गोरखपुर विश्वविद्यालय: शिक्षक ने अंग्रेजी का किया विरोध तो हिंदी में मिला नोटिस

गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी के प्रोफेसर को विवि प्रशासन ने तीन बार अंग्रेजी में नोटिस दिया तो वह विरोध में उतर आए। अंग्रेजी के विरोध में मुखर होते हुए शिक्षक ने ऐलान कर दिया कि जब तक उन्हें हिंदी में नोटिस नहीं मिलता तब तक वह उसका जवाब नहीं देंगे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 11:35 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 11:35 AM (IST)
गोरखपुर विश्वविद्यालय: शिक्षक ने अंग्रेजी का किया विरोध तो हिंदी में मिला नोटिस
अंग्रेजी का विरोध करने पर श‍िक्षक को हिंदी में मिला नोटिस। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी के प्रोफेसर को विवि प्रशासन ने तीन बार अंग्रेजी में नोटिस दिया तो वह विरोध में उतर आए। अंग्रेजी के विरोध में मुखर होते हुए शिक्षक ने ऐलान कर दिया कि जब तक उन्हें हिंदी में नोटिस नहीं मिलता तब तक वह उसका जवाब नहीं देंगे। अंत में विवि प्रशासन को शिक्षक को चौथी नोटिस हिंदी में देना पड़ा। जिसे शिक्षक ने अंग्रेजी के आतंक पर राष्ट्रभाषा के स्वाभिमान की विजय बताया।

यह है मामला

विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रो.कमलेश गुप्ता पिछले कुछ दिनों से कुलपति व विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर इंटरनेट मीडिया पर बयान देने के कारण चर्चा में हैं। इसी के कारण विवि प्रशासन उन्हें चार बार कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है। हालांकि उनके अलावा चार और शिक्षकों को भी नोटिस जारी किया गया है, लेकिन अन्य शिक्षक चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि विद्या परिषद के सदस्य व हिंदी विभाग के प्रो.गुप्ता ने अंग्रेजी में नोटिस का विरोध कर डाला। अभी तक उन्होंने किसी भी नोटिस का यह कहकर जवाब नहीं दिया कि ङ्क्षहदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हम अंग्रेजी में दिए गए पत्र का जवाब नहीं देंगे।

प्रो. गुप्ता ने इसको लेकर उच्‍च शिक्षामंत्री तक को पत्र लिख डाला। पत्र में उन्होंने कहा कि प्रदेश के उच्‍च शिक्षण संस्थानों में हिंदी भाषा के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए। जबकि इधर कुछ दिनों से गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के सभी आदेश व सूचनाएं अंग्रेजी में निर्गत हो रहे हैं। यह राष्ट्रभाषा व राजभाषा ह‍िंंदी का असम्मान है। ऐसे में हम आपसे ह‍िंंदी के सम्मान की रक्षा का आग्रह करते हैं।

काशन मनी छोडऩे के लिए छात्रों से घोषणा पत्र भरवा रहा छात्रावास प्रशासन

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रावास आवंटन के दौरान ही विद्यार्थियों से पंद्रह सौ रुपये सुरक्षा शुल्क (काशन मनी) जमा करा लिया जाता है। जब विद्यार्थी छात्रावास छोड़ते हैं तो वह पैसा विवि प्रशासन उन्हें वापस कर देता है। इस बार विद्यार्थियों से यह घोषणा पत्र भरवाया जा रहा है कि मैं अपना काशन मनी फीस के रूप में छोड़ रहा हूं। यानी इस बार छात्रावासियों को उनका काशन मनी वापस नहीं मिलेगा।

घोषणा पत्र के जरिए संबंधित छात्र लिखित रूप में यह घोषणा कर रहा है कि छात्रावास में सत्र 2019-20 में मेरा आवंटन हुआ, लेकिन सत्र-2020-21 में नवीनीकरण नहीं हुआ था। मेरी परीक्षा निकट है। परीक्षा के उपरांत छात्रावास खाली कर दूंगा। मुझे छात्रावास में रहने की अनुमति दी जाए। इसके लिए छात्रावास में जमा अपनी काशन मनी छात्रावास के फीस के रूप में मैं छोड़ रहा हूं। मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

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