साहित्य में पिछड़ा होने की टीस ने तैयार कर दी 'जनता लाइब्रेरी, बड़हलगंज में चल रही लाइब्रेरी Gorakhpur News
लाइब्रेरी के संस्थापक प्रणव द्विवेदी शुभम का कहना है कि हमारे क्षेत्र में एक ऐसी लाइब्रेरी की कमी थी जहां बैठकर कोई भी अपने पसंद की किताबें पढ़ सके। आज एक हजार से अधिक पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों के लिए उपयोगी किताबें उपलब्ध हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। दिल में यदि बदलाव लाने का जज्बा हो तो संसाधनों की कमी देर तक बाधा नहीं बन सकती। बड़हलगंज के निवासी एक छात्र ने सीमित संसाधनों से एक बड़े काम की शुरूआत कर इस बात को साबित किया है। अपने प्रयासों से बच्चों एवं युवाओं को शिक्षा से जोडऩे में जुटे छात्र प्रणव द्विवेदी शुभम को छात्र जीवन में एक ऐसी लाइब्रेरी की कमी खली, जहां अच्छी किताबों का अध्ययन किया जा सके। इसको लेकर मन में टीस भी थी और इस टीस का ही नतीजा है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में जनता लाइब्रेरी की नींव रखी।
जनता लाइब्रेरी शुरू करने के लिए किराये पर लिया भवन
दक्षिणांचल को शिक्षांचल बनाने के ध्येय वाक्य के साथ यह लाइब्रेरी दिन-प्रतिदिन विस्तार की ओर बढ़ रही है। शुभम ने जनता लाइब्रेरी शुरू करने के लिए एक भवन किराए पर लिया। एक कुर्सी, एक मेज और अपनी 50 पुस्तकों के साथ इसकी शुरूआत कर दी। इस लाइब्रेरी को आगे बढ़ाने के लिए वह समाज के लोगों के बीच गए, सकारात्मक प्रयास को सभी ने सराहा और लाइब्रेरी में पुस्तकों, आलमारी या अन्य माध्यमों से सहयोग किया। 250 पुस्तकें जुटा लेने के बाद लाइब्रेरी का उद्घाटन हुआ और आज एक हजार से अधिक पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं। इस लाइब्रेरी में बच्चों से लेकर बुजुर्गों के लिए उपयोगी किताबें उपलब्ध हैं। बच्चों को संस्कार सिखाने वाली किताबें भी यहां उपलब्ध हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी किताबों के साथ-साथ पत्र एवं पत्रिकाएं भी नियमित रूप से यहां मंगायी जाती हैं। अभी भी लाइब्रेरी भवन का किराए का भार शुभम उठाते हैं।
बच्चों में रचनात्मकता का कर रहे विकास
छात्र जीवन में रचनात्मक क्रियाकलापों से जुड़े रहे शुभम ने लाइब्रेरी के बहाने क्षेत्र के बच्चों में रचनात्मकता का विकास करने का भी संकल्प लिया है। इसके तहत हाल ही में आनलाइन हिन्दी भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई थी और विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया गया था। यहां अन्य आयोजन कराने की भी तैयारी है। जनता लाइब्रेरी के संस्थापक प्रणव द्विवेदी शुभम का कहना है कि हमारे क्षेत्र में एक ऐसी लाइब्रेरी की कमी थी, जहां बैठकर कोई भी अपने पसंद की किताबें पढ़ सके। विवि में पढऩे गए तो अन्य छात्रों से मिलने पर इस कमी का एहसास हुआ। उसी समय इस तरह की सुविधा देने का निर्णय लिया था और पढ़ाई पूरी करने के बाद घर आकर इस काम को मूर्त रूप दिया। लोगों के सहयोग से लाइब्रेरी दिन-प्रतिदिन समृद्ध बनती जा रही है।