पुरुष सदस्य बाहर होंगे तो महिला को मिलेगा रोजगार, घर-घर जाकर तैयार की जाएगी सूची

बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले मनरेगा को जिले में प्रभावी ढंग से लागू करने की तैयारी चल रही है। घर-घर घूमकर मनरेगा के तहत कार्य करने के इच्‍छुक लोगों का नाम नोट किया जाएगा और उनकी मांग के अनुसार डिमांड रजिस्टर तैयार की जाएगी।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:43 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 08:05 AM (IST)
पुरुष सदस्य बाहर होंगे तो महिला को मिलेगा रोजगार, घर-घर जाकर तैयार की जाएगी सूची
मनरेगा में महिलाओं को मिलेगा रोजगार। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, उमेश पाठक। बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को जिले में प्रभावी ढंग से लागू करने की तैयारी चल रही है। घर-घर घूमकर मनरेगा के तहत कार्य करने के इच्‍छुक लोगों का नाम नोट किया जाएगा और उनकी मांग के अनुसार मांग पंजिका (डिमांड रजिस्टर) तैयार की जाएगी। अच्‍छी बात यह है कि जिन परिवारों के पुरुष सदस्य रोजगार के लिए किसी दूसरे शहर में होंगे, उस परिवार की महिला सदस्यों का जाब कार्ड बनाकर उन्हें रोजगार मुहैया कराया जाएगा। हर गांव में सर्वाधिक निर्धन 15 परिवारों को इस साल 100 दिन का रोजगार दिलाने की मुहिम चलाई जाएगी। प्रशासन की मंशा है कि मनरेगा योजना अब खड़ंजा एवं मिट्टी भराई से आगे निकल गांव के असल विकास में योगदान दे।

इच्‍छुक लोगों को उपलब्‍ध कराया जाएगा काम

काम करने के इच्‍छुक लोगों को मनरेगा के तहत काम उपलब्ध कराना इस योजना का उद्देश्य है लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आती है। गांव में रहने वाले लोगों को काम के बारे में जानकारी न होने एवं समय से काम न करने के कारण अधिकतर लोग काम से वंचित रह जाते हैं। काम करने के इच्‍छुक हर व्यक्ति को रोजगार मिल सके इसलिए जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने अभियान चलाकर इस योजना से अधिक से अधिक लोगों को आच्‍छादित करने का निर्देश दिया है।

नहीं पूरा हो पाता 100 दिन रोजगार का लक्ष्य

मनरेगा के तहत जाब कार्ड धारक को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार मिलना चाहिए लेकिन काम न होने के कारण ऐसा नहीं हो पाता है। जिले में औसतन 20 दिन का रोजगार ही मिलता है। यानी एक जाब कार्ड धारक को साल में 20400 रुपये की जगह मात्र 4080 रुपये ही मिल पा रहे हैं। जिले में 5.22 लाख जाब कार्ड धारक हैं, जिसमें से मात्र 2.98 लाख जाब कार्ड ही क्रियाशील हैं। 2020-21 के लेबर बजट के अनुसार जिले में 61.32 लाख मानव दिवसों का सृजन हो सका था।

जोड़े जाएंगे नए तरह के काम

मनरेगा के जरिए आमतौर पर एक व्यक्ति के घर से दूसरे व्यक्ति के घर तक कच्‍ची सड़क बनाने या खड़ंजा बिछाने का ही काम होता रहा है जबकि अधिनियम के मुताबिक 262 प्रकार के काम कराए जा सकते हैं। जिलाधिकारी ने अब मत्स्य पालन के लिए नए तालाब खोदने, चारागाह बनाने, खेल के मैदान विकसित करने, वर्मी कंपोस्ट पिट बनाने, कूड़ा प्रबंधन के कार्य सहित कई कार्यों को इससे जोड़ा है। नए तरह के कार्य जुडऩे से अधिक से अधिक मानव कार्य दिवसों का सृजन हो सकेगा।

जिले में बनाए जाएंगे 2588 वर्मी कंपोस्ट पिट

मनरेगा के तहत जिले में 2588 वर्मी कंपोस्ट पिट का निर्माण किया जाएगा। जिले के हर ग्राम पंचायत में दो वर्मी कंपोस्ट पिट बनाए जाएंगे और इससे मनरेगा के तहत 12 हजार 940 मानव दिवसों का सृजन हो सकेगा। इन वर्मी कंपोस्ट पिट से एक बार में 7764 मीट्रिक टन वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन हो सकेगा। एक पिट से तीन कुंतल खाद प्राप्त की जा सकेगी। जिलाधिकारी ने इसके लिए तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।

मनरेगा योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण आज

मनरेगा योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। मुख्य विकास अधिकारी इंद्रजीत ङ्क्षसह ने बताया कि कार्यशाला में सभी ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी, तकनीकी सहायक, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, संबंधित विभागों के अधिकारी सहित 475 लोग शामिल होंगे। सभी को सुबह 8.30 बजे कार्यशाला में उपस्थित होना होगा।

अभियान चलाकर बनाए जाएंगे जाब कार्ड

जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि मनरेगा के तहत जाब कार्ड धारक को अधिक से अधिक दिन रोजगार देने का प्रयास है। अभियान चलाकर जाब कार्ड बनाए जाएंगे और इच्‍छुक लोगों के नाम नोट किए जाएंगे। जिस परिवार के पुरुष सदस्य बाहर होंगे, उनके महिला सदस्य को रोजगार दिया जाएगा। प्रयास होगा कि हर गांव के कम से कम 15 सर्वाधिक निर्धन परिवार के लोगों को 100 दिन का रोजगार मिल सके।

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