रेल अफसरों को धमकाने वाला फर्जी आइपीएस गिरफ्तार
गोरखपुर: रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की टीम ने खुद को आइपीएस बताकर रेल अधिकारियों को ध्
गोरखपुर: रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की टीम ने खुद को आइपीएस बताकर रेल अधिकारियों को धमकी देने वाले बर्खास्त रेलकर्मी को गिरफ्तार कर लिया है। वह राजीव कुमार और आलोक कुमार के नाम से 96वें बैच का आइपीएस बताकर रेल अधिकारियों से ट्रांसफर-पोस्टिंग, रेस्ट हाउसों की बुकिंग और टिकट कंफर्म आदि कराता था। बुधवार को रेलवे अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के बाद आरपीएफ ने उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया।
फर्जी आइपीएस ने 29 मार्च 2018 को पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त राजाराम के नंबर पर फोन किया। उसने बताया कि वह सीबीआइ लखनऊ में तैनात है। गोंडा आरपीएफ इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच करनी है। मुख्य सुरक्षा आयुक्त को उसकी बातों पर संदेह हुआ। जांच कराने पर पता चला कि 96वें बैच में राजीव कुमार या आलोक कुमार नाम का कोई आइपीएस नहीं है। काल डिटेल से पता चला कि मोबाइल नंबर 9129028908 और 9695315170 से कभी राजीव कुमार तो कभी आलोक कुमार के नाम से फर्जी आइपीएस बताकर पूर्व मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे के दर्जनों अधिकारियों को फोन किया गया है। संबंधित अधिकारियों ने भी स्वीकार किया कि इस नंबर से उनके पास कई बार फोन आ चुके हैं। फर्जी आइपीएस का असली नाम प्रेम शंकर सिंह (63) है। वह गांव कचमन, थाना अलीनगर, चंदौली उत्तर प्रदेश का निवासी है। जांच टीम ने जब उससे संपर्क करने की कोशिश की तो उसने रेल अधिकारियों को फोन करना बंद कर दिया। साथ ही दो मोबाइल के चोरी होने का मुकदमा दर्ज करा लिया। पांच माह की जांच के बाद जांच टीम में शामिल राजेश कुमार, नरेश कुमार मीना, अंजुलता द्विवेदी, कपिलदेव चौबे, केके राय और कृष्ण गोपाल यादव ने मंगलवार की देर रात कचमन स्थित घर पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
---
स्टेशन मास्टर पद से
हो चुका है बर्खास्त
रेल अधिकारियों को डराकर अपना कार्य कराने वाला प्रेम शंकर शुरू से ही फर्जीवाड़ा में संलिप्त था। वह पिता की जगह अनुकंपा के आधार पर पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल में दरौली स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के पद पर तैनात था। सेवा पुस्तिका में भी फर्जी अभिलेख लगाए थे। अपनी आयु भी कम दर्शायी थी। वर्ष 2003 में रेल प्रशासन ने उसे बर्खास्त कर दिया था।
---
आइपीएस की तरह
चाहता था रुतबा
पूछताछ में उसने बताया कि उसके कई रिश्तेदार पुलिस विभाग में तैनात हैं। उसे आइपीएस का रुतबा पसंद आता था। नौकरी जाने के बाद से वह आइपीएस बनकर अधिकारियों से अपना कार्य कराने लगा।