MMMUT को तीन साल के लिए बड़ी उपलब्धि, जांच एजेंसियों ने दिया प्रमाण पत्र Gorakhpur News
इस आडिट की विश्वविद्यालय की ओर से जिम्मेदारी संभालने वाले पर्यावरणविद् प्रो. गोविंद पांडेय ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में विश्वविद्यालय की भूमिका का मूल्यांकन करने के लिए बीते दिनों तीन स्तर पर आडिट कराई गई। पाया कि इसे लेकर विश्वविद्यालय कार्यप्रणाली बेहद संतोषजनक है।
गोरखपुर, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण को लेकर मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय किस हद तक सतर्क है और इसके लिए चलाए जा रहे देशव्यापी अभियान में अपनी भूमिका वह किस तरह सुनिश्चित कर रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से इसे लेकर कराए गए त्रिस्तरीय आडिट में यह साबित हो गया है। दो अलग-अलग प्रमाणन एजेंसियों ने विश्वविद्यालय में चल रहे प्रयास को एक-दो नहीं बल्कि तीन वर्ष के लिए मानक पर खरा पाया है और इसे लेकर प्रमाण-पत्र भी जारी किया है।
विश्वविद्यालय ने कराई थी त्रिस्तरीय आडिट
इस आडिट की विश्वविद्यालय की ओर से जिम्मेदारी संभालने वाले पर्यावरणविद् प्रो. गोविंद पांडेय ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में विश्वविद्यालय की भूमिका का मूल्यांकन करने के लिए बीते दिनों तीन स्तर पर आडिट कराई गई। एनर्जी आडिट, ग्रीन आडिट और इन्वायरमेंटल आडिट। ग्रीन आडिट में प्रमाण संस्था एश्योर क्वालिटी मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड ने परिसर में ऊर्जा की खपत और उसके कम करने के लिए विवि की ओर से किए जा रहे प्रयास का अध्ययन का मूल्यांकन किया। पाया कि इसे लेकर विश्वविद्यालय कार्यप्रणाली बेहद संतोषजनक है। संस्था ने परिसर में स्थापित सौ किलोवाट के सोलर एनर्जी प्लांट को लेकर विश्वविद्यालय की जमकर सराहना की। इसी संस्था ने जब ग्रीन आडिट के तहत परिसर में कार्बन उत्सर्जन की स्थिति का आकलन किया तो पाया कि परंपरागत के साथ-साथ गैर परंपरागत ऊर्जा पर भी जोर देने के चलते परिसर में कार्बन उत्सर्जन की मात्रा मानक से 20 फीसद कम है। संस्था ने दोनों ही आडिट में विश्वविद्यालय की व्यवस्था को 30 मार्च 2024 तक के लिए खरा पाया और प्रमाण-पत्र जारी कर दिया।
एनजी, ग्रीन और इन्वायमेंटल तीनों आडिट में खरा उतरा एमएमएमयूटी
जीओ टेक ग्लोबल सर्टिफिकेशन लिमिटेड द्वारा किए गए इन्वायरमेंटल आडिट में पर्यावरण की दृष्टि से संस्था की टीम ने जब परिसर में पेड़-पौधों की स्थिति देखी तो 80 फीसद हरित क्षेत्र देखकर वह दंग रह गए। टीम ने परिसर में गाडिय़ों के न्यूनतम आवागमन पर भी संतोष व्यक्त किया। हवा और जल प्रदूषण के मामले में भी विवि मानक पर खरा उतरा तो संस्था की ओर से जनवरी 2024 तक की मान्यता वाला प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया।
नैक मूल्यांकन में इस आडिट से बढ़ेंगे नंबर
प्रो. गोविंद पांडेय ने बताया कि इस ़त्रिस्तरीय आडिट से जहां विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास का परिणाम प्राप्त हुआ है। वहीं इसका फायदा नैक मूल्यांकन में भी मिलेगा। इसे लेकर मिले सफलता के प्रमाण-पत्र से नैक मूल्यांकन में विश्वविद्यालय का नंबर बढ़ाने में सुविधा होगी। एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयास का परिणाम त्रिस्तरीय आडिट में बेहद संतोषजनक मिला है। इससे और ज्यादा प्रयास करने की प्रेरणा मिलेगी। पर्यावरण की शुद्धता के लिए विश्वविद्यालय को लेकर किए जा रहे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे।