North Eastern Railway: करोड़ों के बेडरोल कंडम होने की ओर, उम्र पूरी कर चुके हैं 55 हजार चादर

हालांकि रेलवे प्रशासन ने जरूरत के अनुसार कंबलों और चादरों का उपयोग अस्पतालों रङ्क्षनग रूम और डारमेट्री में शुरू कर दिया है। बताते हैं कि अस्पतालों और रनिंग रूम में भी इनका प्रयोग बहुत दिनों तक नहीं हो पाएगा।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 11:30 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 11:30 AM (IST)
North Eastern Railway: करोड़ों के बेडरोल कंडम होने की ओर, उम्र पूरी कर चुके हैं 55 हजार चादर
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय रेलवे के करोड़ो के बेडरोल (चादर, कंबल, तौलिया और तकिया आदि) कंडम होने की ओर बढ़ रहे हैं। 23 मार्च 2020 से ही उनका उपयोग नहीं हो रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर स्थित मैकेनाइज्ड लाउंड्री में ही लगभग 55 हजार चादर अपनी उम्र पूरी चुके हैं। यानी, अब यह चादर उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं। लाउंड्री में करीब 15 हजार कंबल के अलावा तौलिया और तकिया भी पड़े हैं।

रेलवे ने शुरू किया अस्पतालों, रनिंग रूम और डारमेट्री में उपयोग

हालांकि, रेलवे प्रशासन ने जरूरत के अनुसार कंबलों और चादरों का उपयोग अस्पतालों, रङ्क्षनग रूम और डारमेट्री में शुरू कर दिया है। लेकिन अस्पतालों और रनिंग रूम में भी इनका प्रयोग बहुत दिनों तक नहीं हो पाएगा। दरअसल, पिछले साल लाकडाउन के साथ बेडरोल भी लाउंड्री में सुरक्षित रख दिए गए। एक जून 2020 से स्पेशल के रूप में ट्रेनें चलने लगीं, लेकिन संक्रमण को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने बेडरोल पर पूरी तरह रोक लगा दी। लाउंड्री में आज भी बेडरोल सुरक्षित हैं, लेकिन अब उनकी आयु समाप्त हो गई हैं। जानकारों का कहना है कि कंबल का प्रयोग चार और चादर का प्रयोग अधिकतम दो साल तक किया जा सकता है। एक साल तीन माह से अधिक हो गए, बेडरोल लाउंड्री से निकले ही नहीं। महामारी को देखते हुए नहीं लग रहा कि मार्च 2022 तक स्थिति सामान्य हो पाएगी। अगर यही स्थित बनी रही तो बेडरोल का कांसेप्ट ही समाप्त हो जाएगा। फिलहाल, रेलवे बोर्ड ने भी सभी जोन से बेडरोल की सूची मांगी है। पूर्वोत्तर रेलवे स्तर पर भी गिनती शुरू हो गई है।

स्टेशनों पर डिस्पोजेबल बेडरोल बेच रहा रेलवे

रेलवे प्रशासन ने स्टेशनों पर निर्धारित कीमत पर डिस्पोजल बेडरोल की बिक्री शुरू करा दी है। गोरखपुर में भी एक स्टाल खुल गया है। 200 रुपये में डिस्पोजेबल लिनेन (डिस्पोजेबल बेडरोल किट) मिल रहा है। हालांकि, लोगों का रुझान नहीं है। यात्री अभी भी रेलवे के बेडरोल का इंतजार कर रहे हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का कहना है कि कोविड संक्रमण से बचाव के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। जिसके अंतर्गत वातानुकूलित कोच में से कंबल एवं चादर देने पर भी रोक लगी हुई है। उपलब्ध बेडरोल को उचित तरीके से रखा गया है। जिनमें से आवश्यकतानुसार अस्पताल एवं रङ्क्षनग रूम में उपयोग किया जा रहा है।

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