गोरखपुर विश्वविद्यालय फिलहाल लागू नहीं होगा एक समान पाठ्यक्रम Gorakhpur News

सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में वर्ष 2021-22 से एक समान पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार ने विश्वविद्यालयों को यह छूट दी है कि 30 फीसद संशोधन व परिवर्तन स्थानीयता व विशिष्टता के अनुसार कर सकते हैं लेकिन पाठ्यक्रम में 70 फीसद समानता अनिवार्य होगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 11:13 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:13 AM (IST)
गोरखपुर विश्वविद्यालय फिलहाल लागू नहीं होगा एक समान पाठ्यक्रम Gorakhpur News
गोरखपुर विश्वविद्यालय में समान पाठ्यक्रम अभी लागू नहीं होगा। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय फिलहाल एक समान पाठ्यक्रम लागू करने के पक्ष में नहीं है। कुलपति का मानना है कि यह विवि के विकास में बाधक होने के साथ ही अकादमिक स्वायत्तता से भी वंचित करेगा।

अकादमिक स्वायत्तता से भी विवि को वंचित करेगा पाठ्यक्रम

सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में वर्ष 2021-22 से एक समान पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार ने विश्वविद्यालयों को यह छूट दी है कि 30 फीसद संशोधन व परिवर्तन स्थानीयता व विशिष्टता के अनुसार कर सकते हैं, लेकिन पाठ्यक्रम में 70 फीसद समानता अनिवार्य होगी।

शासन को लिखे पत्र में कुलपति ने दिए ये तर्क

कुलपति प्रो. राजेश स‍िंंह ने तर्क दिया है कि गोविवि की शैक्षणिक उत्कृष्टता की समृद्ध परंपरा रही है। यहां के विद्यार्थियों ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। ऐसा यहां के शिक्षकों, शोधार्थियों, विषय विशेषज्ञों एवं विद्यार्थियों के पिछले 70 वर्षों के सु²ढ़ एवं विश्वस्तरीय पाठ्यक्रम के विकास के लिए किए अभूतपूर्व योगदान से ही संभव हो सका। यदि समान न्यूनतम पाठ्यक्रम लागू किया गया तो विवि के विकास में बाधा आएगी। फिर भी यदि सरकार को ऐसा लगता है कि विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों में समानता का कुछ रूप विद्यार्थियों के हित में अनिवार्य है तो एक समान पाठ्यक्रम के कुल विषय वस्तु का 30 फीसद स्वीकार करने की अनुमति व शेष 70 फीसद हमारे शिक्षकों की दक्षता एवं विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुरूप नियत करने की अनुमति दे।

ऐसे शुरू हुई थी कवायद

पाठ्यक्रम को लेकर छह जुलाई 2017 को पहली बार राजभवन में कुलपति सम्मेलन में इस पर निर्णय लिया गया। जनवरी 2018 में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम निर्धारण समिति का गठन हुआ। पहली बैठक 4 अप्रैल को बुंदेलखंड विवि झांसी में हुई। दूसरी बैठक आगरा विवि, तीसरी बैठक गोरखपुर, चौथी बैठक बरेली विवि तथा पांचवीं बैठक आगरा विवि में हुई। जिसमें सभी पाठ्यक्रम तैयार होकर आ गए थे। पुन: सात नवंबर को छठी बैठक लखनऊ में हुई। 15 नवंबर तक तैयार पाठ्यक्रम समिति द्वारा शासन को सौंपा गया। उसी दिन तय हुआ कि समिति की सातवीं व आखिरी बैठक गोरखपुर विवि में होगी।

यदि हम पाठ्यक्रम लागू भी करेंगे तो तीस फीसद से अधिक नहीं करेंगे। क्योंकि इससे अधिक करेंगे तो हमारा पाठ्यक्रम खराब होगा। हमारे यहां के पाठ्यक्रम अच्छे हैं। सत्तर वर्ष पुराने विवि में एक समान पाठ्यक्रम की बात करेंगे तो इसमें दिक्कत होगी। मेरे हिसाब से इसे लागू करना उचित नहीं है। नई शिक्षा नीति में भी यह बात कही गई है कि विवि अपने-अपने अनुसार पाठ्यक्रम बनाएं। यह पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति के विरुद्ध है। पाठ्यक्रम पर ही हमें नैक और रैङ्क्षकग में नंबर मिलते हैं। इसे लागू करना यानी सभी विवि को एक बराबर कर देना है। - प्रो. राजेश स‍िंह, कुलपति, गोविवि।

जिन विश्वविद्यालयों ने एक समान पाठ्यक्रम बनाने में सबसे अधिक भूमिका निभाई है उसमें गोरखपुर विवि व लखनऊ विवि शामिल रहे हैं। कला संकाय से संबंधित अधिकांश विषयों के पाठ्यक्रम गोरखपुर विवि तथा विज्ञान संकाय के लगभग सभी विषयों के पाठ्यक्रम लखनऊ विवि के शिक्षकों द्वारा बनाए गए हैं। अब यह पाठ्यक्रम सरकार और विश्वविद्यालयों के बीच में है। - प्रो.सुरेंद्र दूबे, तत्कालीन चेयरमैन, न्यूनतम समान पाठ्यक्रम निर्धारण समिति।

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