जानें, चिड़ियाघरों के मुकाबले जंगलों में कम क्‍यों हो जाती है वन्‍यजीवों की आयु

Wildlife Life शेर चीता तेंदुआ बाघ औसतन जंगल में 19 बार प्रयास के बाद शिकार को मारने में सफल होते हैं। उन्हेंं कई-कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता है। शिकार करने के बाद वह कई दिनों तक बासी मांस खाते रहते हैं। इन सब कारणों से उनकी आयु घटती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 08:02 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 08:06 PM (IST)
जानें, चिड़ियाघरों के मुकाबले जंगलों में कम क्‍यों हो जाती है वन्‍यजीवों की आयु
जंगल में वन्‍य जीवों की उम्र कम हो जाती है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। Wildlife Life in Zoos: वन्यजीवों के लिए जंगल में मंगल नहीं रहा। अब वहां की आबोहवा भी दूषित हो चली है। शेर सहित तमाम वन्यजीव इसकी चपेट में आकर बीमार होने लगे हैं। विशेषज्ञों की माने तो जंगल की तुलना में चिड़ियाघर में वन्यजीवों की आयु औसतन चार से पांच वर्ष बढ़ जाती है। कारण कि चिड़ियाघरों में उनको बेहतर भोजन व वातावरण के साथ ही उचित देखरेख भी मिल रहा है। बीमार होने पर उनका उपचार भी आसानी से हो जा रहा है। गोरखपुर चिड़ियाघर में तो जगह-जगह यह बातें बोर्ड पर लिखी मिल जाएंगी कि जंगल में वन्यजीवों की औसत आयु से चिड़ियाघर के वन्यजीवों की औसत आयु अधिक है।

शेर, बाघ, तेंदुआ व चीता की जंगल में 12 से 14 वर्ष होती है औसत आयु

शेर, बाघ, तेंदुआ, चीता की जंगल में रहने पर औसत आयु 12 से 14 वर्ष होती है। यही वन्यजीव यदि चिड़ियाघर में रहते हैं तो उनकी औसत आयु 16 से 20 वर्ष हो जाती है। गोरखपुर चिड़ियाघर में मौजूद 16 वर्ष की शेरनी मरियम इसकी जीवंत प्रमाण है। चिड़ियाघर प्रशासन का मानना है कि जंगल में इस आयु तक मरियम शायद ही जी पाती, लेकिन यहां वह पूरी तरह स्वस्थ है। मरियम दो वर्ष तक इटावा लायन सफारी में रही है। उससे पहले वह गुजरात के जूनागढ़ के नेशनल पार्क में रही है। उचित देखरेख, बेहतर भोजन व समय-समय पर होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण के चलते वह पूरी तरह स्वस्थ दिखती है। जंगल में वन्यजीवों की आयु कम होने के पीछे कई वजहें हैं। गोरखपुर चिड़ियाघर के विशेषज्ञों का कहना है कि मांस के जरिये कहीं न कहीं जंगली जीवों के शरीर में रसायन प्रवेश कर रहा है।

जंगल में इस कारण कम होती है आयु

शेर, चीता, तेंदुआ, बाघ औसतन जंगल में 19 बार प्रयास के बाद शिकार को मार गिराने में सफल होते हैं। इस चक्कर में उन्हेंं कई-कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता है। शिकार करने के बाद वह कई दिनों तक वही बासी मांस खाते रहते हैं। उसमें कीड़े तक पड़ जाते हैं। दूषित भोजन करने से भी वह बीमार पड़ जाते हैं। कई बार शिकार के दौरान वह घायल भी हो जाते हैं। उन्हेंं जंगल में कोई उपचार भी नहीं मिलता है। इन सब कारणों से उनकी आयु घटती है। चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डा.योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि कई बार वन्यजीव जिस जानवर का शिकार करते हैं, वह पहले से बीमार होते हैं। खराब मांस खाने से उनके शरीर में टेप वर्म जैसे परजीवी प्रवेश कर जाते हैं और उनकी आयु घटती है।

चिड़ियाघर में वन्यजीवों को ताजा व संतुलित भोजन दिया जाता है। उनकी नियमित निगरानी व हर 15वें दिन स्वास्थ्य परीक्षण होता है। बीमार होने पर समय पर उपचार मिलता है। इससे चिड़ियाघर में वन्यजीवों की आयु औसतन चार से पांच वर्ष बढ़ जाती है। - डा. एच राजामोहन, निदेशक, चिड़ियाघर।

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