महराजगंज में महाव नाले की रेत से पटे सैकड़ों एकड़ खेत

नेपाल पहाड़ियों से आने वाली महाव नदी महराजगंज के झिगटी गांव से भारत में प्रवेश करती है इसे यहां महाव नाला कहा जाता है। 23 किमी लंबी यह नदी संरक्षित वन क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों से होते हुए रौता गांव के पास बघेला नदी में मिलती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 11:38 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 11:38 PM (IST)
महराजगंज में महाव नाले की रेत से पटे सैकड़ों एकड़ खेत
महराजगंज में महाव नाले की रेत से पटे सैकड़ों एकड़ खेत

महराजगंज: नेपाल से तेज गति से आने वाली महाव नदी सरकारी अमले की लापरवाही के कारण भारत में तबाही का सबब बन रही है। मरम्मत नहीं होने के कारण तटबंध टूट रहे हैं। पानी के साथ पहुंची रेत खेतों में फैलकर किसानों की मेहनत जमींदोज कर रही है। सिंचाई विभाग अपने क्षेत्र में मरम्मत की जरूरत न होने और वन क्षेत्र में संकरी तली का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहा है, वहीं वन विभाग का कहना है कि सिंचाई विभाग के अनुसार काम कराए गए हैं। हमें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी ध्यान रखना है।

नेपाल पहाड़ियों से आने वाली महाव नदी महराजगंज के झिगटी गांव से भारत में प्रवेश करती है, इसे यहां महाव नाला कहा जाता है। 23 किमी लंबी यह नदी संरक्षित वन क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों से होते हुए रौता गांव के पास बघेला नदी में मिलती है। सिंचाई विभाग के अनुसार वन क्षेत्र में तली की चौड़ाई चार मीटर और आबादी क्षेत्र में 20 मीटर है। पहाड़ी से उतरने के कारण इसका प्रवाह काफी तीव्र होता है।

नदी के तीव्र प्रवाह के कारण 15 जून को चार स्थानों पर तटबंध टूट गया था, जिससे दोगहरा, विशुनपुर, अमहवा, खैरहवां , हरपुर पाठक, पड़ौली, कोहरगड्डी, असुरैना, तरैनी, पिपरहिया, महरी, लुठहवां गांवों के पांच सौ एकड़ से अधिक खेत जलमग्न हो गए। अब पानी उतरने लगा है, लेकिन खेतों में रेत की मोटी परत जम चुकी है। धान की बेहन और साग-सब्जी की फसल नष्ट हो चुकी है। रेत के कारण किसान चाह कर भी खेती नहीं कर पा रहे। कई बार टूट चुका है तटबंध

तटबंध पहली बार नहीं टूटा है। इसके पहले भी महाव नाला की रेत खेतों को लील चुकी है, लेकिन समस्या का अभी तक समाधान नहीं निकाला जा सका। विशुनपुर के किसान प्रमोद चौधरी, जयप्रकाश तिवारी, अगस्त मुनि चौधरी, खैरहवा दुबे के किसान सुनील मिश्र, मंदीप यादव व जोखू आदि ने बताया कि बंधे का टूटना कोई नई बात नहीं है। मरम्मत के नाम पर जिम्मेदार अधिकारी करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करते हैं, लेकिन हमारे खेत तो खत्म होते जा रहे हैं। सिंचाई विभाग के अधीन आने वाला तटबंध मजबूत है। इसकी मरम्मत की जरूरत नहीं समझी गई। वन क्षेत्र में महाव नाला के संकरा होने तथा सफाई न होने से तटबंध टूटा है। टूटे बंधे की मरम्मत संबंधित ग्राम पंचायतें मनरेगा के जरिए करा रहीं हैं।

राजीव कपिल, अधिशाषी अभियंता, सिंचाई खंड दो महराजगंज सिंचाई विभाग के कहने पर वन क्षेत्र में नौ स्थानों पर तटबंध तोड़ा गया है ताकि पानी जंगल क्षेत्र में फैल जाए। नाले का चौड़ीकरण और सफाई का काम सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ही होगा।

पुष्प कुमार के, डीएफओ, सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग

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