हमला होते ही भाग निकले इंस्पेक्टर, दारोगा व सिपाही ने छिपकर बचाई जान
चौरीचौरा क्षेत्र में हिस्ट्रीशीटर बदमाश मिथुन की गिरफ्तारी के लिए गई पुलिस टीम पर हमला होते ही इंस्पेक्टर मौके से फरार हो गए थे।
गोरखपुर, (जेएनएन)। पुलिस टीम को खतरे का आंकलन किए बिना आधी-अधूरी तैयारी के साथ हिस्ट्रीशीटर बदमाश मिथुन पासवान के घर दबिश देने का खामियाजा भुगतना पड़ा। शातिर की तलाश में पुलिस टीम जिस समय उसके घर पहुंची थी, उस समय अपने गुर्गों के साथ वह बाहर से दरवाजे में ताला लगे कमरे के अंदर ही मौजूद था। वस्तुस्थिति और खतरे का अंदाजा लगाए बगैर हड़बड़ी में दबिश देने का परिणाम था कि एक दारोगा दो सिपाहियों की जान पर बन आई। शातिर की मां ने मौका देखकर कमरे के दरवाजे में बाहर से लगा ताला खोल दिया। ताला खुलते ही मिथुन और उसके साथी पुलिस टीम पर टूट पड़े। घायल सिपाहियों के अनुसार हमला होते ही इंस्पेक्टर वहां से भाग गए, इसके बाद दारोगा व सिपाही ने बगल के घर में छिपकर जान बचाई।
रउतइनिया निवासी मिथुन के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट में पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। रविवार की रात चौरीचौरा इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ वारंटियों की तलाश में निकले थे। इसी दौरान मिथुन के घर में मौजूद होने की सूचना मिली। मातहतों को साथ लेकर इंस्पेक्टर उसके घर दबिश देने पहुंच गए। हालांकि मिथुन के शातिरपन से पहले से वाकिफ एक सिपाही ने उसके घर दबिश देने से पहले पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था करने की सलाह दी लेकिन इंस्पेक्टर ने उसकी सलाह अनसुनी कर दी। रात में 1.15 बजे के आसपास पुलिस टीम मिथुन के घर पहुंची तो, लेने के देने पड़ गए।
घायल सिपाही बोले, हमला होते ही भाग निकले इंस्पेक्टर
सिपाहियों ने मेडिकल कालेज में मीडिया को दिए बयान में बताया कि बदमाशों ने जब हमला किया तो इंस्पेक्टर उन्हें छोड़कर वहां से भाग खड़े हुए। इंस्पेक्टर को भागता देख बाकी सिपाही भी वहां से भाग निकले और दारोगा तथा वे दोनों हमलावरों के बीच बुरी तरह से घिर गए।
दारोगा व सिपाही ने बगल के घर में छिपकर बचाई जान
सिपाही वंश नारायण के घायल होने के बाद पुलिस वालों की हिम्मत जवाब दे गई। जान बचाने के लिए दारोगा घनश्याम और सिपाही शैलेंद्र सिंह ने वहां से भागना ही मुनासिब समझा। इसी बीच दारोगा के गोली चलाने से हमलावरों के बीच अफरा-तफरी फैल गई। इसी का लाभ उठाकर दारोगा और सिपाही मिथुन के पड़ोसी के घर में घुसकर खुद को अंदर से बंद कर लिया। इसी बीच गोली लगने से घायल सिपाही वंश नारायण को चौरीचौरा इंस्पेक्टर ने अपनी सरकारी गाड़ी में लाद लिया और उन्हें साथ लेकर वहां से निकल गए। बाद में क्षेत्राधिकारी चौरीचौरा जब मौके पर पहुंचे तब मिथुन के पड़ोसी के घर के घर में छिपे दारोगा और सिपाही बाहर निकले ओर उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।
छप्पर के बरामदे में मिलीं मां व पत्नी
पुलिस पहुंची तो मिथुन की मां व पत्नी पक्की मकान के आगे छप्पर से बनाए गए बरामदे में सोती मिलीं। उन्हें जगाकर पूछताछ करने पर उन्होंने मिथुन के घर में मौजूद होने से इन्कार कर दिया। यहां बता दें कि मिथुन का घर दो कमरे का है। एक कमरे में ताला लगा था, दूसरे कमरे में कुंडी लगी थी। जिस कमरे में ताला लगा था उसी कमरे में मिथुन और उसके गुर्गे छिपे थे, लेकिन पुलिस इसका अंदाजा नहीं लगा पाई।
पुलिस टीम पर अचानक किया हमला
पुलिस को यह भी नहीं पता था कि मिथुन के साथ उसके सात-आठ गुर्गे भी मौजूद हैं। यह भी अंदाजा नहीं था कि बाहर से ताला लगे कमरे के अंदर वह गुर्गों के साथ छिपा होगा। कुछ पुलिस वाले जिस समय मिथुन की गर्भवती पत्नी से पूछताछ कर रहे थे और बाकी पुलिसकर्मी कुंडी लगे कमरे की तलाशी ले रहे थे, उसी समय उसकी मां ने सबकी नजर बचाकर दूसरे कमरे का ताला खोल दिया।
दारोगा भी ने चलाई थी गोली
मिथुन और उसके साथियों ने जिस समय हमला किया उस समय सामने दारोगा घनश्याम वर्मा और सिपाही वंश नारायण तथा शैलेंद्र सिंह मौजूद थे। बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिये। राड से सिर पर वार होने से दारोगा घनश्याम वर्मा जमीन पर गिर गए। हालांकि इस बीच उन्होंने अपनी सर्विस पिस्टल निकाल ली थी। एसएसपी के मुताबिक दारोगा ने तीन राउंड गोली भी चलाई लेकिन इसके बाद हमलावर उनकी पिस्टल लूटकर फरार हो गए।
दारोगा की गोली से एक हमलावर के घायल होने का अंदेशा
दारोगा की सर्विस रिवाल्वर से चली गोली से पुलिस एक हमलावर के घायल होने का अंदाजा लगा रही है। बताते हैं कि घायल बदमाश को उसके साथी बाइक से लेकर पुलिस के सामने ही मौके से भागे थे। हमले के बाद मिथुन के घर की तलाशी लेने पर सीढ़ी और छप्पर के बरामदे में कई जगह खून गिरा मिला है। इसी आधार पर पुलिस दारोगा की गोली से एक बदमाश के घायल होने का अनुमान लगा रही है। इसी आधार विभिन्न अस्पतालों में घायल बदमाश की तलाश की जा रही है।
याद आ गई लखनऊ की घटना इसलिए नहीं चलाई गोली
घायल सिपाह वंश नारायण ने बताया कि हमला होने पर उन्होंने अपनी सरकारी राइफल बोल्ट कर ली थी। गोली चलाने वाले थे। तभी कुछ दिन पहले लखनऊ में हुई घटना की याद आ गई और उसने गोली चलाने का इरादा त्याग कर पिटना ही मुनासिब समझा।
पिछले साल भी पुलिस मुठभेड़ में बच निकला था मिथुन
30 नवंबर 2017 की रात कुसम्हीं जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मिथुन बच निकलने में कामयाब हो गया था। हालांकि उसके दो साथी गिरफ्तार कर लिए गए थे। इस मुठभेड़ में उसके एक साथी को पैर में गोली लगी थी। उस रात मिथुन और उसके साथी हाइवे पर लूट की वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इस घटना के बाद पुलिस ने मिथुन पर इनाम घोषित करने के साथ ही गैंगस्टर की कार्रवाई भी की थी। बाद में कोर्ट में समर्पण कर वह जेल चला गया। एक सप्ताह पहले जेल से छूटकर घर आया था।
नेपाल भागने की फिराक में था शातिर
पुलिस टीम पर हमले के बाद एसएसपी शलभ माथुर और एसपी नार्थ रोहित सिंह सजवान भारी पुलिस बल के साथ रउतइनिया गांव पहुंचे थे। एसएसपी की मौजूदगी में मिथुन के घर की तलाश लेने पर उसके कमरे से बड़ी मात्रा में नेपाली करेंसी बरामद हुई है। इस आधार पर माना जा रहा है कि मिथुन और उसके गुर्गे कोई बड़ी वारदात अंजाम देने की फिराक में थे। इसके बाद शायद उनकी योजना नेपाल भागने की थी।
मिथुन पर दर्ज हैं 19 मुकदमे
शातिर बदमाश मिथुन पासवान शुरू-शुरू में चोरी की छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देता था। बाद में गिरोह बनाकर चोरी की बड़ी वारदातों को अंजाम देने लगा। इस बीच पुलिस ने उसे कई बार जेल भी भेजा। जेल में दूसरे बदमाशों के संपर्क में आने पर उसने हाइवे पर लूट की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया। चौरीचौरा, खोराबार, कैंट सहित जनपद के विभिन्न थानों में उसके विरुद्ध 19 मुकदमे दर्ज हैं।
आइजी ने कहा, बख्शे नहीं जाएंगे बदमाश
आइजी रेंज जय नारायण सिंह ने कहा कि पुलिस टीम पर हमला, बेहद गंभीर घटना है। इसमें शामिल किसी भी बदमाश को बख्शा नहीं जाएगा। हमला करने में शामिल बदमाशों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। बहुत जल्दी इसका परिणाम दिखाई देगा।
रउतइनिया निवासी मिथुन के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट में पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। रविवार की रात चौरीचौरा इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ वारंटियों की तलाश में निकले थे। इसी दौरान मिथुन के घर में मौजूद होने की सूचना मिली। मातहतों को साथ लेकर इंस्पेक्टर उसके घर दबिश देने पहुंच गए। हालांकि मिथुन के शातिरपन से पहले से वाकिफ एक सिपाही ने उसके घर दबिश देने से पहले पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था करने की सलाह दी लेकिन इंस्पेक्टर ने उसकी सलाह अनसुनी कर दी। रात में 1.15 बजे के आसपास पुलिस टीम मिथुन के घर पहुंची तो, लेने के देने पड़ गए।
घायल सिपाही बोले, हमला होते ही भाग निकले इंस्पेक्टर
सिपाहियों ने मेडिकल कालेज में मीडिया को दिए बयान में बताया कि बदमाशों ने जब हमला किया तो इंस्पेक्टर उन्हें छोड़कर वहां से भाग खड़े हुए। इंस्पेक्टर को भागता देख बाकी सिपाही भी वहां से भाग निकले और दारोगा तथा वे दोनों हमलावरों के बीच बुरी तरह से घिर गए।
दारोगा व सिपाही ने बगल के घर में छिपकर बचाई जान
सिपाही वंश नारायण के घायल होने के बाद पुलिस वालों की हिम्मत जवाब दे गई। जान बचाने के लिए दारोगा घनश्याम और सिपाही शैलेंद्र सिंह ने वहां से भागना ही मुनासिब समझा। इसी बीच दारोगा के गोली चलाने से हमलावरों के बीच अफरा-तफरी फैल गई। इसी का लाभ उठाकर दारोगा और सिपाही मिथुन के पड़ोसी के घर में घुसकर खुद को अंदर से बंद कर लिया। इसी बीच गोली लगने से घायल सिपाही वंश नारायण को चौरीचौरा इंस्पेक्टर ने अपनी सरकारी गाड़ी में लाद लिया और उन्हें साथ लेकर वहां से निकल गए। बाद में क्षेत्राधिकारी चौरीचौरा जब मौके पर पहुंचे तब मिथुन के पड़ोसी के घर के घर में छिपे दारोगा और सिपाही बाहर निकले ओर उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।
छप्पर के बरामदे में मिलीं मां व पत्नी
पुलिस पहुंची तो मिथुन की मां व पत्नी पक्की मकान के आगे छप्पर से बनाए गए बरामदे में सोती मिलीं। उन्हें जगाकर पूछताछ करने पर उन्होंने मिथुन के घर में मौजूद होने से इन्कार कर दिया। यहां बता दें कि मिथुन का घर दो कमरे का है। एक कमरे में ताला लगा था, दूसरे कमरे में कुंडी लगी थी। जिस कमरे में ताला लगा था उसी कमरे में मिथुन और उसके गुर्गे छिपे थे, लेकिन पुलिस इसका अंदाजा नहीं लगा पाई।
पुलिस टीम पर अचानक किया हमला
पुलिस को यह भी नहीं पता था कि मिथुन के साथ उसके सात-आठ गुर्गे भी मौजूद हैं। यह भी अंदाजा नहीं था कि बाहर से ताला लगे कमरे के अंदर वह गुर्गों के साथ छिपा होगा। कुछ पुलिस वाले जिस समय मिथुन की गर्भवती पत्नी से पूछताछ कर रहे थे और बाकी पुलिसकर्मी कुंडी लगे कमरे की तलाशी ले रहे थे, उसी समय उसकी मां ने सबकी नजर बचाकर दूसरे कमरे का ताला खोल दिया।
दारोगा भी ने चलाई थी गोली
मिथुन और उसके साथियों ने जिस समय हमला किया उस समय सामने दारोगा घनश्याम वर्मा और सिपाही वंश नारायण तथा शैलेंद्र सिंह मौजूद थे। बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिये। राड से सिर पर वार होने से दारोगा घनश्याम वर्मा जमीन पर गिर गए। हालांकि इस बीच उन्होंने अपनी सर्विस पिस्टल निकाल ली थी। एसएसपी के मुताबिक दारोगा ने तीन राउंड गोली भी चलाई लेकिन इसके बाद हमलावर उनकी पिस्टल लूटकर फरार हो गए।
दारोगा की गोली से एक हमलावर के घायल होने का अंदेशा
दारोगा की सर्विस रिवाल्वर से चली गोली से पुलिस एक हमलावर के घायल होने का अंदाजा लगा रही है। बताते हैं कि घायल बदमाश को उसके साथी बाइक से लेकर पुलिस के सामने ही मौके से भागे थे। हमले के बाद मिथुन के घर की तलाशी लेने पर सीढ़ी और छप्पर के बरामदे में कई जगह खून गिरा मिला है। इसी आधार पर पुलिस दारोगा की गोली से एक बदमाश के घायल होने का अनुमान लगा रही है। इसी आधार विभिन्न अस्पतालों में घायल बदमाश की तलाश की जा रही है।
याद आ गई लखनऊ की घटना इसलिए नहीं चलाई गोली
घायल सिपाह वंश नारायण ने बताया कि हमला होने पर उन्होंने अपनी सरकारी राइफल बोल्ट कर ली थी। गोली चलाने वाले थे। तभी कुछ दिन पहले लखनऊ में हुई घटना की याद आ गई और उसने गोली चलाने का इरादा त्याग कर पिटना ही मुनासिब समझा।
पिछले साल भी पुलिस मुठभेड़ में बच निकला था मिथुन
30 नवंबर 2017 की रात कुसम्हीं जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मिथुन बच निकलने में कामयाब हो गया था। हालांकि उसके दो साथी गिरफ्तार कर लिए गए थे। इस मुठभेड़ में उसके एक साथी को पैर में गोली लगी थी। उस रात मिथुन और उसके साथी हाइवे पर लूट की वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इस घटना के बाद पुलिस ने मिथुन पर इनाम घोषित करने के साथ ही गैंगस्टर की कार्रवाई भी की थी। बाद में कोर्ट में समर्पण कर वह जेल चला गया। एक सप्ताह पहले जेल से छूटकर घर आया था।
नेपाल भागने की फिराक में था शातिर
पुलिस टीम पर हमले के बाद एसएसपी शलभ माथुर और एसपी नार्थ रोहित सिंह सजवान भारी पुलिस बल के साथ रउतइनिया गांव पहुंचे थे। एसएसपी की मौजूदगी में मिथुन के घर की तलाश लेने पर उसके कमरे से बड़ी मात्रा में नेपाली करेंसी बरामद हुई है। इस आधार पर माना जा रहा है कि मिथुन और उसके गुर्गे कोई बड़ी वारदात अंजाम देने की फिराक में थे। इसके बाद शायद उनकी योजना नेपाल भागने की थी।
मिथुन पर दर्ज हैं 19 मुकदमे
शातिर बदमाश मिथुन पासवान शुरू-शुरू में चोरी की छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देता था। बाद में गिरोह बनाकर चोरी की बड़ी वारदातों को अंजाम देने लगा। इस बीच पुलिस ने उसे कई बार जेल भी भेजा। जेल में दूसरे बदमाशों के संपर्क में आने पर उसने हाइवे पर लूट की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया। चौरीचौरा, खोराबार, कैंट सहित जनपद के विभिन्न थानों में उसके विरुद्ध 19 मुकदमे दर्ज हैं।
आइजी ने कहा, बख्शे नहीं जाएंगे बदमाश
आइजी रेंज जय नारायण सिंह ने कहा कि पुलिस टीम पर हमला, बेहद गंभीर घटना है। इसमें शामिल किसी भी बदमाश को बख्शा नहीं जाएगा। हमला करने में शामिल बदमाशों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। बहुत जल्दी इसका परिणाम दिखाई देगा।