14 वर्ष से कम हुई उम्र तो नहीं दे सकेंगे मुंशी-मौलवी की परीक्षा Gorakhpur News

उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की मुंशी-मौलवी की परीक्षा में 14 वर्ष से कम उम्र के छात्र शामिल नहीं हो सकते हैं। कोर्स पूरा करने की अवधि भी निर्धारित कर दी गई है। तय समय में कोर्स पूरा न करने वाले को नए सिरे से आवेदन करना होगा।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 06:55 AM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 06:55 AM (IST)
14 वर्ष से कम हुई उम्र तो नहीं दे सकेंगे मुंशी-मौलवी की परीक्षा Gorakhpur News
14 वर्ष से कम उम्र के लोग नहीं दे सकेंगे मुंशी-मौलवी की परीक्षा। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखुर, जेएनएन: उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की मुंशी-मौलवी की परीक्षा में 14 वर्ष से कम उम्र के छात्र शामिल नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा बोर्ड ने एक और बड़ा बदलाव किया है। कोर्स पूरा करने की अवधि भी निर्धारित कर दी गई है। तय समय में कोर्स पूरा न करने वाले को नए सिरे से आवेदन करना होगा। बोर्ड ने यह फैसला ऐसे समय पर किया है, जब परीक्षार्थियों की संख्या साल दर साल कम होती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक बीते पांच वर्ष में परीक्षार्थियों की संख्या करीब 60 फीसद तक कम हुई है।

परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी मदरसा बोर्ड ने

मदरसा शिक्षा बोर्ड ने अगले वर्ष होने वाली परीक्षाओं की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार कई तरह के बदलाव के साथ बोर्ड ने नई गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन के मुताबिक मुंशी-मौलवी की परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थी की उम्र 31 मार्च, 2021 को 14 साल या इससे अधिक होनी चाहिए। इसके अलावा मुंशी-मौलवी (हाईस्कूल) एवं आलिम/सीनियर सेकेंड्री (इंटरमीडिएट) के दो वर्षीय कोर्स को चार वर्ष, कामिल (बीए) के तीन वर्षीय कोर्स को छह वर्ष तथा फाजिल (एमए) के दो वर्षीय कोर्स को चार साल के भीतर पूरा करना होगा। बोर्ड ने परीक्षा में प्रश्नपत्रों की संख्या भी घटाई है। अब तक मुंशी-मौलवी के लिए 11 पेपर होते थे, जिसे घटाकर छह कर दिया गया है। इसमें एक वैकल्पिक विषय भी शामिल है। इसी तरह आलिम व कामिल के 10 से घटाकर छह और फाजिल के परीक्षार्थियों को आठ के बजाए छह पेपर देने होंगे। छात्रों को आनलाइन परीक्षा फार्म भरने होंगे।  

लगातार कम हो रही परीक्षार्थियों की संख्या

मदरसों का शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए मदरसा बोर्ड लगातार प्रयास कर रहा है, जबकि परीक्षार्थियों की संख्या कम होती जा रही है। बीते पांच वर्षों में परीक्षार्थियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। कैमरे की निगरानी में परीक्षा होने की वजह से फेल होने वालों की तादाद भी बढ़ी है। मदरसा दारुल अंजुमन इस्लामियां के प्रधानाचार्य डा.रफीउल्लाह बेग का कहना है कि प्राइवेट फार्म भरने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। ऐसा इसलिए कि मदरसा बोर्ड के साथ-साथ यूपी बोर्ड की भी परीक्षा होती है और प्राइवेट फार्म भरने वाले बच्चे यूपी बोर्ड को प्राथमिकता देते हैं।

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