भारतीय सुरक्षा एजेंसियां नेपाल बॉर्डर पर खंगाल रहीं धर्मस्थलों के निर्माण का इतिहास Gorakhpur News
भारत-नेपाल के सीमाई इलाकों में धर्मस्थलों के निर्माण पर गंभीर शासन ने खुफिया एजेंसी से इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। भारत-नेपाल के सीमाई इलाकों में धर्मस्थलों के निर्माण पर गंभीर शासन ने खुफिया एजेंसी से इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इंटेलीजेंस यूनिट से कहा गया है कि पता लगाएं कि इन धर्मस्थलों का निर्माण किसने और कब कराया ? इसके लिए धन कहां से आया? निर्माण की पहल में कौन-कौन लोग प्रमुख थे? रखरखाव, रोजमर्रा के खर्चे कहां से आते हैं और किन लोगों का यहां आना-जाना रहता है? महानिदेशक इंटेलीजेंस डीएस चौहान के निर्देश पर क्षेत्रीय अभिसूचना इकाई (रीजनल इंटेलीजेंस यूनिट) ने छानबीन शुरू कर दी है। इसकी गोपनीय रिपोर्ट जल्द ही शासन को भेजी जाएगी।
शासन को मिली थी बड़ी संख्या में धर्मस्थलों के निर्माण की सूचना
शासन को सूचना मिली थी कि दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों में पिछले कुछ वर्षों के भीतर बड़ी संख्या में धर्मस्थलों का निर्माण कराया गया है। भारतीय सीमा में बने इन स्थलों की खुफिया पड़ताल में पता चला कि कुछ के निर्माण में हवाला के जरिए जुटाई रकम का भी इस्तेमाल हुआ है। कुछ जगहों से संदिग्ध गतिविधियां के संचालन का भी अंदेशा जताया गया। इसी सूचना के बाद धर्मस्थलों के निर्माण की जांच शुरू हुई है।
दो साल में बने धर्मस्थलों पर विशेष नजर
यूं तो 10 सालों के भीतर कई धर्मस्थलों का निर्माण हुआ है, लेकिन शासन ने उनके बारे में एक-एक जानकारी देने को कहा है जिनका निर्माण एक या दो साल में हुआ हो। हालांकि दो साल से पहले बने धर्मस्थलों के बारे में भी सभी तथ्य जुटाए जा रहे हैं।
150 से अधिक की सूची तैयार
गोरखपुर जोन के कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती जिले की लगभग 300 किमी लंबी सीमा नेपाल से लगती है। क्षेत्रीय अभिसूचना इकाई ने सीमा से एक निश्चित दायरे में आने वाले 150 से अधिक धर्मस्थलों को चिह्नित कर उसकी सूची तैयार कर ली है। इस दायरे को और बढ़ाकर धर्मस्थलों की जानकारी जुटाई जाएगी।