Railway News: रास्ते में ट्रेन रुकी तो पांच मिनट के अंदर देनी होगी सूचना
Railway News किन्ही भी कारणों से ट्रेन रास्ते में रुकी तो लोको पायलटों को पांच मिनट के अंदर कंट्रोल रूम को सूचना देनी होगी। सूचना देने में विलंब हुआ तो तत्काल निलंबन की कार्रवाई होगी। रेल कर्मचारियों ने रेलवे के इस फैसले का विरोध करना होगा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रास्ते में ट्रेन का इंजन खराब हो गया या कपलिंग टूट गई। ट्रेन के आगे कोई जानवर आ गया या चेनपुलिंग हो गई। किन्ही भी कारणों से ट्रेन रास्ते में रुकी तो (रनिंग स्टाफ) लोको पायलटों को पांच मिनट के अंदर कंट्रोल रूम को सूचना देनी होगी। सूचना देने में विलंब हुआ तो तत्काल निलंबन की कार्रवाई होगी।
कंट्रोल रूम को जानकारी देने में विलंब हुआ तो निलंबित होंगे लोको पायलट
सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन मौके पर संबंधित रेलकर्मी भेज देगा या दूसरा इंजन मुहैया करा देगा। हालांकि, इसके पहले भी रनिंग स्टाफ कंट्रोल को सूचना देता था, लेकिन सूचना देने के लिए समय की पाबंदी या कार्रवाई का कोई नियम नहीं था। इंजन खराब होने या कपलिंग टूटने पर रनिंग स्टाफ ही खामियों को दुरुस्त कर लेते थे। थे। अगस्त में पीपीगंज के पास गोंडा जा रही मालगाड़ी की कपलिंग टूट गई। कोई दुर्घटना तो नहीं हुई, लेकिन लोको पायलटों और गार्ड ने टार्च जलाकर कपलिंग को दुरुस्त कर लिया। अब तो रनिंग स्टाफ के पास टूल किट के रूप में मरम्मत करने वाला कोई हथियार भी नहीं है। ऐसे में ट्रेनों के विलंबन की आशंका बढ़ गई है।
लखनऊ मंडल के रनिंग स्टाफ में बढ़ा आक्रोश, मजदूर यूनियन ने किया विरोध
संबंधित रेलकर्मियों में आक्रोश बढ़ गया है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त का कहना है कि रेलवे प्रशासन मनमाना आदेश-निर्देश जारी कर रहा है। रनिंग स्टाफ का उत्पीड़न बढ़ता ही जा रहा है। जल्द ही इस प्रकरण को महाप्रबंधक और रेलवे बोर्ड के समक्ष उठाया जाएगा। साथ ही लोको पायलटों को भी लाइन बाक्स देने की मांग की है।
झंडी, पटाखा और टार्च के भरोसे चल रहीं ट्रेनें
एक माह से गोरखपुर से लखनऊ के बीच चलने वाली ट्रेनें सिर्फ झंडी, पटाखा और टार्च के भरोसे चल रही हैं। रेलवे प्रशासन लाइन बाक्स, टूल किट और नियमावली पुस्तिका पर रोक लगा दी है। लोको पायलट ट्राली बैग की जगह सिर्फ झंडी, पटाखा और टार्च लेकर चल रहे हैं। ऐसे में संरक्षा प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। रेलवे प्रशासन न ट्राली बैग देने का दबाव बना रहा और न रनिंग स्टाफ ट्राली बैग लेकर चल रहे हैं। इंजनों में लाइन बाक्स भी नहीं रखा जा रहा। सवाल यह है कि आखिर ट्रेनें बिना संरक्षा उपकरण और नियमों की अनदेखी करते हुए कब तक चलती रहेंगी।
बिना ट्राली बैग के हो रहा ट्राली बैग का परीक्षण
रेलवे बोर्ड का कहना है कि परीक्षण के लिए रनिंग स्टाफ को लाइन बाक्स की जगह ट्राली बैग दिए जा रहे हैं। लेकिन लोको पायलट तो ट्राली बैग लेकर चल ही नहीं रहे। तो सवाल यह है कि बिना ट्राली बैग के कैसे ट्राली बैग का परीक्षण हो रहा है। परीक्षण की जगह प्रकरण और उलझता जा रहा है।