एक फोन पर मदद कर रहे संघ के स्वयंसेवक, दवा से लेकर खानपान तक का कर रहे इंतजाम Gorakhpur News
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लखनऊ कार्यालय में बीते दिनों लंदन से एक फोन आया। फोन करने वाले व्यक्ति ने बिना किसी औपचारिकता के गोरखपुर के रामजानकी नगर में रह रहे अपने माता-पिता की मदद की गुहार लगाई।एक स्वयंसेवक ने यह जानकारी गोरखपुर के भाग प्रचारक अजित को दी।
गोरखपुर, जेएनएन : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लखनऊ कार्यालय में बीते दिनों लंदन से एक फोन आया। फोन करने वाले व्यक्ति ने बिना किसी औपचारिकता के गोरखपुर के रामजानकी नगर में रह रहे अपने माता-पिता की मदद की गुहार लगाई। लखनऊ के एक स्वयंसेवक ने यह जानकारी गोरखपुर के भाग प्रचारक अजित को दी। अजित तत्काल भाग कार्यवाह दुर्गेश त्रिपाठी के साथ उस व्यक्ति के माता-पिता से मिले। वह बीमार थे। उन्हें तत्काल चिकित्सीय सलाह से लेकर दवा तक की व्यवस्था कराई गई।
राप्तीनगर में एक परिवार में तीन लोग पाजिटिव
इसी तरह एक फोन नागालैंड से सह भाग संघचालक डा. राजेश बरनवाल के पास आया और बताया गया कि राप्तीनगर में एक परिवार में वृद्ध सहित सभी तीन लोग पाजिटिव हैं। मदद की जरूरत है। उन्हें भी स्वयंसेवकों द्वारा तत्काल मदद की गई। यह तो महज बानगी है, ऐसे करीब 150 फोन देश-विदेश से स्वयंसेवकों के पास आ चुके हैं और संघ की ओर से उन बीमार व बुजुर्ग लोगों की हरसंभव मदद की जा रही है। स्वयंसेवक उनके लिए खानपान से लेकर दवा तक का इंतजाम कर रहे हैं।
कुछ स्वयंसेवकों की तय की गई जिम्मेदारी
गोरक्ष प्रांत के सह संघचालक और सेवा भारती के प्रांत अध्यक्ष डा. महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस तरह के मामले काफी संख्या में आने लगे हैं, इसलिए इसे लेकर कुछ स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। पहले तो यह दायरा केवल खानपान के सामान और दवा तक सीमित था लेकिन अब डिमांड पर आक्सीमीटर और आक्सीजन सिलेंडर तक उपलब्ध कराया जा रहा है। एक दर्जन से अधिक लोगों अस्पताल मेें भर्ती कराने में भी मदद की गई है। सेवा के इस कार्य में डा. राजेश बरनवाल, अजित, दुर्गेश, सुधीर, जगदंबिका, रामजी, गौरव, प्रणव, कामेश आदि जिम्मेदारी तय की गई है।
समस्या समाप्त होने तक जारी है मदद का सिलसिला
सेवा भारती के अध्यक्ष डा. अग्रवाल बताते हैं कि ऐसा नहीं कि एक बार मदद करके ही अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री मान ली जा रही है। स्वयंसेवक तबतक संबंधित व्यक्ति की मदद कर रहे हैं, जबतक इसकी दरकार समाप्त नहीं हो जा रही। पूरी कोशिश है मदद के आकांक्षी वृद्धजनों और बीमारजनों को उनके स्वजनों के पास न होने कमी खलने नहीं पाए।