गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता बढ़ाएं तभी बढ़ेगी रैंकिंग

कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि बदलते दौर के साथ-साथ शोध के तरीके में भी बदलाव की जरूरत है। उत्कृष्ट शोध के लिए अनुसंधान पद्धति पर कार्यशाला का आयोजन जरूरी है ताकि वे शोधार्थी विभिन्न प्रकार की पद्धतियों से परिचित हो सकें और अपने शोध में नवीनता ला सकें।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 03:25 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 03:25 PM (IST)
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता बढ़ाएं तभी बढ़ेगी रैंकिंग
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेश सिंह का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शोध से ही विश्वविद्यालयों की विशिष्ट पहचान बनती है। इसी से अच्‍छी रैंकिंग भी हासिल होती है। बदलते दौर के साथ-साथ शोध के तरीके में भी बदलाव की जरूरत है। उत्कृष्ट शोध के लिए अनुसंधान पद्धति पर कार्यशाला का आयोजन जरूरी है, ताकि वे शोधार्थी विभिन्न प्रकार की पद्धतियों से परिचित हो सकें और अपने शोध में नवीनता ला सकें।

कुलपति प्रो.सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की ओर से आयोजित 'मानविकी में शोध पद्धति: बदलते प्रतिमान विषय पर आयोजित सात दिवसीय आनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सीबीसीएस प्रणाली के महत्व, अनुसंधान पद्धति और संस्थानों के रैंकिंग संबंधी विषयों पर भी प्रकाश डाला।

साहित्यिक मूल्‍यों का पता कर वैश्विक स्‍तर पर बढ़ाने की जरूरत

मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के महिला विकास केंद्र की निदेशक प्रो.निशि पांडेय ने कहा कि शिक्षाविदों को भारतीय साहित्य, सौंदर्यशास्त्र, फिल्म, मीडिया और संस्कृति में साहित्यिक मूल्यों का पता लगाना चाहिए और उसे वैश्विक स्तर पर बढ़ाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि आइआइटी रुड़की के प्रो.नागेंद्र कुमार ने कहा कि मानविकी में भी इंटर डिसिप्लिनरी एवं ट्रांस डिसिप्लिनरी शोध होना चाहिए।

शोध की नैतिकता और वैधता पर विशेष ध्यान की आवश्‍यकता

कार्यशाला के समन्वयक प्रो.अजय कुमार शुक्ल ने आयोजन के उद्देश्यों का विवरण देते हुए कहा कि शोध की नैतिकता और वैधता पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। ऐसा करके शोध को शाश्वत रूप से प्रासंगिक बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में प्रतिदिन शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विद्वानों का मार्गदर्शन विद्यार्थियों को मिलेगा। अतिथियों का स्वागत अधिष्ठाता कला संकाय प्रो.नंदिता सिंह और धन्यवाद ज्ञापन प्रो.हुमा जावेद सब्जपोश तथा संचालन डा.संजीव कुमार विश्वकर्मा ने किया। कार्यशाला में विभाग के सभी शिक्षक, शोधार्थी एवं प्रतिभागी शामिल रहे।

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