Gorakhpur Geetapress: देश में चार स्थानों पर निश्शुल्क आयुर्वेदिक औषधालय चला रहा गीताप्रेस

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है और स्वस्थ मन ही भगवान की तरफ उन्मुख हो सकता है। इसी भावना के साथ लोगों को स्वस्थ रखने की मुहिम गीताप्रेस में 1950 के पहले से चल रही है।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 09:08 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 02:38 PM (IST)
Gorakhpur Geetapress: देश में चार स्थानों पर निश्शुल्क आयुर्वेदिक औषधालय चला रहा गीताप्रेस
गोरखपुर में गीता प्रेस का आयुर्वेदिक औशधालय।

गोरखपुर, जेएनएन। लागत से कम मूल्य पर जन-जन तक धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध कराने वाला गीताप्रेस लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी फिक्रमंद रहता है। गोरखपुर ही नहीं कोलकाता, सूरत और राजस्थान के चुरू में पिछले 70 साल से चल रहे गीता प्रेस के आयुर्वेदिक औषधालय पर अब तक लाखों लोगों का न केवल इलाज हो चुका है बल्कि उन्हें मुफ्त दवाएं भी दी गई हैं। इलाज में कोई बाधा न आए इसलिए इन केंद्रों पर वैतनिक डाक्टर, फार्मासिस्ट की तैनाती की गई है। दवाओं की उपलब्धता गीताप्रेस की ऋषिकेश स्थित आयुर्वेदिक फैक्ट्री से होती है।

मन संग तन भी स्वस्थ कर रहा गीता प्रेस

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है और स्वस्थ मन ही भगवान की तरफ उन्मुख हो सकता है। इसी भावना के साथ लोगों को स्वस्थ रखने की मुहिम गीताप्रेस में 1950 के पहले से चल रही है। पहले यह औषधालय गीताप्रेस गेट पर चलता था, जिसे 2005 में भवन निर्माण के चलते साहबगंज में शिफ्ट कर दिया गया। पिछले साल अक्टूबर में गीताप्रेस गेट पर नया निर्माण कराकर इसे दोबारा यहां शुरू  कराया गया है। ज्यादातर दवाएं गीता प्रेस की आयुर्वेद फैक्ट्री की होती है। कुछ दवाएं जो उपलब्ध नहीं होती हैं उन्हेंं बाजार से खरीद कर मंगाया जाता है। सुबह 10:00 से 2:00 और शाम 4:00 से 6:00 बजे खुलने वाले औषधालय में रोजाना 25 से 40 मरीज आते हैं। इनमें ज्यादातर सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस फूलने व पेट से संबंधित होते हैं। हार्ट व कैंसर के रोगियों को रेफर कर दिया जाता है।  देश के सभी 4 आयुर्वेदिक औषधालय पर यही व्यवस्था है।

ऋषिकेश में है गीताप्रेस की आयुर्वेदिक फैक्ट्री

ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम में आयुर्वेदिक फैक्ट्री की स्थापना 1970 में हुई थी। इसके पहले आयुर्वेदिक दवाइयां कोलकाता में बनाई जाती थीं। यहां बनने वाली 82 प्रकार की दवाओं से होने वाली आय से गीताप्रेस के घाटे को भी पूरा किया जाता है। आयुर्वेदिक औषधालय में दवाएं यहीं से जाती हैं। गोरखपुर के औषधालय से हर माह लगभग 30 से 40 हजार रुपये की दवाएं मुफ्त बांटी जाती हैं। अब इस फैक्ट्री को हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है, जिसके लिए जमीन ले ली गई है। गीताप्रेस के ट्रस्‍टी देवी दयाल का कहना है कि मानव कल्याण के उद्देश्य से स्थापित गीताप्रेस को निर्बाध रूप से संचालित करने के लिए आयुर्वेदिक फैक्ट्री खोली गई है। इसी उद्देश्य से निश्शुल्क औषधालय खोले गए हैं। सभी औषधालयों पर कुल मिलाकर प्रतिमाह लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है। जिसे गीताप्रेस वहन करता है।

chat bot
आपका साथी