जानें, कौन हैं संजय निषाद जो भाजपा की आंखों के बन गए तारे
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद ने देश के अन्य 14 राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी निषाद वंशीय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की लंबी लड़ाई। जानें भाजपा ने इन्हें विधान परिषद में क्यों भेजा..
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने की लड़ाई से संघर्ष की शुरुआत करने वाले निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद ने देश के अन्य 14 राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी निषाद वंशीय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की लंबी लड़ाई। सड़क पर उतरकर संघर्ष करने के उनके जुझारू व्यक्तित्व ने उन्हें इतने कम समय में उन्हें उच्च सदन तक पहुंचा दिया।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने के लिए 2002 में की थी संघर्ष की शुरुआत
करीब दो दशक पूर्व डा. संजय निषाद ने 2002 में पूर्वांचल मेडिकल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन का गठन कर इस विधा को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष शुरू किया। इसी बीच राजनीतिक संगठन से जुड़कर उन्होंने विधानसभा का चुनाव भी लड़ा। इसके बाद उन्होंने अपनी जाति को संगठित कर उसके हक की लड़ाई शुरू कर दी। वर्ष 2008 में उन्होंने आल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनारिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति मुक्ति महासंग्राम नाम के दो संगठन बनाए। वर्ष 2013 में निषाद पार्टी के गठन से पहले डा. संजय ने निषादों की विभिन्न उपजातियों को एक करने के लिए राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद भी बनाया था। मछुआ समुदाय की 53 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम भी डा. संजय ने चलाई। उनका कहना था कि निषादों को एक से दूसरे दल में जाने की बजाय एक पार्टी में संगठित होना चाहिए।
2015 में सहजनवां के कसरवल में रेलवे ट्रैक पर जाम के दौरान सुर्खियों में आए
सहजनवां के कसरवल में जून 2015 में निषाद समुदाय के हजारों युवाओं के साथ रेलवे ट्रैक को जाम करने की घटना के बाद डा. संजय निषाद सुर्खियों में आ गए। सपा सरकार में पुलिस से सिंह झड़प और फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद डा. संजय निषाद ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए गांव में संपर्क शुरू कर पार्टी को संगठन का स्वरूप दिया। डा. संजय ने निषादों के इतिहास से जुड़ी किताब भी लिखी।
जुलाई 2016 में गोरखपुर के चंपा देवी पार्क पर विशाल रैली करके डा संजय ने निषादों के एकजुट होने का प्रदर्शन किया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने पीस पार्टी से गठबंधन किया और 72 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। ज्ञानपुर से विजय मिश्रा विजयी भी हुए। पनियरा, कैम्पियरगंज, सहजनवां, खजनी आदि विधानसभाओं में निषाद पार्टी के प्रत्याशी को दस हजार से अधिक वोट मिले। डा संजय कुमार निषाद भी ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन वह जीत नहीं सके। इसके बाद 2018 में गोरखपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में उन्होंने सपा के टिकट पर अपने बेटे प्रवीण निषाद को सांसद बना दिया।