AM (IST)
जानें- मैत्रेय परियोजना पर क्‍यों लगा ब्रेक, उठे थे कई गंभीर सवाल Kushinagar News
जानें- मैत्रेय परियोजना पर क्‍यों लगा ब्रेक, उठे थे कई गंभीर सवाल Kushinagar News

कुशीनगर, जेएनएन। राज्य सरकार ने कुशीनगर में प्रस्तावित 250 करोड़ की मैत्रेय परियोजना का एमओयू (करार) निरस्त कर दिया है। यह फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। परियोजना के तहत संस्कृति विभाग ने मैत्रेय ट्रस्ट को 190 एकड़ भूमि निश्शुल्क मुहैया करायी थी।

वर्ष 2003 में हुआ था करार

वर्ष 2003 में मैत्रेय ट्रस्ट व तत्कालीन मुलायम सरकार के बीच करार हुआ। जमीन के लिए विभाग ने भूमि किसानों से अधिग्रहित की थी। भूमि उपलब्ध कराए जाने के बाद ट्रस्ट को कार्य शुरू करना था। परियोजना के तहत बुद्ध की 200 फुट ऊंची कास्य प्रतिमा, विश्व स्तरीय मेडिटेशन सेंटर, हेल्थ सेंटर व शैक्षणिक संस्थान बनाए जाने थे। भूमि उपलब्ध कराए जाने के बाद भी ट्रस्ट ने कार्य शुरू नहीं किया। कुशीनगर के विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने सरकार से ट्रस्ट की शिकायत की थी।

विधायक ने उठाए थे गंभीर सवाल

विधायक ने विधानसभा में प्रश्न उठाकर ट्रस्ट पर कई गंभीर सवाल खड़ा किए थे और सरकार से स्वयं भूमि पर जनहितकारी योजना लांच करने की मांग की थी। विधायक की शिकायत पर सरकार ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब किया। कसया ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम अभिषेक पांडेय ने प्रकरण की जांच की। रिपोर्ट में ट्रस्ट व परियोजना की सरंचना, वित्तीय व तकनीकीआदि पहलुओं पर अलग-अलग रिपोर्ट भेजी गई। सरकार ने जिला प्रशासन की रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद परियोजना का एमओयू निरस्त करने का निर्णय लिया।

जिला प्रशासन के माध्यम से शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। परियोजना को लागू करने में ट्रस्ट शिथिलता बरत रहा था। अद्यतन रिपोर्ट में सभी पहलुओं को शामिल किया गया था। - अभिषेक पांडेय, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम, कसया।

मैत्रेय ट्रस्ट की विश्वसनीयता काफी पहले खत्म हो गई थी। पूर्व की सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। ट्रस्ट कीमती जमीन का व्यवसाईकरण करना चाहता था। सरकार ने किसानों के हित में उचित फैसला किया है। - रजनीकांत मणि त्रिपाठी, विधायक कुशीनगर।

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