Manish Murder Case: जानें, एसआइटी के पास कौन से वे सबूत हैं ज‍िससे इंस्पेक्टर जेएन स‍िंह का बचना होगा मुश्‍क‍िल

मनीष हत्‍याकांड में निलंबित और ग‍िरफ्तार इंस्पेक्टर जगत नारायण ने रविवार शाम रामगढ़ताल थाने में एसआइटी की पूछताछ में खुद को बेकसूर बताया है। वह अभी भी इस बात पर अड़ा है कि मनीष की मौत होटल में बिस्तर से गिरने के चलते हुई थी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 08:30 AM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 08:30 AM (IST)
Manish Murder Case: जानें, एसआइटी के पास कौन से वे सबूत हैं ज‍िससे इंस्पेक्टर जेएन स‍िंह का बचना होगा मुश्‍क‍िल
एसआइटी ने आरोपी इंस्पेक्टर जेएन स‍िंह के ख‍िलाफ पुख्‍ता सबूत एकत्र क‍िया है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मनीष हत्‍याकांड में निलंबित और ग‍िरफ्तार इंस्पेक्टर जगत नारायण ने रविवार शाम रामगढ़ताल थाने में एसआइटी (विशेष जांच दल) की पूछताछ में खुद को बेकसूर बताया है। वह अभी भी इस बात पर अड़ा है कि मनीष की मौत होटल में बिस्तर से गिरने के चलते हुई थी, लेकिन एसआइटी का दावा है कि उसके पास पर्याप्त सबूत हैं हत्यारोपितों को सजा दिलाने के लिए। मनीष के दोस्तों सहित करीब 35 लोगों के बयान, करीब दर्जन भर वैज्ञानिक साक्ष्य, आधा दर्जन से अधिक दस्तावेज हैं, जो यह साबित करते हैं िक मनीष की हत्या हुई थी।

मेडिकल दस्तावेज समेत दर्जन भर से अधिक वैज्ञानिक साक्ष्य हैं एसआइटी के पास

रविवार को रामगढ़ताल थाने में एसआइटी ने आरोपित इंस्पेक्टर जगत नारायण से तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। पूछताछ में जगत नारायण लगातार खुद की गलती मानने से इंकार करता रहा। एसआइटी का मानना है कि हत्यारोपित कब खुद का गुनाह स्वीकार करेगा। उसके कहने से ही सब कुछ नहीं होगा। एसआइटी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जो हत्यारोपितों का दोष सिद्ध कर देंगे। एसआइटी का यह भी मानना है कि साक्ष्य मिटाने, घटना छिपाने में सभी पुलिस कर्मी दोषी हैं। ऐसे में सभी सजा भी बराबर मिलेगी।

जानिनए क्या-क्या है एसआइटी के पास

पोस्टमार्टम रिपोर्ट : एसआइटी के पास सबसे हत्यारोपितों का दोष सिद्ध करने के लिए सबसे प्रमुख साक्ष्य पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। एसआइटी का मानना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा हुआ है कि सिर में चोट लगने से मनीष की मौत हुई है। इसके अलावा मनीष के चेहरे, सिर, आंख के पास, पेट में व हाथ की कुहनी में घाव के निशान मिले हैं। इसके अलावा एब्डामिनल इंजरी(पेट के अंदरूनी हिस्से में चोट), चेहरे पर कट के निशान(5×4 सेमी), आंखों के ऊपर कट का निशान, दाहिने हाथ पर कट का निशान (3×20 एमएम), पूरे शरीर पर कट का निशान, पेट पर व अंदरुनी हिस्से में चोट, खून का थक्का जमा होने का जिक्र है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह साफ है कि गिरने से किसी को इतनी चोटें नहीं आएंगी।

मनीष के दोस्तों का बयान : बीते 27 सितंबर को मनीष के साथ कमरे में रहे उनके दोस्त हरियाणा के हरबीर व प्रदीप ने भी एसआइटी को बयान दिया है कि पुलिस ने इंस्पेक्टर जगत नारायण, दारोगा अक्षय मिश्रा सहित अन्य पुलिस कर्मियों ने मनीष की पिटाई की थी। दोनों के बयान इस लिए अहम हैं कि घटना के समय वह ही हत्यारोपितों के साथ कमरे में थे। इसके अलावा मनीष के स्थानीय दोस्तों के बयान से भी यह बातें सामने आई हैं कि घटना को जगत नारायण व उसके साथियों ने अंजाम दिया है।

पुलिस का झूठ : एसआइटी ने पुलिस के झूठ को भी प्रमुख साक्ष्य के रूप रखा है। पुलिस ने थाने की जीडी में मनीष को जिला अस्पताल ले जाने की बातों का जिक्र किया है, लेकिन एसआइटी की जांच में पता चला है कि पुलिस मनीष को लेकर जिला अस्पताल गई ही नहीं थी। एसआइटी ने साक्ष्य के रूप में अपने पास मानसी हास्पिटल के उस सीसीटीवी फुटेज को रखा है, जब वह वहां मनीष को इलाज के लिए ले गई थी। इतना ही नहीं हत्यारोपितों ने मेडिकल कालेज में इलाज की बात का जिक्र किया है, जबकि चिकित्सक के पर्चे में ब्राट डेड(पहले से मरा) व इलाज दोनों बातें शामिल हैं। मनीष की पहले से मौत हो चुकी थी तो मेडिकल कालेज में इलाज कैसे हुआ।

खून से सना तौलिया : एसआइटी ने खून से सने उस तौलियों को भी अपने पास रखा है, जिसमें मनीष का खून लगा हुआ है। होटल में उस सीसीटीवी का फुटेज है, जिसमें एक दारोगा तौलियों में हाथ में लगा खून पोछता दिख रहा है। तौलिये को बेड के नीचे छिपाया क्यों गया था। घटना के बाद पुलिस कई बार होटल के उस कमरे में कई लेकिन उसे खून से सना वह तौलिया नहीं दिखा। एसआइटी ने होटल के सीसीटीवी फुटेज व तौलिया दोनों को अपने पास रखा है। वह छानबीन में जुटी है।

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