छापा पड़ा तो परेशान हो गए अस्‍पताल संचालक, सर 'ट्रामा' पेंट करा दें या बोर्ड ही बदल दें

स्वास्थ्य विभाग ने अस्‍पतालों में छापा मारा तो संचालकों में खलबली सी मच गई है। रोज स्वास्थ्य विभाग में फोन आ रहे हैं कि बोर्ड पर लिखे हुए ट्रामा को पेंट करा दें या बोर्ड ही बदल दें।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 06:10 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 06:10 PM (IST)
छापा पड़ा तो परेशान हो गए अस्‍पताल संचालक, सर 'ट्रामा' पेंट करा दें या बोर्ड ही बदल दें
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने चल रहे अवैध ट्रामा सेंटरों पर छापा मारा तो अस्‍पताल संचालक हुए परेशान। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : 'ट्रामा का ड्रामा' अभियान का असर दिखने लगा है। स्वास्थ्य विभाग के पहले छापे के बाद अस्पताल संचालकों में खलबली मच गई है। रोज स्वास्थ्य विभाग में फोन आ रहे हैं कि सर, बोर्ड पर लिखे 'ट्रामा' पर पेंट करा दें या बोर्ड बदलवा दें।

28 जुलाई से अभियान चला रहा है दैनिक जागरण

दैनिक जागरण ने जिले में अवैध रूप से चल रहे ट्रामा सेंटरों पर 28 जुलाई से अभियान शुरू किया है। बिना अनुमति 12 किलोमीटर के दायरे में 24 से अधिक ट्रामा सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जबकि विभाग ने किसी को ट्रामा के संचालन की अनुमति प्रदान नहीं की है। जागरण ने अपने अभियान में न सिर्फ ऐसे ट्रामा सेंटरों में सुविधाओं की पड़ताल करते हुए इनके द्वारा मरीजों को गुमराह करने की बात सामने रखी, बल्कि एंबुलेंस कर्मियों व आशा कार्यकर्ताओं से इनकी गठजोड़ को भी उजागर किया था।

इन अस्पतालों पर पड़ा था छापा

स्वास्थ्य विभाग ने तारामंडल क्षेत्र स्थित तीन अस्पतालों, डिसेंट हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, शानवी हास्पिटल मैटरर्निटी एंड ट्रामा सेंटर व शिवानी हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर पर छापा मारकर मानकों की जांच की। संचालकों से पूछा कि उन्होंने बिना अनुमति ट्रामा सेंटर क्यों लिखा है। इन अस्पतालों में ट्रामा सेंटर की सुविधाएं भी नहीं मिलीं। किसी अस्पताल के पास चार आपरेशन थियेटर नहीं थे। मानक के अनुसार कहीं सर्जन, न्यूरो सर्जन व अन्य विशेषज्ञ भी मौजूद नहीं मिले। उन्हें नोटिस देकर एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है। हालांकि अभी तक किसी अस्पताल ने नोटिस का जवाब नहीं दिया है।

संचालक इस बात का जवाब देंगे कि किसकी अनुमति से लिख रहे हैं 'ट्रामा'

नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डा. एनके पांडेय ने कहा कि कई अस्पताल संचालकों के फोन आए थे। वे ट्रामा शब्द को हटाने के लिए कह रहे थे। पूछ रहे थे कि ट्रामा पर केवल पेंट लगा दें या पूरा बोर्ड बदलवा दें। उनसे स्पष्ट कहा गया है कि ट्रामा हटाना है, चाहे जैसे हटाएं। साथ ही इस बात का जवाब देना होगा कि किसकी अनुमति से इस शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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