Manish Murder Case: थाने की ज‍िस जीप पर शान से बैठता था उसी जीप की प‍िछली सीट पर बैठाकर लाया गया जेएन स‍िंह

Manish Gupta Murder Case इंस्पेक्टर जगत नारायण 12 दिन पूर्व तक थाने की जिस पर शान से आगे बैठकर चलता था वह उसी पर कैदियों की तरह बैठा नजर आया। उसे जीप की बीच वाली सीट पर बिठाकर थाने लाया गया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 08:50 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 09:39 PM (IST)
Manish Murder Case: थाने की ज‍िस जीप पर शान से बैठता था उसी जीप की प‍िछली सीट पर बैठाकर लाया गया जेएन स‍िंह
मनीष गुप्‍ता का हत्‍यारोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह को कचहरी में पेश करने ले जाती पुल‍िस। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Manish Gupta Murder Case, Inspector JN Singh arrested इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह की हेकड़ी रविवार को गिरफ्तारी के बाद भी कम नहीं हुई। पुलिस कर्मियों की अभिरक्षा में थाने पहुंचने के बाद भी वह अपने पुराने अंदाज में ही दिखा। वह अपने करीबी पुलिस कर्मियों को हालचाल भी पूछा। यह और बात है बाद में सामने अधिकारियों को देखकर उसके तेवर में थोड़ी नरमी दिखी।

गिरफ्तारी के बाद भी कम नहीं हुई जेएन स‍िंह की हेकड़ी

इंस्पेक्टर जगत नारायण 12 दिन पूर्व तक थाने की जिस पर शान से आगे बैठकर चलता था, रविवार शाम वह उसी पर कैदियों की तरह बैठा नजर आया। उसे जीप की बीच वाली सीट पर बिठाकर थाने लाया गया। थाने में जीप से उतरते ही उसके करीबी कई सिपाही सामने दिखे तो उसने उनका हालचाल पूछा। उसके बाद पुलिस कर्मी पूछताछ के लिए उसे भीतर के कक्ष में चले गए।

इस दौरान उसे गिरफ्तार करने वाले साथी पुलिस कर्मियों का रवैया भी उसके प्रति थोड़ा नरम दिखा। वह जिस तरह से आम आरोपितों को गिरफ्तार करते हैं, उनका रवैया बिलकुल भी जगत नारायण के साथ वैसा नहीं था। वह जगत नारायण के साथ पूरी नरमी से पेश आए। थाने के भीतर मौजूद कुर्सी पर वह आराम से बैठा। यह और बात है कि सामने अधिकारियों के दिखने पर उन्हें सैलूट भी किया। उसके बाद बंद कमरे में अधिकारी करीब तीन घंटे तक उससे पूछताछ करते रहे। उससे घटनाक्रम की जानकारी लेते रहे। अधिकारियों ने उससे यह भी पूछा कि फरारी के दौरान वह कहां-कहां रहा है, लेकिन अधिकारियों इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से मना किया।

जेल में जगत नारायण व अक्षय मिश्रा बंदियों से रहेंगे अलग

मनीष हत्याकांड के मुख्य आरोपित इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और दारोगा अक्षय मिश्रा को जेल में बंदियों से अलग रखा जाएगा।इसको लेकर एसआइटी व जिले के पुलिस अधिकारी मंथन कर रहे हैं।तीन साल के भीतर जिन बदमाशों को दोनों ने जेल भेजा है, इस समय वह कहां हैं इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है।

लखनऊ रेंज से गोरखपुर हुआ था जेएन का तबादला

तीन साल पहले जगत नारायण सिंह का तबादला लखनऊ रेंज से गोरखपुर हुआ। विभाग में लोग उसे इन्काउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जानते थे।उसकी इसी पहचान की वजह से जिले में आते ही तत्कालीन एसएसपी ने बेलीपार थाने का प्रभारी बना दिया। बाद में उसे जिले के मोस्ट वांटेड बदमाश व 2.50 लाख रुपये के इनामी राघवेंद्र यादव को पकड़ने के लिए झंगहा थाने का प्रभार दे दिया। राघवेंद्र को पकड़ने के लिए थानेदार ने क्षेत्र में रहने वाले 50 हजार के इनामी बदमाश का सहयोग लिया। बदमाश से जगत नारायण सिंह की यारी होने की खबर यूपी एसटीएफ को लगी तो उसने बदमाश को पश्चिम बंगाल में दबोच लिया।

मिशन पूरा न होने पर जगत नारायण को गगहा फिर बांसगांव थाने का प्रभारी बनाया गया। छह माह पहले उसे रामगढ़ताल थाने का कमान मिला था। इन्काउंटर स्पेशलिस्ट बताने वाले जगत नारायण ने मुठभेड़ में कई बदमाशों को गिरफ्तार किया। जिसमें से अधिकांश बदमाश अभी गोरखपुर जेल में ही है। जेल में इन बदमाशों से जगत नारायण व अक्षय मिश्रा का सामना होने पर कोई बवाल न हो इसको देखते हुए पुलिस अधिकारी अभी से कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं।

सेठजी के जन्मदिन से पहले ही हो गई गिरफ्तारी

मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने शनिवार को ट्विटर पर पोस्ट डाली थी कि सेठजी (मनीष गुप्ता) के जन्मदिन से पहले हत्यारोपितों की गिरफ्तारी हो जाती तो अच्छा रहता। मनीष का जन्म 16 अक्टूबर के दिन हुआ था। रविवार को ही गोरखपुर पुलिस दोनों मुख्य हत्यारोगित इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह व दारोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया।

सीबीआई के पास केस जाने से पहले पुलिस हत्थे चढ़ा आरोपित

प्रदेश सरकार मनीष हत्याकांड की जांच सीबीआई के कराने की संस्तुति दे दी थी, लेकिन गोरखपुर पुलिस केस सीबीआई के पास जाने से पहले मुख्य हत्यारोपित इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह व दारोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया।

16वीं टीम में हत्थे चढ़े हत्यारोपित

आमतौर पर बांसगांव थाने के हाथ कोई बड़ी उपलब्धि नहीं आती है। लेकिन गोरखपुर में छह के अलावा जो दो टीमें बनाई गई थीं, उसमें एक टीम बांसगांव थाने की भी थी। गोरखपुर की आठों टीमें सिर्फ मुख्य टीमों के बैकअप में लगाई गई थीं। इसके अलावा एसटीएफ को अलग से जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन रविवार शाम हत्यारोपितों की गिरफ्तारी के साथ बांसगांव थाने की टीम पूरे प्रदेश में छा गई।

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