जान से प्यारा है भारत, समझौते का मोहताज नहीं है रिश्ता

नेपाल के विदेश मंत्री के बयान पर पूर्व गोरखा सैनिकों ने जताई असहमति।

By Edited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 07:58 AM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 07:58 AM (IST)
जान से प्यारा है भारत, समझौते का मोहताज नहीं है रिश्ता
जान से प्यारा है भारत, समझौते का मोहताज नहीं है रिश्ता

गोरखपुर, जेएनएन। नेपाली गोरखाओं के भारतीय सेना में शामिल करने को लेकर हुए त्रिपक्षीय समझौते की समीक्षा करने संबंधी दिए गए नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली के बयान का नेपाल में विरोध शुरू हो गया है। गोरखा सैनिकों व उनके परिजनों को भारत से अलग होना किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा रिश्ता किसी समझौते का मोहताज नहीं है। भारत जान से प्यारा है। नेपाल के बुटवल निवासी भूतपूर्व सैनिक परिषद के जिलाध्यक्ष लीला बहादुर क्षेत्रीय ने कहा कि नेपाल के विदेश मंत्री को अपना बयान वापस लेना चाहिए। नेपाल सरकार अपने देश के युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रही है। यदि विदेश मंत्री ने बयान वापस नहीं लिया तो पूर्व सैनिक विदेश मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। गोरखा सैनिकों के रहते कोई भी भारतीय सीमा को छू भी नहीं सकता है। पूर्व सैनिक तेज बहादुर गुरुंग, कृष्ण बहादुर, एसबी गुरुंग ने भी नेपाली विदेश मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई है। भारत नेपाल के संबंधों की अहम कड़ी हैं गोरखा सैनिक: गोरखा सैनिक दोनों देशों के संबंधों के लिए अहम कड़ी माने जाते हैं। नेपाल के नवलपरासी, रूपनदेही, गोरखा, झापा, सुनसरी, धनुषा सहित अन्य जनपदों के युवा भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में सेवा देते आ रहे हैं। 60 हजार सैनिक भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद परिवार के साथ नेपाल में रह रहे हैं। इन पूर्व सैनिकों का लगाव भारत से कम नहीं हुआ है। उन्हें पेंशन आदि सुविधाएं भारत सरकार मुहैया कराती हैं। गोरखा रेजीमेंट में शामिल हैं 70 फीसद नेपाली नेपाली गोरखा आजादी पूर्व ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल थे। 1947 में आजादी के बाद भारत, ब्रिटेन व नेपाल के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत पुन: इन्हें भारतीय सेना में शामिल होने का मौका मिला। वर्तमान में सात गोरखा रेजीमेंट भारतीय सेना का गौरव बढ़ा रही है। गोरखा रेजीमेंट में 70 फीसद हिस्सेदारी नेपाली गोरखाओं की है। बाकी तीस फीसद में गोरखपुर के कूड़ाघाट, महराजगंज, देहरादून, दार्जि¨लग व असम के गोरखा शामिल हैं।

chat bot
आपका साथी