इस अस्पताल में प्रसव के नाम पर वसूली करने वालों पर नहीं की गई कार्रवाई, खेला जा रहा खेल
प्रसव के नाम पर वसूली करने वाली नर्स और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जगह जांच का खेल शुरू हो गया है। यह हाल तब है जब राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी के निरीक्षण में अस्पताल प्रशासन रुपये वसूलने व वापस करने की बात स्वीकार कर चुका है।
गोरखपुर, जेएनएन : जिला महिला अस्पताल में प्रसव के नाम पर वसूली करने वाली नर्स और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जगह जांच का खेल शुरू हो गया है। यह हाल तब है, जब राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी के निरीक्षण के दौरान अस्पताल प्रशासन रुपये वसूले जाने व वापस करने की बात स्वीकार कर चुका है। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन मैट्रन से स्पष्टीकरण मांग कर शांत हो गया। अब दबाव बढ़ने पर मामले की जांच अपर निदेशक (एडी) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से कराने का अनुरोध किया गया है।
रुपये न मिलने पर मेडिकल कालेज रेफर करने की आती हैं शिकायतें
महिला अस्पताल में रुपये न मिलने पर गर्भवती को मेडिकल कालेज रेफर करने की शिकायतें काफी आती हैं। पिछले आठ जून को बिछिया की रहने वाली गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने के बाद स्वजन लेकर अस्पताल पहुंचे। आरोप है कि लेबर रूम में मौजूद नर्स ने प्रसव के लिए सात हजार रुपये मांगे। स्वजन ने असमर्थता जताई। आरोप है कि नर्स ने प्रसव तो कराया लेकिन नवजात की हालत गंभीर होने के बाद भी सिक न्यू बार्न केयर यूनिट में नहीं भेजा। नवजात की हालत बिगड़ने लगी तो स्वजन को पांच हजार रुपये देने पड़े। एसआइसी डा. माला सिन्हा ने बताया कि वसूली प्रकरण में मैट्रन से स्पष्टीकरण मांगा गया है। अब पूरे मामले की जांच के लिए एडी हेल्थ से अनुरोध किया गया है।
कई बार हो चुका है हंगामा
महिला अस्पताल में स्टाफ नर्स और कर्मचारियों की वसूली को लेकर कई बार हंगामा भी हो चुका है। शिकायत के बाद किसी के रुपये लौटा दिए जाते हैं तो किसी को डांट कर भगा दिया जाता है। जो रुपये नहीं देते उनके मरीज को तत्काल मेडिकल कालेज रेफर कर दिया जाता है।
राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ने भी लगाई फटकार
नौ जून को राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने महिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्होंने वसूली और अव्यवस्था को लेकर जिम्मेदारों पर नाराजगी जताई थी। महिला से पांच हजार रुपये वसूले के संबंध में एसआइसी से सवाल किया तो उन्होंने रुपये लौटाने की बात कही। इस पर अंजू चौधरी ने कहा कि किसी भी कीमत पर वसूली को जायज नहीं ठहराया जा सकता। यदि रुपये वापस भी किए गए तो अपराध कम नहीं होता है।