यहां गांव के कचरे से तैयार हो रही खाद, बनाए जा रहे कंपोस्ट पिट Gorakhpur News
पंचायती राज विभाग के निर्देश पर गोरखपुर के सभी गांवों में दो-दो कंपोस्ट पिट तैयार किए जा रहे हैं। इससे गांव से निकलने वाले कचरे से खाद बनाई जाएगी। 50 गांवों में कंपोस्ट पिट बना भी लिए गए हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गांवों से निकलने वाले कचरे से अब खाद बनाई जाएगी और खेतों को उपजाऊ बनाया जाएगा। पंचायती राज विभाग के निर्देश पर जिले के सभी गांवों में दो-दो कंपोस्ट पिट तैयार किए जा रहे हैं। जिले के 2878 राजस्व गांवों में भी ये कंपोस्ट पिट बनाने के निर्देश दिए गए हैं और करीब 500 गांवों में इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 50 गांवों में कंपोस्ट पिट बना भी लिए गए हैं। इस गड्ढे में तीन महीने में कचरे से खाद बन जाएगी और खेतों में उपयोग किया जा सकेगा।
तीन महीने में खेतों में प्रयोग के लिए तैयार होगी खाद
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण में गांवों को कचरा मुक्त बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी क्रम में अभियान चलाकर गांवों को स्वच्छ बनाया जा रहा है। ठोस एवं तरल कचरे को अलग-अलग निस्तारित किया जा रहा है। अपर मुख्य सचिव पंचायती राज की ओर से इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं। शासन से निर्देश मिलने के बाद से ही जिले में कंपोस्ट पिट बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। प्रतिदिन तैयार होने वाले कंपोस्ट पिट की जानकारी जिला मुख्यालय को भेजी जा रही है।
शासन की ओर से तैयार कार्ययोजना के अनुसार ग्रामीण अपने घरों का ठोस अपशिष्ट कंपोस्ट पिट में डालेंगे। कंपोस्ट पिट ग्राम पंचायत की भूमि पर बनाए जाएंगे। इसे ऐसी जगह बनाया जाएगा, जहां जलजमाव न हो। दुर्गंध से बचाने के लिए इसे आबादी से दूर बनाने का निर्देश दिया गया है। ग्राम पंचायतें ही इसकी देखरेख भी करेंगी।
ऐसे बनेगी जैविक खाद
हर राजस्व गांव में खाद बनाने के लिए दो आयताकार गड्ढे खोदे जाएंगे। एक गड्ढा कच्चा तथा दूसरा पक्का होगा। कच्चे गड्ढे में गीला कचरा डाला जाएगा। उसके ऊपर गीले गोबर की एक परत बिछायी जाएगी। दुर्गंध, मक्खी एवं मच्छर से बचाव के लिए मिट्टी की एक परत डाली जाएगी। गड्ढा पूरी तरह भरने तक यह प्रक्रिया जारी रहेगी। पक्के गड्ढे में इंटें लगाई जाएंगी लेकिन निचली सतह पर ईंट नहीं बिछाई जाएगी। इसमें भी कच्चे गड्ढे की तरह की खाद बनाई जाएगी।
मनरेगा के तहत मिलेगा रोजगार
गांवों में कंपोस्ट पिट बनाने से लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार भी मिलेगा। कच्चा गड्ढा बनाने में तीन मानव दिवस (अकुशल) सृजित होंगे जबकि पक्का गढ्ढा बनाने में तीन मानव दिवस (अकुशल) एवं दे मानव दिवस (कुशल) सृजित होंगे। इस तरह से जिले में कंपोस्ट पिट बनाने से 23 हजार से अधिक मानव दिवस सृजित हो सकेंगे।
गांवों में कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए कंपोस्ट पिट बनाने का काम शुरू हो गया है। सभी राजस्व गांवों में इसे बनाया जाना है। गांव कचरे से मुक्त हो सकेंगे साथ ही खेत भी उपजाऊ होंगे। कंपोस्ट पिट में कचरा डालने से पहले प्लास्टिक को अलग किया जाएगा और उसे बेचकर पंचायतें आय भी अर्जित करेंगी। - हिमांशु शेखर ठाकुर, जिला पंचायत राज अधिकारी।