इस जिले में घर बैठे ही देख सकेंगे राजकीय बौद्ध संग्रहालय के विभिन्‍न गैलरियों के प्रदर्श Gorakhpur News

कोविड संक्रमण से बचने के लिए आज पूरी दुनिया आनलाइन मोड में आ गई है। पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक सबकुछ आनलाइन यानी आज की तारीख में खुद की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए आनलाइन मोड में आना ही होगा।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 10:10 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 10:10 AM (IST)
इस जिले में घर बैठे ही देख सकेंगे राजकीय बौद्ध संग्रहालय के विभिन्‍न गैलरियों के प्रदर्श Gorakhpur News
राजकीय बौद्ध संग्रहालय के विभिन्‍न गैलरियों के प्रदर्श देख सकेंगे आनलाइन। फाइल फोटो

डा. राकेश राय, गोरखपुर : कोविड संक्रमण से बचने के लिए आज पूरी दुनिया आनलाइन मोड में आ गई है। पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक सबकुछ आनलाइन यानी आज की तारीख में खुद की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए आनलाइन मोड में आना ही होगा। राजकीय बौद्ध संग्रहालय प्रशासन ने भी इस बात को स्वीकारा है और वर्तमान परिस्थितियों में लोगों के मानक पर खरा उतरने की योजना बनाई है।

घर-घर अपने प्रदर्श को पहुंचाने की तैयारी में संग्रहालय

संग्रहालय अपने प्रदर्श को आनलाइन मोड में घर-घर पहुंचाने की तैयारी कर रहा है, जिससे लोग घर में बैठकर ही संग्रहालय के विभिन्न गैलरियों में रखे प्रदर्श को देख सकें। प्रदर्श देखने के दौरान लोगों को संग्रहालय में होने का अहसास हो, इसके लिए संग्रहालय प्रशासन थ्रीडी मोड फिल्म बनवाने का प्रस्ताव तैयार करा रहा है। प्रस्ताव की प्राथमिक रूपरेखा के मुताबिक संग्रहालय एक ऐसी वीडियो फिल्म तैयार कराकर इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंचों पर अपलोड करेगा, जिसे देखते समय दर्शकों को ऐसा लगेगा कि वह संग्रहालय के विभिन्न वीथिकाओं में घूम-घूम कर प्रदर्श का अवलोकन कर रहे हैं। वीथिका में लगे प्रदर्श की ऐतिहासिकता को दर्शक जान सकें, इसके लिए वीडियो के साथ संतुलन बनाती आडियो से गूंजती बुलंद आवाज उनके लिए गाइड का काम करेगी।

संग्रहालय का आकर्षण हैं नवपाषाण से आधुनिक काल तक के प्रदर्श

रामगढ़ ताल किनारे 23 अप्रैल 1987 में स्थापित राजकीय बौद्ध संग्रहालय में नवपाषाण से लेकर आधुनिक काल तक की पुरातात्विक संपदाओं का संग्रह है। मृण-मूर्तियों के संग्रह के नजरिये से यह संग्रहालय और भी समृद्ध है। इसमें प्रस्तर मूर्तियां, सिक्के, पांडुलिपियों, लघुचित्र, टंका, आभूषण और ताड़पत्र बड़ी संख्या में मौजूद हैं। संग्रहालय में पांच वीथिकाएं हैं। पहली वीथिका महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन के नाम पर है, जिसमें भगवान बुद्ध के विविध स्वरूपों और मुद्राओं का प्रदर्शन है। दूसरी वीथिका में नवपाषाण कालीन हैंडेक्स से लेकर मध्यपाषाण कालीन ब्लेड्स आदि के प्रदर्श हैं। इसमें मौजूद मध्यकालीन नृत्यरत अष्टभुजि गणेश की प्रतिमा, दशावतार विष्णु, नवग्रहपट्ट, सप्तमातृका पट्ट, चषकधारी कुबेर और कसौटी पत्थर पर बनी पाल शैली की उमा-माहेश्वर की प्रतिमा बेहद आकर्षक है। तीसरी वीथिका में बौद्ध धर्म की अनेक कलाकृतियों जैसे वरद मुद्रा, अभय मुद्रा, भूमि स्पर्श मुद्रा में भगवान बुद्ध को प्रदर्शित किया गया है। चौथी वीथिका में चित्रकला के प्रदर्श हैं। इसमें राजस्थानी व पहाड़ी चित्रकला की विभिन्न शैलियों का प्रतिनिधित्व करने वाली विभास रागिनी, पंचतंत्र, कामासुर वध, महिषासुर मर्दिनी, त्रिपुरसुन्दरी जैसे लघुचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। पांचवीं और अंतिम जैन वीथिका है, जो जैन धर्म के इतिहास और विकास की तस्वीर खींचती है।

घर बैठे ही वीथिकाओं में घूमने का होगा अहसास

राजयकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर के उप निदेशक डा. मनोज कुमार गौतम ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहते हुए लोग (खासकर बच्चे) ऐतिहासिक प्रदर्शों का अवलोकन घर बैठे ही कर सकें। इसके लिए संग्रहालय को आनलाइन माध्यम से घर-घर पहुंचाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। पूरी कोशिश है कि यह प्रयास इतना जीवंत हो कि लोगों को घर बैठे ही संग्रहालय की वीथिकाओं में घूमने का अहसास हो।

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