ताज होटल की आतकी घटना को याद कर सिहर उठते है पीड़ित के स्वजन

26 नवंबर 2008 को जनपद के चार व्यक्तियों की चली गई थी जान

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 07:26 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 07:26 PM (IST)
ताज होटल की आतकी घटना को याद कर सिहर उठते है पीड़ित के स्वजन
ताज होटल की आतकी घटना को याद कर सिहर उठते है पीड़ित के स्वजन

संतकबीर नगर: तारीख 26 नवंबर वर्ष 2008 का दिन देश के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। इसी दिन मुंबई में समुद्र के रास्ते आए आतंकियों ने देश को दहला दिया था। परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करने गए जनपद के चार व्यक्तियों की जान भी चली गई थी। इस दिन को याद करके आज भी पीड़ित के स्वजन सिसक उठते है।

घटना में खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र के ग्राम अमावां-निमावां निवासी मकसूद अहमद, परसवां के फिरोज अहमद और थुरंडा के एखलाक अहमद की जान चली गई थी। स्वजन की आंखें अपनों को याद करके नम हो जाती हैं। मृतक मकसूद अहमद के भाई मकबूल अहमद बताते हैं कि मुंबई के आतंकी हमले की खबर जब रेडियो और टेलीविजन पर आई तो पूरा परिवार घबरा गया था। इसके कुछ ही घंटों बाद भाई के मौत की खबर आ गई थी। एखलाक की बीबी शहनाज, बेटी नाहिद फातिमा और बेटा मो. हमजा घर पर ही रहते हैं। नाहिद आठवीं की छात्रा है जबकि मो. हमजा अभी छठवीं कक्षा में है। पिता को छीन लेने वाले दिन को याद करके पूरा परिवार दहल जाता है। धनघटा थानाक्षेत्र के बकौली निवासी स्व.अनवारूल हक के पुत्र हिदायतुल्लाह की भी मौत हो गई थी। वह मुंबई के लीयो फोर्ट कैफे पर कार्य करता था। हिदायतुल्लाह की बहन सबीहा बताती हैं कि वह उस समय अपनी ससुराल बाराबंकी में थी। भाई को याद करके बिलखते हुए उनकी मां चार वर्ष पहले दुनिया छोड़ चुकी है। ग्राम निवासी एजाज अहमद, नूर आलम, फखरुद्दीन आदि का कहना है कि 26 नवंबर को उनके गांव के लिए काला दिन बन गया है। इसी दिन मानवता के दुश्मनों के कारनामों से देश के माथे पर कलंक लगाने का कार्य किया था। धनघटा तहसील क्षेत्र के जसोवर निवासी व घटना के समय बस्ती के सांसद रहे लालमणि प्रसाद बताते हैं कि उनकी जान भी संकट में थी। रात लगभग नौ बजे बकौली निवासी हिदायतुल्लाह व मकसूद उनसे मिलने के लिए ताज होटल में आए थे। उनके निकलने के थोड़ी देर बाद ही होटल में बम चलने के साथ ही गोलीबारी शुरू हो गई। उनके कमरे में भी काला धुआं भर गया। तीन दिनों तक वह कमरे में बंद रहे, सुरक्षा कर्मियों ने जब उन्हें बाहर निकला तो राहत मिली।

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