35 सौ साल पुराना है यूपी के इस जिले का इतिहास, सर्वेक्षण में मिले हैं ताम्र पाषाण काल तक के अवशेष

यूपी के संतकबीर नगर की बसावट का इतिहास 3500 साल पुराना है। पुरातात्विक सर्वेक्षण में जिले के कई गावों में ताम्र पाषाण काल के तो बेलहर कलां ब्लाक के गांवों से मौर्य काल काल से लेकर मध्यकाल तक के अवशेष मिले हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 11:16 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 11:58 PM (IST)
35 सौ साल पुराना है यूपी के इस जिले का इतिहास, सर्वेक्षण में मिले हैं ताम्र पाषाण काल तक के अवशेष
संतकबीर नगर में मिले पुरातात्विक अवशेष। - सौंजन्‍य- क्षेत्रीय पुरातत्‍व विभाग

गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। संत कबीर नगर को जिले का दर्जा भले ही 24 साल पहले मिला पर यहां लोगों की बसावट का इतिहास 3500 साल पुराना है। पुरातात्विक सर्वेक्षण में जिले के मेहदावल, नाथनगर और बघौली ब्लाक के गावों में ताम्र पाषाण काल के तो बेलहर कलां ब्लाक के गांवों से मौर्य काल काल से लेकर मध्यकाल तक के अवशेष मिले हैं। सर्वेक्षण कार्य जारी है, ऐसे में पुरातत्व विभाग को यहां से कई नई और रोचक जानकारी मिलने को उम्मीद है।

बेलबनवां में ताम्र पाषाण काल तो जंगल बेलहर में मिले है मौर्य काल के अवशेष

राज्य पुरातत्व विभाग की क्षेत्रीय इकाई की ओर से जिले में पुरातात्विक सर्वेक्षण का सिलसिला 2008 से शुरू हुआ है। सभी नौ ब्लाकों के गांवों में यह सर्वेक्षण किया जाना है। इसके तहत अबतक नाथनगर, बघौली, मेहदावल, सांथा ब्लाक के गावों का सर्वेक्षण किया जा चुका है। नाथ नगर, मेहदावल और बघौली के ब्लाक के आधा दर्जन से अधिक गांवों (बेलबनवां, बडग़ों, भगवानपुर, तरैना, जगदीश गौरा, अब्बासगंज आदि) गांवों से ताम्रपाषाण काल तक के अवशेष भी मिले हैं। पिछली आठ फरवरी से बेलहर कलां ब्लाक के गावों में सर्वेक्षण शुरू हुआ है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी के निर्देशन में यह सर्वेक्षण 10 मार्च तक चलेगा। त्यागी के मुताबिक अबतक बेलहर कलां के 60 गावों का सर्वेक्षण किया जा चुका है, जिनमें 10 गावों में पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं। मठिया पार के शिव मंदिर से गुप्तकालीन अर्घायुक्त शिवलिंग प्राप्त हुआ है। चिरहिवा टोला और बढय़ा बाबू से मौर्य काल से मध्य काल तक बर्तनों के टुकड़े मिले हैं। जंगल बेलहर व पिपरी टोला में मौर्य काल से मध्य काल तक के मृदभांड मिले हैं और गतुखोर व भरवलिया से कुषाण काल के बर्तन। अगले वर्ष सेमरियावां ब्लाक के गांवों में सर्वेक्षण कराए जाने की पुरातत्व विभाग की योजना है।

जिले के लहुरादेवा से मिल चुकी है चावल की भूंसी

पुरातत्व विभाग ने इससे पहले 2001 से लेकर 2006 के बीच संत कबीर नगर के सेमरियावां ब्लाक के लहुरादेवा गांव के एक टीले की खोदाई कराई थी। उस खोदाई में विभाग को चावल की भूंसी के साक्ष्य मिले थे। जांच के दौरान उस भूसी के नव पाषाणकालीन होने की पुष्टि हुई थी।

संतकबीर नगर जिले के सेमरियावां ब्लाक के लहुरादेवा गांव में खोदाई के दौरान चावल की भूंसी का साक्ष्य मिलने के बाद पुरातत्व विभाग ने संपूर्ण जिले के पुरातात्विक सर्वेक्षण का फैसला 2008 में लिया। इस क्रम में जिले के नौ ब्लाक में से पांच ब्लाक के गांवों का सर्वेक्षण लगभग पूरा किया जा चुका है। ताम्र पाषाण काल से लेकर मध्य काल तक अवशेष इन गावों में मिल चुके हैं। चूंकि ताम्र पाषाण काल 1500 से 800 ईसा पूर्व तक माना जाता है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले में लोगों की बसावट का इतिहास 3000 से 3500 वर्ष पुराना है। - नरसिंह त्यागी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, गोरखपुर।

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