लोगों को झूठा बना रहा कोविन पोर्टल

कैचवर्ड- कोविड टीकाकरण -टीकाकरण रिपोर्ट कार्ड पर दोनों डोज का लगना दर्ज पोर्टल पर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:23 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 07:23 PM (IST)
लोगों को झूठा बना रहा कोविन पोर्टल
लोगों को झूठा बना रहा कोविन पोर्टल

कैचवर्ड- कोविड टीकाकरण

-टीकाकरण रिपोर्ट कार्ड पर दोनों डोज का लगना दर्ज, पोर्टल पर नहीं कर रहा शो

-प्रमाण पत्र के लिए पूछने पर स्वास्थ्य कर्मी बाद की तिथि में कर रहे सत्यापित

-फर्जी तिथि अंकित करने से दोनों डोज के मध्य दिखा रहा लगभग पांच माह का अंतर

गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर : कोरोना रोधी टीका लगवा चुके अनेक लोगों के सामने प्रमाण पत्र का संकट खड़ा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण टीकाकरण की तिथि व नाम कोविन पोर्टल पर दर्ज न होने से प्रमाण पत्र डाउनलोड नहीं हो पा रहा। शिकायत करने पर स्वास्थ्य कर्मी उसी दिन वैक्सीन लगने की रिपोर्ट सत्यापित कर दे रहे हैं, जिससे उसी दिन का प्रमाण पत्र जारी हो जा रहा है। ऐसे में जिन लोगों ने पूर्व की तारीख में टीका लगने की मौखिक सूचना किसी विभाग या कार्यालय में दे रखी है वह लोग प्रमाणपत्र देते समय झूठे साबित हो रहे हैं। टीकाकरण रिपोर्ट कार्ड पर तिथि सहित दोनों डोज का लगना भी दर्ज है। लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के चलते टीकाकरण पोर्टल पर शो नहीं कर रहा है। कर्मचारियों ने टीका लगवाने की तिथि में उसे पोर्टल पर सत्यापित नहीं किया था। इसका खामियाजा नागरिक भुगत रहे हैं। उनका नाम पोर्टल पर दर्ज न होने से उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है। जब वे विभाग में शिकायत लेकर पहुंचते हैं तो स्वास्थ्य कर्मी तत्काल टीकाकरण सत्यापित कर देते हैं। इससे प्रमाण पत्र तो मिल जाता है लेकिन दोनों डोज के बीच पांच माह का अंतराल दिखने लगता है, जबकि नियमों के अनुसार कोविशील्ड की दूसरी डोज 84 दिन व कोवैक्सीन की 28 दिन बाद लग जानी चाहिए।

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पहली डोज भी सत्यापित नहीं

केवल दूसरी डोज यदि सत्यापित नहीं है तो जिस तिथि में सत्यापन किया गया, उसी तिथि में फाइनल वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र मिल जाता है। लेकिन अनेक लोगों की पहली डोज भी सत्यापित नहीं की गई है और वे दोनों डोल लगवा चुके हैं। जब वे विभाग में पहुंचते हैं तो उस तिथि में उनकी पहली डोज सत्यापित की जाती है। उसके बाद दूसरी डोज सत्यापित करने के लिए उन्हें पुन: 28 दिन या 84 दिन बाद बुलाया जाता है। उनका प्रमाण इसके बाद मिलेगा।

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शिकायत लेकर रोज पहुंच रहे 60-70 लोग

सीएमओ कार्यालय के पीछे बने टीकाकरण कंट्रोल रूम में रोज 60-70 लोग प्रमाण पत्र डाउनलोड न होने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। अपनी गलती छिपाने के लिए कर्मचारी तत्काल उनका टीकाकरण पोर्टल पर सत्यापित कर रहे हैं। चूंकि बैक डेट में सत्यापन हो नहीं सकता, इसलिए स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पकड़ी जा रही है। लोगों को टीका लगवाने के बाद की तिथि का प्रमाण पत्र दिया जा रहा है।

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पोर्टल पर दर्ज नहीं और वेस्टेज शून्य

कोविन पोर्टल पर जो टीकाकरण दर्ज नहीं होगा और नागरिक को टीका लगाया जा चुका होगा तो वह वेस्टेज में दिखेगा। लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगा दिया गया है और वह पोर्टल पर दर्ज नहीं है। बावजूद इसके जिले में वैक्सीन का वेस्टेज शून्य है। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय स्वीकार करते हैं कि स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्करों में 20-20 फीसद व आम नागरिकों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्हें टीका लगाया गया है लेकिन पोर्टल पर दर्ज नहीं है। यह पूछने पर कि फिर वेस्टेज शून्य कैसे हो गया? सीएमओ कहते हैं कि कागज के अनुसार एक वायल में 10 डोज है, लेकिन सचमुच वह 11-12 डोज होती है। इससे वेस्टेज कवर हो गया है।

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सर्वर की दिक्कत की वजह से इस तरह की समस्याएं आ रही हैं। संभव है जब पोर्टल पर कर्मचारी टीकाकरण का सत्यापन कर रहा हो, उस समय कनेक्टिविटी चली गई हो, ऐसे में पोर्टल अंकित किया गया डाटा स्वीकार नहीं करता है। इसलिए टीका तो लग जाता है लेकिन वह पोर्टल पर शो नहीं होता है। बैक डेट में सत्यापित करने का विकल्प हमारे पास नहीं है। इसलिए जिस तिथि में नागरिक शिकायत लेकर आते हैं, उसी तिथि में सत्यापित कर उनका प्रमाण पत्र दे दिया जाता है।

-डा. सुधाकर पांडेय, सीएमओ

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