कोरोना से निराश्रित बच्‍चों का सहारा बनी सरकार, हर महीने म‍िलेगी चार हजार की मदद

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद कोरोना से अनाथ हुए बच्‍‍चों को चिन्हित किया गया है। इन बच्‍चों के चयन में प्रशासन ने भी भरपूर संवेदना दिखाई है और कागजों के लिए किसी को दौडऩा नहीं पड़ा। 176 बच्‍चों के अभिभावकों के खाते में तीन-तीन महीने की सहायता राशि पहुंच गई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 12:01 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 12:01 PM (IST)
कोरोना से निराश्रित बच्‍चों का सहारा बनी सरकार, हर महीने म‍िलेगी चार हजार की मदद
प्रमाण पत्र के साथ निराश्रित हुए बच्‍चों के स्‍वजन। - जागरण

गोरखपुर, उमेश पाठक। कोरोना संक्रमण के कारण निराश्रित हुए बच्‍चों को सरकार ने सहारा दिया है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के जरिए उनके पालन-पोषण व शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जिले में ऐसे बच्‍‍चों को चिन्हित किया गया, जिनके माता-पिता या माता व पिता में से किसी एक की मृत्यु हो गई थी। इन बच्‍चों के चयन में प्रशासन ने भी भरपूर संवेदना दिखाई है और कागजों के लिए किसी को दौडऩा नहीं पड़ा। 176 बच्‍चों का पालन-पोषण करने वाले अभिभावकों के खाते में तीन-तीन महीने की सहायता राशि पहुंच गई। वयस्क होने तक हर महीने चार हजार रुपये की सहायता दी जा रही है।

176 बच्‍चों को म‍िली सहायता

कोरोना से कई लोगों ने अपने स्वजन को खोया है। इसमें सर्वाधिक प्रभावित बच्‍चे हुए हैं। जिले में छह बच्‍चे ऐसे मिले, जिनके माता व पिता, दोनों का निधन हो चुका है और उनके नजदीकी रिश्तेदार उनका भरण-पोषण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे बच्‍चों को संबल प्रदान करते हुए कहा था कि ऐसे सभी बच्‍चों की देखभाल सरकार करेगी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अभियान चलाकर बच्‍चों को चिन्हित करने का काम शुरू हो गया। कुछ दिनों में ही 176 बच्‍चों को चिन्हित कर लिया गया। 40 और बच्‍चों को बाद में चिन्हित किया गया और उनका प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया गया है। जल्द ही उनके लिए भी आर्थिक सहायता मिल जाएगी।

रिश्तेदार कर रहे देखभाल

सरदारनगर क्षेत्र में दो बच्‍चे ऐसे हैं जिनके माता व पिता, दोनों का कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो चुका है। उनकी देखभाल उनके रिश्तेदार कर रहे हैं। माता-पिता की मौत के बाद ये बच्‍चे टूट चुके थे। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनका नाम बगल के प्राथमिक स्कूल में लिखवाया गया था। जब उनके माता-पिता का निधन हो गया तो उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था लेकिन रिश्तेदार सामने आए और उनका हाथ थाम लिया। बच्‍चों ने बताया कि माता-पिता की कमी जरूर खलती है लेकिन रिश्तेदार पूरा ख्याल रखते हैं। अब सरकार की ओर से आर्थिक मदद की घोषणा से उनकी देखभाल कर रहे रिश्तेदारों का हौसला भी बढ़ा है।

18 साल की उम्र से मासिक भत्ता

केंद्र सरकार की ओर से भी ऐसे बच्‍चों के लिए योजना की घोषणा की गई है। पीएम केयर्स फार चिल्ड्रेन नाम से शुरू की जा रही इस योजना के तहत कोरोना से निराश्रित हुए बच्‍चों को 18 साल की उम्र से मासिक भत्ता दिया जाएगा। 23 साल की उम्र पूरी करने पर पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा। ऐसे बच्‍चों को निश्शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाएगी। उच्‍च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाएगा और उसके ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स से किया जाएगा। आयुष्मान भारत योजना के तहत ऐसे ब'चों को 18 साल तक पांच लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। इसके प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स फंड से किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार लड़कियों की शादी के लिए भी अनुदान देगी।

अभी तक कोरोना से निराश्रित 206 बच्‍चों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 176 के लिए पैसा आ गया है और उनके अभिभावकों के खाते में तीन-तीन महीने की धनराशि यानी 12-12 हजार रुपये भेजे जा रहे हैं। शेष 40 बच्‍चों को भी जल्द ही धनराशि मिल जाएगी। जिले में ऐसे सभी ब'चों की देखभाल उनके अभिभावक कर रहे हैं, अभी तक किसी भी ब'चे को बाल शिशु गृह में नहीं रखना पड़ा है। - के. विजयेंद्र पाण्डियन, जिलाधिकारी।

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