भक्तों की भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने को अवतार लेते हैं भगवान
नैमिषारण्य में मुनियों के साथ ही शौनक आदि ऋषियों ने महात्मा सूतजी से बहुत से प्रश्न किए। इनमें जीव के कल्याण से संबंधित प्रश्न भी थे। सूतजी ने कहा कि भगवान की भक्ति में ही जीव का कल्याण है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नैमिषारण्य में मुनियों के साथ ही शौनक आदि ऋषियों ने महात्मा सूतजी से बहुत से प्रश्न किए। इनमें जीव के कल्याण से संबंधित प्रश्न भी थे। सूतजी ने कहा कि भगवान की भक्ति में ही जीव का कल्याण है। समस्त शास्त्रों का सार भगवान की भक्ति है। भक्तों की भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भगवान खुद अवतार लेते हैं।
गोविंद देव गिरी सुना रहे भागवत कथा
यह बातें श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने कही। वह साकेतनगर कालोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में मंगलवार को व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्तों को दर्शन देने और उनकी भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अवतार लेते हैं। शबरी, अहिल्या व गोपियों के लिए उन्हें आना पड़ा। जो भी भक्त नित्यप्रति बिना नागा किए भगवान की प्रतीक्षा करता है उसकी कुटिया में आकर भगवान जीवन भर के लिए तार देते हैं। शबरी के सामने जिस तरह राम आकर बैठे, ऐसे ही वह अपने किसी भी भक्त के सामने आकर बैठ सकते हैं। बस उनके लिए अपने घर के दरवाजे खुले रखना।
भक्ति के लिए श्रीमद्भागवत ग्रंथ की रचना
कथाव्यास ने कहा कि भगवान वेदव्यास ने भक्ति के लिए श्रीमद्भागवत ग्रंथ की रचना की। इसमें नारदजी, व्यासजी को अपने पूर्व जन्म की कथा सुनाते हैं कि कैसे मेरा पतन हुआ। इसके बाद मैं मृत्यु लोक में गया। वहां एक ऋषि के वहां मेरा जन्म हुआ और एक प्रवचन के माध्यम से मेरा जीवन बदल गया। आज मैं भगवान की भक्ति में जीता हूं। कथाएं हमेशा मनुष्य को अ'छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं, इसलिए कथा श्रवण का विशेष महत्व है। कथा सुनकर जीवन में उतारना जरूरी है, तभी उनका वास्तविक लाभ मिल पाता है। कार्यक्रम में रोशन खेतान, सुरेंद्र अग्रवाल, माधव जालान, दिनेश ङ्क्षसघानिया, देवकीनंदन अग्रवाल, गोपाल खेमका, अजय मोदी, हरि जालान, सुशील, अजय पोद्दार आदि उपस्थित थे।