नाथ योगी ने कहा-निरोगी काया प्रदान करने का मार्ग है हठयोग Gorakhpur News

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर चल रहे सात दिवसीय योग शिविर के दूसरे दिन महंत शिवनाथ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कोई भी यौगिक क्रियाएं आसान-प्राणायाम आदि करने से पूर्व शरीर शुद्धि मन शुद्धि तथा नाड़ी शोधन की विशेष आवश्यकता होती है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 02:32 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 05:57 PM (IST)
नाथ योगी ने कहा-निरोगी काया प्रदान करने का मार्ग है हठयोग Gorakhpur News
योग प्राणायाम करने का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। हठयोग में बताई गई सभी प्रकार की क्रियाएं अलग-अलग रोगों के सन्दर्भ में अपना महत्व रखती हैं। इसमें कई ऐसी हैं जिनका प्रयोग सभी प्रकार के रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। हठयोग मनुष्यों को निरोगी काया प्रदान करने का मार्ग है। यह बातें कटक के नाथ योगी महंत शिवनाथ महराज ने कहीं। वह महायोगी गुरु गोरक्षनाथ योग संस्थान, गोरखनाथ मंदिर में चल रहे आनलाइन योग शिविर एवं शैक्षिक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

किसी भी रोग पर अनुलोम विलोम से हो सकता है काबू

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर चल रहे सात दिवसीय योग शिविर के दूसरे दिन महंत शिवनाथ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कोई भी यौगिक क्रियाएं, आसान-प्राणायाम आदि करने से पूर्व शरीर शुद्धि, मन शुद्धि तथा नाड़ी शोधन की विशेष आवश्यकता होती है। अनुलोम विलोम तथा स्वास-प्रश्वास द्वारा तीन महीने में शोधन करके किसी भी रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि 84 आसान में से साधक को सदा सिद्धासन का अभ्यास करना चाहिए जिससे शरीर की 72000 नाडिय़ों का मैल साफ हो जाता है। इसके पूर्व योगाचार्य शुभम द्विवेदी ने सुबह छह से सात बजे तक योगासन व प्राणायाम का आनलाइन अभ्यास कराया। दोपहर बाद शैक्षिक कार्यशाला में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की निर्धारित संस्थाओं ने प्रतिभाग किया। महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डा. प्रदीप कुमार राव के मार्गदर्शन मे हुए कार्यक्रम का संचालन व आभार ज्ञापन कार्यशाला प्रभारी डा. अरविन्द कुमार चतुर्वेदी ने किया।

मरण पर भी विजय दिलाती है खेचरी मुद्रा

महंत शिवनाथ ने मत्स्येंद्रासन, शवासन, पद्मासन, गोरक्षासन, गोमुखासन, बद्धपद्मासन, सिंहासन, भद्रासन आदि आसान की जानकारी देते हुए इसकी चिकित्सकीय उपयोगिता का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मुद्राओं से अनेकों रोगों का निदान किया जाता है। खेचरी मुद्रा से तो रोग-व्याधि के साथ ही मरण पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।

मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी करते हैं प्राणायाम

हठयोग में गुरु गोरखनाथ द्वारा वर्णित आठ प्राणायाम पर प्रकाश डालते हुए नाथ योगी ने कहा कि प्राणायाम में वायु की गति पर साधक को विशेष ध्यान देना चाहिए। प्राणायाम न केवल मनुष्य ही करते हैं अपितु सभी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी भी प्राणायाम का अभ्यास करते हैं और उनके श्वास प्रश्वास के द्वारा ही उनकी आयु का निर्धारण भी होता है। कछुआ, सांप, हाथी, मनुष्य, घोड़ा, बिल्ली, बंदर, कबूतर, खरगोश इत्यादि सभी जीव अपने प्राणायाम के द्वारा अपनी आयु को पूरा करते हैं।

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